देश में होने जा रहे पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के दौरान ही विपक्षी पार्टियों द्वारा बनाए गए I.N.D.I.A.गठबंधन की विश्वसनीयता की पोल खोल कर रख दी है। पीएम मोदी को देश की सत्ता से हटाने और भाजपा नीत एनडीए गठबंधन को तीसरी बार सरकार बनाने से रोकने के लक्ष्य के साथ उतरा यह I.N.D.I.A.गठबंधन अपनी पहली परीक्षा में प्रश्नों के घेरे में आ गया है। इसका सबसे बड़ा आरंभ कांग्रेस तथा समाजवादी पार्टी के बीच मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों में सीट बंटबारे को लेकर हुई रार के रूप में बाहर निकल कर आ गया है। जिसको लेकर सपा प्रमुख अखिलेश यादव कांग्रेस को लेकर अपना आपा खोते दिखाई दिए । जिसके बाद उन्होंने I.N.D.I.A. गठबंधन के भविष्य को लेकर सार्वजनिक रूप से खुली चेतावनी भी जारी कर दी। इसके साथ-साथ अब
गठबंधन के एक अन्य साथी जेडीयू ने भी कांग्रेस को चौंकाते हुए मंगलवार 24 अक्टूबर 2023 को राज्य की 5 विधानसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए। इस तरह I.N.D.I.A. गठबंधन के क्षेत्रीय क्षत्रपों द्वारा अपने इस कदम से लोकसभा चुनाव पूर्व बने इस अवसरवादी गठबंधन के ऊपर प्रश्नचिन्ह खड़े कर दिए हैं। इससे पहले देश की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस द्वारा गठबंधन की एक अन्य सहयोगी आम आदमी पार्टी को किसी भी प्रकार की भाव न देते हुए अब तक अनदेखा किया है। जिसके कारण आम आदमी पार्टी राज्य की सभी विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ रही है। इस प्रकार यह I.N.D.I.A. गठबंधन अपने ही बोझ तले दबता दिखाई देने लगा है।
I.N.D.I.A. गठबंधन में दिखने लगी दरार
बता दें मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 में समाजवादी पार्टी तथा कांग्रेस पार्टी के मध्य सीट बंटवारे को लेकर शीर्ष स्तर पर हुई जमकर बयानबाजी से I.N.D.I.A. गठबंधन की दरार खुलकर बाहर आ गई है। विगत सप्ताह गठबंधन की आपसी कलह तब निकल कर बाहर आ गई जब सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने पत्रकारों से बात करते हुए यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय को सार्वजनिक रूप से चिरकुट नेता बता दिया था। इसके साथ ही कांग्रेस नेतृत्व पर जमकर बरसते हुए उसे धोखेबाज भी बता दिया था। उन्होंने बताया कि I.N.D.I.A.गठबंधन को लेकर कांग्रेस ने सपा के साथ धोखा किया है। इससे पहले अंदर ही अंदर सपा की कांग्रेस के साथ मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 में सीट बंटवारे को लेकर लगभग एक माह से बातचीत चल रही थी। जिसके लिए सपा की राज्य इकाई का एक प्रतिनिधिमंडल एमपी के 2 पूर्व मुख्यमंत्रियों कमलनाथ तथा दिग्विजय सिंह से जाकर मिला था। उसी प्रतिनिधिमंडल के एक सदस्य पू्र्व विधायक दीपनरायण सिंह यादव ने एक न्यूज चैनल से बात करते हुए खुलासा किया कि “मैं ही कई लोगों से बात किया हूं, मैं आदरणीय कमलनाथ जी से मिला 1 घंटे बात हुई बहुत सारी चीजों पर मैंने अपना पक्ष रखा…कि हम जो सीटें आपसे मांग रहे हैं उन सीटों पर हम कांग्रेस से लगभग 20 हजार सीटों से आगे हैं। उन सभी सीटों पर हम दूसरे नंबर पर हैं और कांग्रेस तीसरे नंबर पर है। हम कोई सीट ऐसी आपसे नहीं मांग रहे … जहां पर आप हम से आगे हैं। मेरी यही दिग्विजय सिंह जी से बात हुई, उन्होंने भी मुझे 1 घंटे समय दिया उनसे भी मैंने जो पक्ष रखा मैं यह कह सकता हूं और आप उनसे पूछ सकते हैं…वो सहमत थे हमारे पक्ष पर, लेकिन उसके बाद बात नहीं बनती है। तो क्या वजह है ये तो मैं नहीं कह सकता। वो तो वह बता सकते हैं कि वजह क्या रही ?” समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस ने उनको सीट देने की बात कही थी। जिसके लिए उसको 1 महीने तक लटका