प्रसिद्ध कत्थक नृत्यांगना डॉ. कुमकुम धर और प्रसिद्ध संस्कृत साहित्यकार डॉ. हरेकृष्ण मेहेर संस्कार भारती के ’भरतमुनि सम्मान 2024’ से सम्मानित
नई दिल्ली, 23 फरवरी 2025: केन्द्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री श्री गजेंन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि भारत सांस्कृतिक पुनर्जागरण के दौर से गुजर रहा है और इस दिशा में आगे बढ़ते हुए हम सभी को सजग और सतर्क रहने की जरूरत है।
श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत संस्कार भारती के कार्यक्रम ‘भरतमुनि सम्मान-2024’ में उपस्थित कला एवं साहित्य क्षेत्र से जुड़े साधकों को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने लखनऊ कत्थक केन्द्र से दीक्षा प्राप्त प्रसिद्ध कत्थक नृत्यांगना डॉ. कुमकुम धर एवं आधुनिक संस्कृत साहित्य के प्रतिष्ठित कवि एवं गीतकार डॉ. हरेकृष्ण मेहेर को ‘भरतमुनि सम्मान-2024’ से सम्मानित किया। सम्मान के रूप में एक स्मृति चिन्ह, सम्मान पत्र एवं 1.51 लाख रुपए की राशि समर्पित की गई। श्री शेखावत ने कहा कि कला एवं संस्कृति के क्षेत्र में ‘भरतमुनि सम्मान’ से बड़ा कोई पुरस्कार नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि पुरस्कार विजेताओं ने पुरातन कला एवं संस्कृति को जीवंत रखने का काम किया है। भारत एक बार फिर सांस्कृतिक पुनर्जागरण के दौर से गुजर रहा है। हालांकि आगे बढ़ते हुए सभी को सजग एवं सतर्क रहने की भी आवश्यकता है।
‘भरतमुनि सम्मान 2024’ से सम्मानित कत्थक नृत्यांगना डा. कुमकुम धर ने कहा कि पंचम वेद से विख्यात नाट्य शास्त्र के रचियता महर्षि भरतमुनि सम्मान को पाकर वह अभिभूत है। इस सम्मान के लिये चुने जाने पर उन्होंने चयनसमिति का आभार जताया। उन्होंने कहा कि कला मानव चित्त को निर्मल और जीवन को अनुशासित करती है। कला साधना वाले मर्यादित और देशप्रेम के भाव वाले होते हैं।
भरतमुनि सम्मान – 2024’ से सम्मानित साहित्यकार डा.ॅ हरेकृष्ण मेहेर ने साहित्य जगत के प्रति संस्कार भारती के सम्मान को अत्यंत गौरव की बात बताया। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे संस्कृत साहित्य के लिये जो सम्मान दिया गया है, उससे में कृतज्ञ महसूस कर रहा हूं। यह मेरा सौभाग्य है।’’ यह देश और उनके प्रदेश ओड़ीशा के लिये गौरव की बात है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य सुरेश सोनी ने अपने सारगर्भित संबोधन में उपस्थित श्रोताओं को भारतीय कला-संस्कृति के लिए समर्पित होने का आह्वान किया। उन्होंने कहा महर्षि भरतमुनि ने जीवन भर साधना की, कठिन साधना से ही सफलता मिलती है। ऐसे ही दो साधकों को जिन्होंने जीवन भर कड़ी साधना की, उन्हें आज संस्कार भारती ने सम्मानित किया। उन्होंने कहा, ‘शब्द’ और ‘स्वरों’ की अपनी दुनिया है; रंग-रेखाओं की अपनी दुनिया है। वहीं भाव- भंगिमाओं की भी अलग दुनिया है। भरतमुनि के ‘नाट्यशास्त्र’ ने इन सभी को एक स्थान पर ला दिया।
गणित और संगीत ही पूरी दुनिया है। विश्व कल्याण के लिए मानव का संस्कारी होना आवश्यक है, संस्कार शून्यता रही तो कभी भी देश आगे नहीं बढ़ सकता और संपूर्ण भारत को संस्कारित करना ही संस्कार भारती का उद्देश्य है। इस दिशा में कला ही श्रेष्ठतम साधन है।
इस अवसर पर संस्कार भारती के अखिल भारतीय अध्यक्ष डॉ. मैसूर मंजूनाथ ने कहा कि महर्षि भरतमुनि को समर्पित इस सम्मान के लिए विशिष्ट कलाकारों और साहित्यकारों को सम्मानित करते हुए संस्कार भारती गौरवान्वित अनुभव कर रही है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने गत वर्ष बेंगलुरु में आयोजित ‘कलासाधक संगम’ में इस प्रतिष्ठित सम्मान देने का शुभारंभ किया था। प्रथम पुरस्कार मुंबई के चित्रकार श्री विजय दशरथ आचरेकर एवं लोककला क्षेत्र में सिंधुदुर्ग के श्री गणपत सखाराम मसगे को दिया गया था। यह वार्षिक सम्मान प्रतिवर्ष दो विधाओं में दिया जाता है। सम्मान के लिये संस्थाओं, कला विश्वविद्यालयों एवं व्यक्तिगत संपर्कों के आधार पर प्राप्त आवेदनों का निर्णायक मंडल द्वारा चयन किया जाता है।
पद्मश्री पंडित रामदयाल शर्मा, राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के निदेशक चितरंजन त्रिपाठी, कथक केंद्र निदेशक प्रणामी भगवती, नेशनल मॉडन आर्ट गैलरी निदेशक पूजा हल्ली, हरियाणा प्रान्त अध्यक्षा पद्मश्री सुमित्रा गुहा,अधिवक्ता सोशल एक्टिविस्ट सुबुही खान,सोशल एक्टिविस्ट प्रीति पाण्डेय और देश के नामचीन कला साधक और अनेक कला संस्थानों,साचि अध्यक्ष सहित समाजिक जगत डॉक्टर, प्रोफेसर विद्यार्थी आदि उपस्थित थे