नई दिल्ली 23 नवंबर 2024 : आर्द्रभूमि संरक्षण के मीडिया जुड़ाव हेतु आयोजित “राष्ट्रीय मीडिया परामर्श” का तीन दिवसीय राष्ट्रीय मीडिया परामर्श कार्यक्रम का आज ग्रेटर नोएडा स्थित सूरजपुर आर्द्रभूमि पर क्षेत्रीय भ्रमण के साथ सफल समापन हुआ। इस कार्यक्रम में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, GIZ के इंडो-जर्मन जैव विविधता कार्यक्रम एवं WWF-इंडिया जैसे संगठनों के प्रतिनिधियों सहित कई विश्वविधालयों के पत्रकारिता के छात्र छात्रों ने भारत में आर्द्रभूमि संरक्षण के प्रति मीडिया के जुड़ाव को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण बिन्दुओ पर परिचर्चा की।
उल्लेखनीय है यह व्यापक कार्यक्रम 21 नवंबर को हमदर्द कन्वेंशन सेंटर, जामिया हमदर्द में शुरू हुआ, जहां दिल्ली-एनसीआर विश्वविद्यालयों के पत्रकारिता और जनसंचार छात्रों के लिए एक सघन क्षमता निर्माण कार्यशाला आयोजित की गई। उद्घाटन सत्र में सम्मानित वक्ताओं में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF&CC) के वैज्ञानिक एफ डॉ. रमेश एम, इंडो-जर्मन जैव विविधता कार्यक्रम, GIZ के वरिष्ठ सलाहकार श्री किर्तिमान अवस्थी, और जामिया हमदर्द के सेंटर फॉर मीडिया एंड मास कम्युनिकेशन स्टडीज की निदेशक प्रो. रेशमा नसरीन शामिल थे।
दूसरे दिन, नई दिल्ली के द ललित होटल में वरिष्ठ पत्रकारों और पर्यावरण विशेषज्ञों की बैठक हुई। इस दौरान, वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के सदस्य और पूर्व में आर्द्रभूमि प्रभाग के संयुक्त सचिव डॉ. सुजीत बाजपेई, GIZ के इंडो-जर्मन जैव विविधता कार्यक्रम के निदेशक श्री रविंद्र सिंह, और WWF-इंडिया के सीनियर डायरेक्टर-इकोलॉजिकल फुटप्रिंट श्री सुरेश बाबू ने आर्द्रभूमि पारिस्थितिकी तंत्र में नवाचार की आवश्यकता पर चर्चा की। वेटलैंड्स इंटरनेशनल साउथ एशिया के निदेशक डॉ. रितेश कुमार ने भारत की आर्द्रभूमि के इतिहास और वर्तमान स्थिति पर उपयोगी जानकारी साझा की।
अंतिम दिन, सूरजपुर आर्द्रभूमि का शैक्षिक क्षेत्रीय भ्रमण आयोजित किया गया, जिसमें प्रतिभागियों को आर्द्रभूमि पारिस्थितिकी तंत्र और संरक्षण की चुनौतियों का प्रत्यक्ष अनुभव प्राप्त हुआ। इस भ्रमण का आयोजन गौतम बुद्ध नगर के जिला वन अधिकारी श्री प्रमोद कुमार श्रीवास्तव, रेंज फॉरेस्ट ऑफिसर श्रीमती अनामिका झा और साइट प्रभारी श्री राम अवतार चौधरी ने किया। इस दौरान, प्रसिद्ध पक्षी विशेषज्ञ श्री सुरेंद्र मिया ने इस क्षेत्र के विविध पक्षियों की जानकारी दी।
इस कार्यक्रम की सफलता पर CMS की महानिदेशक, डॉ. वसंती राव ने कहा, “यह तीन दिवसीय आयोजन पर्यावरणीय पत्रकारिता के लिए एक मजबूत मंच के रूप में उभरा है, जिसने अनुभवी पत्रकारों, भावी मीडिया पेशेवरों और विशेषज्ञों को आर्द्रभूमि संरक्षण के विज्ञान, नीति और सार्वजनिक समझ के बीच के अंतर को पाटने में मदद की है।”
डॉ. रमेश एम ने आर्द्रभूमि संरक्षण के व्यापक महत्व पर प्रकाश डाला, “आज सूरजपुर आर्द्रभूमि का अनुभव यह दर्शाता है कि ये पारिस्थितिकी तंत्र वायु प्रदूषण जैसी वर्तमान पर्यावरणीय चुनौतियों का समाधान बन सकते हैं। इस कार्यक्रम ने जटिल पर्यावरणीय अंतर्संबंधों को प्रभावी ढंग से संप्रेषित करने में मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका को प्रदर्शित किया है।”
यह आयोजन सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज (CMS) द्वारा इंडो-जर्मन तकनीकी सहयोग परियोजना ‘वेटलैंड्स मैनेजमेंट फॉर बायोडायवर्सिटी एंड क्लाइमेट प्रोटेक्शन’ के तहत किया गया। यह परियोजना जर्मन संघीय पर्यावरण, प्रकृति संरक्षण, परमाणु सुरक्षा और उपभोक्ता संरक्षण मंत्रालय (BMUV) के अंतर्राष्ट्रीय जलवायु पहल (IKI) द्वारा पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF&CC) के सहयोग से कार्यान्वित किया गया ।