26 मार्च 1971 को शेख़ मुजीबुर रहमान ने पूर्वी पाकिस्तान को अलग स्वतंत्र देश “बांग्लादेश” घोषित कर दिया था. पूर्वी पाकिस्तान की बगावत को रोकने के लिए पश्चिमी पापिस्तान (वर्तमान पापिस्तान) की सेना, पूर्वी पापिस्तान ( वर्तमान बांग्लादेश) की जनता पर अमानवीय अत्याचार कर रही थी.
पूर्वी पापिस्तान से लाखों की संख्या में शरणाथी भारत में आ रहे थे, जिनमे प्रताड़ित हिन्दुओ की संख्या बहुत ज्यादा थी. ऐसे में भारत्तीय जनसंघ ने सरकार से आग्रह किया कि- बांग्लादेश को स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता दी जाए, मगर इंदिरा गांधी ने इसे पापिस्तान का आंतरिक मामला कह दिया था.
भारत द्वारा बांग्लादेश को मान्यता देने की मांग को लेकर तब जनसंघ ने आंदोलन किया था. मगर इंदिरा गांधी का मानना था कि यह पाकिस्तान का अंदरूनी मामला है. सरकार पर दबाब बनाने के लिए जनसंघ ने जेल भरो आंदोलन भी चलाया था. जनसंघ के अनेकों कार्यकर्ता तब जेल गए थे.
बांग्लादेश में पाकिस्तान सेना द्वारा चुन चुन कर हिन्दू जनता पर अत्याचार किया जा रहा था लेकिन इसे भारत सरकार मुसलमानो का हिन्दुओं पर अत्याचार नहीं मान रही थी बल्कि इसे उर्दू भाषियों का बांग्लाभाषियों पर अत्याचार कह रही थी. इस बात को लेकर जनसंघ नाराज था.
प्रिंसटन यूनिवर्सिटी में राजनीति और अंतरराष्ट्रीय संबंध के प्रोफेसर जे. बास की किताब ‘The Blood Telegram: Nixon, Kissinger and a Forgotten Genocide” के मुताबिक भी वह युद्ध मूल रूप से पूर्वी पाकिस्तान में रह रहे हिंदुओं के खिलाफ हो रहा था.
कांग्रेसी बखान करते हैं कि- इंदिरा ने पाकिस्तान के दो टुकड़े किये थे जबकि हकीकत यह है कि- बांग्लादेश द्वारा 26 मार्च 1971 को अपने आपको पाकिस्तान से अलग घोषित किये जाने के बाद तब से लेकर 3 दिसंबर 1971 तक इंदिरा गांधी इसे पाकिस्तान का आंतरिक मामला ही मानती थी.
3 दिसंबर 1971 को भी इंदिरा गांधी कलकत्ता में लोगों को यही समझा रहीं थी. वो तो अति उत्साह में आकर पाकिस्तान ने 3 दिसंबर 1971 को भारत के कई शहरों पर एक साथ हवाई हमला (आपरेशन चंगेजखान) कर दिया और इसके कारण की भारत को पाकितान के साथ युद्ध का ऐलान करना पड़ा.
इंदिरा गांधी की सहेली पुपुल जयकर ने तो अपनी किताब में यहाँ तक लिखा है कि – आपरेशन चंगेज खान के बाद भी इंदिरागांधी युद्ध का ऐलान करने में संकोच कर रहीं थी. तब जनरल मानेकशा ने धमकी भरे स्वर में कहा था कि – युद्ध की घोषणा आप करती हैं या फिर मैं करूँ.
अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था कि हम न केवल मुक्ति संग्राम में जीवन की आहुति देने वालों के साथ हैं बल्कि हम इतिहास को भी एक नई दिशा देने का प्रयत्न कर रहे हैं. नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘बांग्लादेश की आजादी के लिए संघर्ष में शामिल होना, मेरे जीवन के भी पहले आंदोलनों में से एक था
मोदी जी उस आंदोलन के समय में कब से कब तक जेल में रहे थे ये तो वे या उनका PRO बता सकता है लेकिन यह सत्य है कि – बांग्लादेश को स्वतंत्र देश की मान्यता दिलाने के लिए जनसंघ ने जेल भरो आंदोलन चलाया और उसके अनेकों कार्यकर्ता जेल गए थे.
बांग्लादेश अपना स्वाधीनता दिवस 26 मार्च 1971 को मनाता है. बांग्लादेश को एक स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता देने वाला पहला देश भूटान था जबकि भारत ने 6 दिसंबर 1971 को बांग्लादेश को मान्यता दी थी. पाकिस्तान ने 1974 में स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता दी थी।