पंकज कुमार झा
कुछ तो स्तर रखिए अशोक कुमार पांडेय जी। चंद पैसे के निवाले के लिए इतना घटिया, वाहियात, असभ्य और बेहूदा आचरण … छि। जिस समाज में पैदा हुए, उसे बेचते रहने से, कश्मीर के अपने ही बाप-दादाओं के ज़ख्मों की तिजारत कर पेट नहीं भरा तो अब छत्तीसगढ़ में रक्त की तलाश में पहुचे हैं। पतित शब्द भी आप जैसों के लिए कम है।
70 लाख से अधिक महतारी के खातों में हर महीने पाबंदी से पैसे जा रहे हैं, यह नहीं दिखा आपको? पर अपने मालिक के लिये पूँछ हिलाने यहां पहुँच गये। एक साथ इतनी माताओं-बहनों के खाते में रिकॉर्ड समय में पैसा पहुंच रहा है, बिना किसी लीकेज के। वर्ष भर होने को आए लेकिन कोई एक मामला भी इस ऐतिहासिक योजना के विरुद्ध नहीं आया अभी तक। पर किसी एक व्यक्ति की शरारत को आपने इतना बड़ा मजाक का विषय बना दिया।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि जिस युवक ने यह शरारत की थी, उसे गिरफ्तार कर लिया गया है। 70 लाख डेटा इंट्री में एक कमी आपको दिखाई दी लेकिन शेष 6999999 सफलता पर आंखों में आपके भूपेश बघेल घुस जाते हैं!
सरकार की प्राथमिकता यह है कि पात्र तक पहुंचे। इस क्रम में कोई एकाध अपात्र या आपके जैसे कुपात्र तक पहुंच भी जाय तो ऐसे कुपात्रों के हलक में हाथ डाल कर जनता का पैसा वापस ले लिया जाय, यह दूसरी प्राथमिकता है, जैसा कि आपके पूज्यनियों से वापस लिया भी जा रहा है चावल, कोयला, शराब आदि घोटाले का पैसा। जेल भी भेजा जा रहा है आपके वैचारिक मालिकान को।
कितना बोझ सर पर रखोगे भाई! कैसे सो पाते होगे आपलोग अपने को इस तरह बेच कर। छिः।
देखो यह खबर और अगर रत्ती भर भी मानवता शेष हो, तो इसे भी ट्वीट करके थोड़ी सी ही सही प्रायश्चित कर लीजिये। हालांकि आपके जैसे डिजिटल लफ़ंगों से ऐसी उम्मीद बेमानी है। एक पढ़ा-लिखा व्यक्ति ऐसा सस्ता ट्रोल हो जाय, शर्म आती है सोच कर भी।