मानव सभ्यता के विकास के क्रम में मानव को आज इस भौतिकवादी युग में मानसिक शान्ति हेतु ईश्वर आराधना अनिवार्य है। इस समाज में सनातन धर्म में ईश्वर आराधना के कई आयाम हैं। आज हम बात करेंगे गृहस्थ जीवन में समय समय पर किए जानेवाले पूजा पाठ के संदर्भ में। मीडिया स्कैन संवाददाता मुकेश ने इसी पूजा पाठ के संदर्भ में पंडित अरविन्द कुमार झा “अभय” से बातचीत की, जिसके प्रमुख अंश प्रस्तुत हैं
पंडित जी वर्तमान समय में पूजा पाठ का क्या औचित्य है?
जब कोई आपको किसी प्रकार की वस्तु प्रदान करता है तो आप उसका आभार मानते हुए उसे धन्यवाद देते हैं। तो उस सर्वशक्तिमान परम् कृपालु ईश्वर ने हमें ये अमूल्य जीवन, प्राणदायिनी मूल भूत तत्व प्रदान किया है जिससे हमारा अस्तित्व है। इस प्रकार के उपकार हेतु भगवान को विशेष रूप से धन्यवाद ज्ञापित करने की क्रिया ही पूजा है। इसलिए वर्तमान में पूजा पाठ बहुत ही अनिवार्य है।
पंडित जी हमें ये बताएं कि पूजा कब करवानी चाहिए?
साधारणतः सामान्य पूजा घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो या घर में सुख शान्ति हो , इसलिए किसी भी दिन जब मन में हो करवा लेनी चाहिए। सत्यनारायण कथा में स्पष्ट लिखा है कि इस पूजा के लिए कोई विशेष दिन या मुहूर्त की आवश्यकता नहीं है। हाँ राहु काल या निषिद्ध मुहूर्त को छाँटकर किसी भी दिन किसी भी समय में सामान्य पूजन करवा लेने चाहिए।
बाकी विशेष पूजा जैसे गृहप्रवेश, रुद्राभिषेक ग्रहशांति पूजन आदि में किसी जानकार से मुहूर्त निकलवा कर ही सम्पन्न करने चाहिए।
पंडित जी ये बताएं कि गृहप्रवेश का मुहूर्त तो पंचांग के लिखा होता है। तो क्या हम पञ्चाङ्ग में लिखे किसी मुहूर्त में गृहप्रवेश करवा सकते हैं?
मुकेश जी पञ्चाङ्ग में सालभर का मुहूर्त छपा होता है। उसमें आपके घर के दिशा जाने बिना सभी मुहूर्त छपा होता है। और गृहप्रवेश करते समय काल के दिशा का ज्ञान रखते हुए प्रवेश हेतु मुहूर्त निकाला जाता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार काल अर्थात राहु तीन महीने एक दिशा में वास करता है। मतलब तीन महीने पूरब, 3 महीने पश्चिम, 3 महीने उत्तर तो 3 महीने दक्षिण।
अब गृहप्रवेश का मुहूर्त निकलते समय ये ध्यान में रखा जाता है कि प्रवेश के समय काल सम्मुख या दाएं न हो। यदि ऐसा हो तो गृहप्रवेश को उचित समय तक रोक लगा दिया जाता है।
ऐसा नहीं कर यदि काल के सम्मुख या दाएं रहते गृहप्रवेश कर लिया जाय तो वह घर घर मे रहनेवालों के लिए जन, धन या स्वास्थ्य के हानि का कारक बन जाता है।
पंडित जी रुद्राभिषेक कब करवानी चाहिए?
मुकेश जी रुद्राभिषेक के लिए जो सबसे महत्वपूर्ण कदम है वो है शिववास देखना। यदि शिववास धरती पर है तो रुद्राभिषेक कर सकते हैं कल्याणकारी होगा। यदि आकाश या पाताल में है तो रुद्राभिषेक नहीं करना चाहिए ये अमंगलकारी होगा।
श्रावण मास में पूरे महीने शिववास धरती पर ही होता है इसलिए श्रावण मास में किसी भी दिन रुद्राभिषेक करवा सकते हैं। बाकी के महीने में शिववास धरती पर हो उस दिन करवा सकते हैं।
क्या घर में सुख शान्ति समृद्धि के लिए किसी भी दिन हवन करवा सकते हैं?
नहीं, ऐसा नहीं है। हवन के लिए अग्निवास देखा जाता है।
अग्निवास यदि भूलोक पर है तभी हवन यज्ञ किया जाना चाहिए। यदि अग्निवास धरती पर नहीं है तो उसदिन किया जानेवाला हवन कल्याण के बदले अहित ही पहुंचाता है।
हां यदि अग्निवास भूलोक में है उसदिन हवन करने से घर से नकारात्मक शक्ति का पलायन होकर सकारात्मक शक्ति का संचार होता है जिससे घर मे सुख शान्ति और समृद्धि स्थापित होते हैं।
किसी भी प्रकार के पूजा पाठ हेतु पंडित अरविन्द कुमार झा अभय से आप 9582348910 और 7011843387 पर सम्पर्क कर सकते हैं।