आदमी भीड़ का….

1-1-11.jpeg

अनूप नारायण सिंह

नाम त्रिपुरारी कुमार पर दुनिया की से जानती है सन ऑफ बिहार मनीष कश्यप के नाम से कई सारे लोगों के पेट में दर्द हो रहा है कल का लड़का इतना तेजी से कैसे आगे बढ़ गया जिसे दुनिया यूट्यूब पर के नाम से जानती थी वह भाजपा के अग्रिम पंक्ति के नेताओं के साथ बैठता है पार्टी का स्टार प्रचारक होता है जिसको लेकर बिहार की राजनीति में ढेर सारी संभावनाएं जताई जा रही है। कई सारे लोगों को लगता है कि मनीष कश्यप के बारे में नहीं लिखा जाना चाहिए क्योंकि उन्हें लगता है कि वह आजीवन संघर्ष करते रह गए और 2 दिन में आया एक नया लड़का काफी आगे बढ़ गया हर क्षेत्र में और सबसे ज्यादा लोकप्रियता में मूल विषय पर आते हैं कई बार कई लोगों को मदद की जरूरत होती है आप और हम सोशल मीडिया पर पोस्ट डालते हैं अपने परिचित लोगों को फोन करते हैं मदद दिलवाने के लिए पर उतनी मदद नहीं मिल पाती जितनी की जरूरत उसे व्यक्ति क्यों होती है सरकारी हॉस्पिटलों से लेकर सरकारी कार्यालय तक में पहले करप्शन को ना आरजेडी ठीक कर सकती है और ना ही बीजेपी हम और आप भी इस सिस्टम के पीछे रेंज रहे हैं कहीं घूस देकर अपना काम करवा लेते हैं और कहीं पर भी के बल पर पर सोचिए आम आदमी के साथ क्या होता है।

ठहरिए आम आदमी की बात छोड़ दीजिए एक पत्रकार के साथ क्या होता है छपरा के हमारे पत्रकार मित्र थे जो अभी इस दुनिया में नहीं है पटना से प्रकाशित एक बड़े अखबार में उप संपादक थे दोनों किडनी फेल हो गई तो अखबार के प्रबंधन ने डेढ़ लाख रुपया देकर हाथ झाड़ लिया जो परिचित लोग थे उन्होंने 200 से 500 से ज्यादा मदद नहीं की। मित्र थे तो मेरा भी फर्ज बनता था कि मैं कुछ मदद करूं पर हजार 5000 से ऊपर कि हमारी भी हैसियत नहीं थी फिर मनीष कश्यप की याद आई मैं अनुरोध किया और मनीष कश्यप ने पोस्ट डाला वीडियो बनाया और आपको पता है 3 से 4 दिनों में ₹500000 उनके अकाउंट में आ गए यह होती है सोशल मीडिया की ताकत कोई व्यक्ति सोशल मीडिया पर बाद चेहरा है और लोगों की मदद कर रहा है तो पेट के दर्द की दवा आप खाइए। हर चीज में दामाद ढूंढना उचित नहीं सिर्फ अपने जात में दामाद ढूंढिए। कई बार ऐसे मौके आए जब मनीष कश्यप ने लोगों की मदद की और डिढौड़ा नहीं पीटा मधुबनी में एक पत्रकार की हत्या हो गई मनीष कश्यप जेल में थे और उसके परिवार को आर्थिक मदद दिलवाई ऐसे सैकड़ो प्रत्यक्ष उदाहरण है की सोशल मीडिया से कमाने वाला व्यक्ति अपनी कमाई का एक बड़ा हिस्सा लोगों की मदद में खर्च कर देता है

जो लोग विरोध करते हैं उन्हें भी सामने आना चाहिए और सच में यह बताना चाहिए कि वह जिनकी मदद कर रहे हैं वह उनके रिश्तेदार नहीं है मित्र नहीं है उनके जात के नहीं है। विचारधारा अलग होने के बावजूद भी हम उसे व्यक्ति को पसंद करते हैं जो समाज के लिए कुछ बेहतर कर रहा है शायद आपसे और हमसे ज्यादा। हालांकि कम समय में लोकप्रिय होने वाले लोगों को इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है और इसकी बड़ी कीमत मनीष कश्यप ने भी चुकाई है। मनीष अब पत्रकार से नेता हो गए हैं एक शुभचिंतक होने के नाते हम भी चाहते हैं कि वह उसे मुकाम पर पहुंचे और वहां से लोगों की मदद करें जहां उन्हें होना चाहिए। कुछ लोगों ने लिखा कि मनीष कश्यप भूमिहार है अब आप बताइए कि भूमिहार होना गुनाह है क्या समाज के नवनिर्माण में इस समाज का कोई योगदान नहीं क्या आजादी की लड़ाई से लेकर सामाजिक क्रांति तक में आप इतिहास को झुठला सकते हैं धर्म और जात पर हर इंसान को गर्व होना चाहिए पर जो समाज के सबसे वांछित लाचार और गरीब तबके की लड़ाई लड़ रहा है वही असली नायक है।

Share this post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

scroll to top