नई दिल्ली : प्रसंस्कृत उर्वरक क्षेत्र की विश्व की सबसे बड़ी सहकारी संस्था इफको के प्रबंध निदेशक, डॉ. उदय शंकर अवस्थी को सहकार भारती द्वारा “फर्टिलाइजर मैन ऑफ इंडिया” की उपाधि से सम्मानित किया गया है। अमृतसर में आयोजित सहकार भारती के 8वें राष्ट्रीय अधिवेशन के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर कार्यवाह (महासचिव) श्री दत्तात्रेय होसबोले, सहकार भारती के राष्ट्रीय महासचिव डॉ. उदय जोशी और पंजाब के राज्यपाल सह चंडीगढ़ के प्रशासक श्री गुलाब चंद कटारिया ने उन्हें यह सम्मान प्रदान किया ।
सहकार भारती एक राष्ट्रीय संगठन है जो देश भर में सहकारी समितियों और सहकारी आंदोलन को मजबूत करने के लिए वर्ष 1978 से काम कर रहा है। डॉ. अवस्थी को यह उपाधि उर्वरक और कृषि के क्षेत्र में उनके आजीवन उल्लेखनीय योगदान के लिए दी गई है। नैनो उर्वरकों के बारे में उनकी अभिनव सोच से देश के साथ-साथ वैश्विक कृषि और उर्वरक क्षेत्र का कायाकल्प हो सकता है। स्वदेशी तकनीक से विकसित नैनो यूरिया, नैनो डीएपी और अब नैनो एनपीके के उत्पादन से भविष्य में कृषि के क्षेत्र में बड़ा परिवर्तन आएगा क्योंकि इन उर्वरकों के प्रयोग से न केवल प्रदूषण कम होगा बल्कि मिट्टी की सेहत और गुणवत्ता में भी वृद्धि होगी। डॉ. अवस्थी ने मिट्टी में पोषक तत्वों की वृद्धि हेतु कोरडेट द्वारा किसानों को हरी जैविक खाद के प्रयोग संबंधी प्रशिक्षण दिलाने के साथ-साथ देश भर में ‘मृदा बचाओ अभियान’ की शुरुआत की। उर्वरक उद्योग के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट योगदान का उल्लेख करते हुए उन्हें प्रशस्ति पत्र और ताम्र पत्र (कांस्य पट्टिका) से सम्मानित किया गया । इफको की उल्लेखनीय प्रगति और सहकार से समृद्धि के दृष्टिकोण को वैश्विक स्तर पर ले जाते हुए भारतीय सहकारी आंदोलन के सशक्तिकरण में उनके अमूल्य योगदान के लिए डॉ. अवस्थी को हाल ही में रोशडेल पायनियर्स पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
डॉ. अवस्थी ने कहा कि मुझे इस बात की बेहद खुशी है कि “सहकारिता जगत ने किसानों और सहकारी समितियों के विकास के लिए किए गए मेरे काम को पहचाना है। मैं इस प्रतिष्ठित सम्मान और उपाधि के लिए सहकार भारती को हृदय से धन्यवाद देता हूं।”उन्होंने आगे कहा कि भारत में हमें उर्वरकों के मामले में वास्तव में आत्मनिर्भर बनना होगा और नवीन नैनो प्रौद्योगिकी आधारित उर्वरकों को अपनाकर उर्वरकों के कच्चे माल के आयात पर निर्भरता कम करके “मेक इन इंडिया” को अपनाना होगा। इससे विदेशी मुद्रा की बचत होगी और साथ ही रॉक फॉस्फेट, पोटाश और प्राकृतिक गैस की खपत भी कम होगी ।
डॉ. अवस्थी ने सहकार भारती टीम से आग्रह किया कि वे दूरदराज के गांवों में छोटी सहकारी समितियों को सहायता प्रदान करके सहकारी समितियों के बीच सहकारिता को सक्रिय रूप से बढ़ावा दें तथा उन्हें स्थायी व्यवसाय मॉडल के रूप में मजबूत करें। उन्होंने यह भी अपील की कि सहकार भारती को आगे आकर देश भर के किसानों को नैनो उर्वरकों के लाभों के बारे में बताना चाहिए तथा भारत को कृषि क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की इसकी क्षमता पर जोर देना चाहिए।