मुकेश वशिष्ठ
संकट कभी भी समाधान के प्रयासों से बड़ा नहीं हो सकता। कुशल नेतृत्व की दृढ़ इच्छाशक्ति, सामूहिक प्रयास और चुनौतियों से टकराने का साहस हो तो संकट इतिहास के पन्नों में समेट सकते हैं। कोरोना काल के अनुभव ने इसे समझने और सीखने का मौका दिया है। हरियाणा जैसे राज्य के लिए एक अलग मायने में अवसर भी है, जिसमें वह अग्रणी राज्य बनने की अपनी योग्यता से आत्मनिर्भर हरियाणा की नई तस्वीर तैयार कर सकता है। इसकी झलक बजट में साफ दिखती है, जो करीब 10 महीने के कोरोना काल में ठप आर्थिक गतिविधियों के बाद पेश किया गया है। आंकड़ों में प्रदेश के विकास का खाका है, तो उन अरमानों का ताना-बाना भी, जो उस हरियाणा को आत्मनिर्भर बनाकर नई ऊंचाइयों पर ले जाने को उत्साहित है, जिसकी स्थापना हुए 54 साल बीत गए, लेकिन श्रम, संसाधन और अवसरों के बाद भी अग्रणी राज्यों की कतार में पीछे ही रहा।
इसमें कोई संदेह नहीं कि मनोहर सरकार बीते छह साल के कार्यकाल में प्रदेश की आर्थिक, सामाजिक हालत को सुधारने के लिए चरणबद्व तरीके से काम कर रही है। इसलिए विधानसभा चुनाव 2019 में जनता ने एकबार फिर मनोहर सरकार को सकारात्मक नीयत, प्रयास, ईमानदारी के साथ ई-गर्वनेंस के रूप में स्वीकारा। अपने दूसरे कार्यकाल के पहले बजट 2020—21 में सरकार ने एकबार फिर बुनियादी ढांचे पर पुर्ननिर्माण का कार्य शुरू किया। जिसमें खासकर कृषि, महिला सशक्तिकरण और आम लोगों तक सरकारी सेवाओं को आनलाइन तरीके से पहुंचाने के यशस्वी काम हुए। लेकिन, कोविड—19 महामारी ने अप्रत्याशित चुनौतियों को जन्म दिया। लॉकडाउन के दौरान पर्यटन समेत राजस्व प्राप्ति के लगभग सारे स्रोत बंद रहने से प्रदेश की आर्थिक सेहत बुरी तरह बिगड़ गई। वित्त वर्ष में सरकार को 20856.25 करोड़ की राजस्व हानि उठानी पड़ी। प्रति व्यक्ति आय में करीब 8093 रुपये की कमी आई। विकास दर में भी करीब 2.5 फीसद कम रही। अन्य मोर्चों पर भी ऐसी ही आर्थिक चुनौती दिख रही है। सरकार का राजकोषीय घाटा 24912.63 करोड़ रुपये रहा। लेकिन, आर्थिक स्रोत की कमी के बावजूद सरकार द्वारा पेश बजट दिल नहीं तोड़ता बल्कि समाज के गरीब एवं कमजोर वर्गों का उत्थान पर विशेष फोकस रखा गया।
वर्ष 2021—22 के लिए सरकार ने 1 लाख 55 हजार 645 करोड़ रूपये का बजट पेश किया। जो वर्ष 2020—21 से 13 प्रतिशत अधिक है। बजट के जरिये सरकार ने आम आदमी पर कोई नया टैक्स नहीं थोपा है। सरकार ने अंत्योदय पर पूरा ध्यान केंद्रित किया है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने नई योजना मुख्यमंत्री अंत्योदय उत्थान अभियान की शुरू करने की घोषणा की। जिसके अंतर्गत 1.80 लाख रुपये वार्षिक आमदनी वाले दो लाख निर्धनतम परिवारों की पहचान की जाएगी। सरकार उनके आर्थिक उत्थान को सुनिश्चिचत करने हेतु शिक्षा, कौशल विकास, रोजगार और स्व—रोजगार के लिए प्रयास करेंगी।बजट में कृषि एवं कृषि आधारित उद्योगों को मजबूत बनाए जाने का भी प्रस्ताव है। विशेष तौर पर फसल बीमा योजना को लेकर सरकार उत्साहित है। इस योजना के तहत, अब तक 13 लाख 27 हजार किसानों को क्लेम के रूप में 2980.74 करोड़ रूपये की राशि वितरित की गई। हरियाणा सरकार की “किसान मित्र योजना” की शुरूआत भी एक स्वागतयोग्य फैसला है। इस योजना में बैंकों की साझेदारी से प्रदेश में 1000 किसान एटीएम स्थापित करने की परिकल्पना है। हरियाणा सरकार वर्तमान में गेंहू, चना, सरसों, सूरजमुखी, धान, मक्का, बाजरा, मूंग और मूंगफली पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) दे रही है। कोविड—19 महामारी में भी सरकार ने रबी 2020—21 में 74.01 लाख मीट्रिक टन गेंहू और 7.49 लाख मीट्रिक टन सरसों की खरीद की। इसी तरह खरीफ 2020—21 के दौरान सरकार ने 56.07 लाख मीट्रिक टन धान और 7.76 लाख मीट्रिक टन बाजरे की खरीद की। सरकार ने बजट में एमएसपी पर खरीद जारी रखने का प्रावधान किया है। साथ ही 6.60 लाख मीट्रिक टन के अतिरिक्त कृषि उत्पाद भंडारण क्षमता को बढाने का निर्णय लिया है। सरकार प्रदेश के एक बड़े तबके को कृषि संबंधी गतिविधियों से बाहर निकालने का प्रयास कर रही है। बागवानी को लेकर प्रदेश सरकार की तैयारी इसी दिशा में जाता महत्वपूर्ण कदम है। बीते कुछ सालों में प्रदेश में 80.67 लाख मीट्रिक टन उत्पादन के साथ बागवानी क्षेत्र बढकर 4.78 लाख हेक्टेयर हो गया है। बजट में इस उत्पादन को तीन गुणा करने का लक्ष्य रखा गया है। मनोहर सरकार ने बजट के माध्यम से गुणवत्तापरक स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने का संकल्प दोहराया है। दवाईयों की उपलब्धता बढाने के साथ—साथ बुनियादी सुविधाएं, मानव संसाधन, उपकरणों को बढाया गया है। मनोहर सरकार ने वर्ष 2021—22 में सभी नागरिक अस्पतालों में कैथ लैब, एमआरआई और सीटी स्कैन की सेवाएं मुहैया कराने के साथ—साथप्रदेश में हेल्थ वेलनेस सेंटरों की स्थापना करने का प्रस्ताव है। वित्त मंत्री ने वर्ष 2021—22 के लिए 7731 करोड़ रूपये आवंटित करने का प्रस्ताव रखा है। यह प्रस्तावित परिव्यय वर्ष 2020—21 के अनुमान परिव्यय पर 20.2 प्रतिशत ज्यादा है। मनोहर सरकार ने बजट में 12वीं कक्षा तक फ्री शिक्षा व्यवस्था करने की घोषणा की है। इसके अलावा तीन से पांच आयु वर्ग के बच्चों के लिए सरकार की ओर से 4000 प्ले—वे स्कूल, 500 नए क्रैच, सभी खंडों में आदर्श संस्कृति स्कूल, अंग्रेजी माध्यम के राजकीय आदर्श संस्कृति स्कूल शुरू करने का प्रस्ताव रखा है। सरकारी स्कूलों के सौदर्यकरण करने एवं इन्हें आकर्षक बनाने के लिए उपयुक्त धनराशि, सभी स्कूलों की चारदीवारी, आरओ से शुद्व पेयजल मुहैया कराना भी सरकार की प्राथमिकता में है।
सुखद बात ये है कि, कठोर वित्तीय विवेकपूर्ण उपायों के कारण सरकार ने 8585 करोड रुपये का उधारी क्षमता का उपयोग नहीं किया। इसका शत-प्रतिशत श्रेय मुख्यमंत्री के अनुभव और विजन को दिया जाना चाहिए। असाधारण परिस्थितियों में असाधारण नीतियों की आवश्यकता होती है। चूंकि कोविड—19 महामारी के चलते सरकार ने अप्रत्याशित चुनौतियों का सामना किया। सरकार को आय और व्यय के अभूतपूर्व असंतुलन का सामना करना पड़ा। बावजूद इसके सरकार ने कोरोना पीड़ितों की मदद में अपने खजाने से भरपूर मदद की। इस पृष्ठभूमि में बजट गढ़ते हुए मनोहर सरकार के पास अवसर था कि वह कोरोना के सिर पर ठीकरा फोड़कर खुद बच निकलती, मगर सरकार ने इसके बजाय प्रदेश की उम्मीदों में रंग भरने का हौसला जुटाया। बजट में प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत से प्रेरित आत्मनिर्भर हरियाणा के लक्ष्य को आकार देने के प्रयास में कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, इंफ्रास्ट्रक्चर और महिला विकास जैसी प्राथमिकताओें के लिए स्थायी भाव की योजनाएं पेश करके सरकार ने चौंकाया ही है। यह कतई आसान नहीं था। जाहिर है, मनोहर लाल को एक तरफ प्रदेश के संसाधनों, खासकर कृषि पर भरोसा है, तो दूसरी ओर केंद्र सरकार पर। यह विश्वास भी बजट प्रस्ताव में साफ झलक रहा है।