एनडीए का बिहार में मास्टर स्ट्रोक?

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अनूप नारायण सिंह

2025 के बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर एनडीए कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहता है चुनाव बिहार के मौजूदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के चेहरे पर ही लड़ा जाएगा इसमें अब कोई शक नहीं है यानी भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने भी बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व को हरी झंडी दे दी है जिसकी विधिवत घोषणा होनी भर बाकी रह गई है केंद्र की मौजूदा एनडीए सरकार में नीतीश कुमार की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है ऐसे में भाजपा किसी भी प्रकार की कोई प्रयोग के मूड में नहीं है। बिहार में जनता दल यूनाइटेड नीतीश कुमार की पार्टी है जो सामाजिक समीकरण में पूरी तरह से फिट बैठती है।

चिराग पासवान को लेकर भी अब किसी प्रकार का कोई दुविधा नहीं है हालांकि जितना सेट चिराग पासवान चाहते हैं उसका आधा भी मिल जाए ऐसी संभावना फिलहाल नहीं दिख रही है सीटों के बंटवारे में नीतीश कुमार और भाजपा ही अपने कोटे की जो सेट जीतन राम मांझी उपेंद्र कुशवाहा और चिराग पासवान के लिए छोड़ दें उनके लिए बड़ा तोहफा होगा हालांकि भाजपा ने साफ कर दिया है की चुकी चुनाव नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़ा जाना है तो बिहार के नीति निर्धारण में भी नीतीश कुमार के समीकरण को पहली प्राथमिकता दी जाएगी चिराग पासवान के सूर बदल गए हैं।

चिराग पासवान खुद को एनडीए का सबसे ईमानदार सिपाही सिद्ध करने में लगे हैं केंद्र में मंत्री हैं बिहार में लगभग 30 सीट विधानसभा चुनाव के लिए चाहते हैं। पर जो अंदरूनी खबर है उसके अनुसार 243 सदस्य बिहार विधानसभा में सीटों का गणित उलझा उलझा नजर आ रहा है भाजपा 110 से कम सीटों पर चुनाव लड़ने को तैयार नहीं है इतनी ही सिम नीतीश कुमार को भी चाहिए इसके बाद बस जाती है मात्र 23 सीट जिसमें से अधिकतम 15 सीट चिराग पासवान को 5 सेट जीतन राम मांझी को और तीन सीट उपेंद्र कुशवाहा के खाते में जाते दिख रही है पर इतने कम सीटों पर सहयोगी माने को तैयार नहीं है ऐसे में जदयू और भाजपा अपने कोटे की कुछ सिम सहयोगियों को दे सकती है। खबर है कि उपेंद्र कुशवाहा को लेकर केंद्र बड़ा फैसला ले सकता है उपेंद्र कुशवाहा को स्वतंत्र प्रभार का केंद्र में मंत्री बनाया जा सकता है फिलहाल उपेंद्र कुशवाहा लोकसभा का चुनाव हारने के बाद राज्यसभा के सदस्य हैं उनके कोटे में एक एमएलसी की सीट भी जा सकती है। भाजपा में मौजूद किसी भी विधायक के टिकट कटने के आसार नहीं है जबकि जदयू में रडार पर 10 से ज्यादा विधायक है जो पार्टी तोड़ने के लिए कई बार प्रयास कर चुके अन्य पार्टियों से बगावत करके जदयू में आए लोगों को भी जदयू इस बार विधानसभा चुनाव में आजमा सकती है। वैसे राजनीति में कब क्या उलट हो जाए कुछ नहीं कहा जा सकता वह भी बिहार की राजनीति में अब इसकी गुंजाइश ज्यादा रहती है नीतीश कुमार को लेकर ना एनडीए आश्वस्त है और ना ही महागठबंधन। हालांकि नीतीश कुमार बार-बार दुहाई दे रहे हैं कि अब इधर-उधर नहीं जाएंगे।

जदयू में नंबर 2 को लेकर अशोक चौधरी सबसे आगे चल रहे हैं। 15 जनवरी से एनडीए बिहार के सभी जिला मुख्यालयों में संयुक्त जिला सम्मेलन आयोजित करने जा रहा है इसमें पार्टी के संभावित उम्मीदवार शक्ति प्रदर्शन के माध्यम से यह सिद्ध करेंगे कि उन्हें ही टिकट विधानसभा में मिले। बीजेपी में सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा के साथ ब्राह्मण कोटे से मंगल पांडे का प्रमोशन होने के बाद अब बारी अन्य जातियों की है जो भाजपा के कोर वोटर है।

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