हट सकता है चावल के एक्सपोर्ट से बैन

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हाल में केंद्र सरकार ने 20 जुलाई को भारत से गैर-बासमती चावल के निर्यात पर बैन लगा दिया था। सरकार का कहना था कि चावल की बढ़ती कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए ये कदम उठाया गया है। लेकिन क्या यही एकमात्र वजह है चावल एक्सपोर्ट पर बैन लगाने की, क्या सरकार इस बैन को वापस लेगी?

इस बारे में नीति आयोग के सदस्य और कृषि अर्थशास्त्री रमेश चंद ने कहा कि भारत इस साल भी 2 करोड़ टन से अधिक चावल का एक्सपोर्ट करेगा। इससे देश की फूड सिक्योरिटी पर भी असर नहीं होगा। हालांकि भारत कौ ‘गैर बासमती सफेद चावल’ के एक्सपोर्ट को रोकना पड़ा है. इसकी वजह वैश्विक बाजारों में चावल की मांग का बहुत अधिक हो जाना है। अगर सरकार इस चावल के एक्सपोर्ट पर बैन नहीं लगाती तो देश से 3 करोड़ टन से ज्यादा चावल का निर्यात होता।

उन्होंने कहा कि जब से रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू हुआ है, तब से खाने-पीने की चीजों के दाम बेहताशा बढ़े हैं। पिछले 6 से 7 महीनों में चावल और चीनी के दाम इंटरनेशनल मार्केट में बहुत बढ़े हैं और इनकी डिमांड भी हाई है । इससे घरेलू बाजार पर असर पड़ने की संभावना थी. वहीं सरकार का दूसरे देश की सरकार के साथ होने वाला गैर-बासमती चावल का निर्यात अब भी जारी है।

नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद ने इकोनॉमिक टाइम्स को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि सरकार चावल के एक्सपोर्ट से बैन हटा सकती है। ये इंटरनेशनल मार्केट की डिमांड पर निर्भर करेगा।

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