आम आदमी पार्टी (AAP) के बारे में यह सवाल कि क्या वह अब भी ‘आम आदमी’ की उस सोच का प्रतिनिधित्व करती है, जिस सोच को आगे रखकर 10 साल पहले उसका निर्माण हुआ था। दिल्ली वालों के बीच हुए सर्वेक्षण में 56 प्रतिशत लोग मानते हैं कि आज पार्टी उस सोच के साथ खड़ी नहीं है।
सर्वेक्षण के आंकड़े और धारणा
• 56% लोग मानते हैं कि AAP अब ‘आम आदमी’ का वैसे प्रतिनिधित्व नहीं करती जैसा उसने शुरुआत में किया था।
• केवल 14% लोग “कुछ हद तक सहमत हैं।
• 07% लोग तटस्थ हैं, और 8% “कुछ हद तक असहमत हैं।
AAP का बदलाव
• AAP ने एक भ्रष्टाचार-विरोधी आंदोलन से शुरुआत की और खुद को पारदर्शिता, जवाबदेही, और आम आदमी से जुड़े मुद्दों पर केंद्रित पार्टी के रूप में पेश किया।
• सत्ता में आने और शासन की चुनौतियों ने AAP को वास्तविक राजनीति के करीब ला दिया, जिससे उसकी विशिष्ट पहचान धुंधली हो सकती है।
मुख्य विशेषताएं
• AAP के समर्थकों का कहना है कि पार्टी आज भी शिक्षा सुधार, सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं का निर्माण, मुफ्त बिजली-पानी, और महिलाओं की सुरक्षा जैसे आम आदमी के मुद्दों पर काम कर रही है।
• यह दलील दी जाती है कि विपक्षी दल सिर्फ AAP पर आरोप लगाते हैं लेकिन आम आदमी के मुद्दों पर चर्चा नहीं करते।
जनता की धारणा में चुनौती
• विपक्षी दलों ने AAP को एक पारंपरिक राजनीतिक पार्टी की तरह दिखाने की कोशिश की है।
• भ्रष्टाचार के आरोप, आंतरिक विवाद, और शासन की जटिलताओं ने AAP की ‘पार्टी विद अ डिफरेंस’ वाली छवि को कमजोर किया है।
वोटर्स का मूल्यांकन
• अब वोटर AAP को उसकी परफॉर्मेंस के आधार पर आंक रहे हैं, न कि उसके मूलभूत विचार या विशिष्ट पहचान के आधार पर।