कर रखा। लेकिन अंत में आते आते उन्होंने एक भी सीट नहीं दी और बिना बताए कांग्रेस ने सभी सीटों पर अपने प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी। सपा ने अपने आरोपों में कहा कि जो बात 29 सीटों से लेकर आरंभ हुई वो 13,12 और यहां तक कि 6 सीटों तक भी आई । लेकिन 4 सीटों के बाद भी कांग्रेस की तरफ से मना कर दिया गया। दीपनरायण सिंह के अनुसार इसके बाद ही सपा ने अब तक प्रदेश की 42 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारकर अपनी मंशा स्पष्ट कर दी । उनका कहना है कि अभी और 10-15 सीटों के लिए प्रत्याशियों के नाम तय करने की अंतिम चयन प्रक्रिया जारी है।
अखिलेश ने बोला था कांग्रेस पर बड़ा हमला
बता दें इस घटनाक्रम के बाद ही सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने I.N.D.I.A.गठबंधन के भविष्य को लेकर कांग्रेस पर बड़ा हमला बोल दिया था। उन्होंने यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय को लेकर पत्रकारों के प्रश्न पर यहां तक कह दिया कि “किस नेता के बारे में आप बात कर रहे हैं ? (पत्रकारों के बताने पर कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष के बारे में)…प्रदेश अध्यक्ष की कोई हैसियत नहीं है। न वो पटना की मीटिंग में थे और न ही वो जाकर के मुंबई की मीटिंग में थे। I.N.D.I.A.के बारे में क्या जानते हैं ?क्या जानते हैं वो गठबंधन के बारे में? उनकी क्या हैसियत है कि वो जो ये बोल रहे हैं इस तरह की बात। मैं आपके माघ्यम से कांग्रेस पार्टी को कहना चाहता हूं कि अपने चिरकुट नेताओं से हमारी पार्टी के बारे में न बुलवाएं। ” जिस पर अजय राय ने भी अखिलेश यादव पर पलटवार करते हुए कहा कि ‘जो अपने बाप का सम्मान नहीं कर सका तो उससे और क्या उम्मीद की जा सकती है।’ साथ ही अपने कहे की माफी मांगते हुए सपा से यूपी में भाजपा को हराने के लिए कांग्रेस से साथ देने की भी अपील करते दिखाई दिए।
जदयू ने भी खड़ा किया कांग्रेस के लिए संकट
गठबंधन के दलों के मध्य हुए इस घटनाक्रम के बाद जदयू ने भी अपनी पार्टी का शक्ति प्रदर्शन करते हुए मध्य प्रदेश चुनाव 2023 में 24 अक्टूबर 2023 को राज्य की 5 विधानसभा सीटों पर प्रत्याशियों के उतरने की घोषणा कर कांग्रेस के लिए संकट खड़ा कर दिया। पार्टी ने कांग्रेस और सपा के सामने ही अपने 5 प्रत्याशियों को पिछोर, राघवगढ़, थांदला, राजनगर तथा पेटलावाद सीट से उतारकर कांग्रेस के सामने संकट खड़ा कर दिया। अब इस पर जेडीयू नेता नीरज कुमार ने इस पर सफाई देते हुए स्पष्ट कर दिया कि ‘कि विपक्षी I.N.D.I.A.गठबंधन का गठन लोकसभा चुनाव 2024 के संदर्भ में किया गया है। सीएम नीतीश कुमार ने विपक्षी नेताओं से सबसे पहले ही कहा था कि कांग्रेस के बिना विपक्षी एकता की बात नहीं की जा सकती। क्षेत्रीय पार्टी ने क्षेत्रीय स्तर पर ही निर्णय लिया । ऐसे में किसी राज्य में 2-4 सीटों पर चुनाव लड़ने से I.N.D.I.A.गठबंधन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ने वाला ।’
I.N.D.I.A.गठबंधन और उनके क्षत्रपों का शक्ति प्रदर्शन
बता दें वास्तव में लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर जिस I.N.D.I.A. गठबंधन का गठन किया गया। उसमें सम्मलित सभी पार्टियां भारी विरोधाभासों के बीच अपनी -अपनी दावेदारी को मजबूत करना चाहती हैं। इन 5 विधानसभा चुनावों को क्षेत्रीय पार्टियां लोकसभा चुनाव 2024 के पूर्व सेमीफाइनल के रूप में लेकर चल रही हैं। जिसके माध्यम से अपनी अपनी पार्टी के जनाधार को अधिक से अधिक राज्यों में बढ़ाकर I.N.D.I.A.गठबंधन में होने वाली सीटों की अधिक से अधिक सौदेबाजी करने का शक्तिप्रदर्शन करना चाहती हैं। क्यों कि इस समय I.N.D.I.A.गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस पार्टी ही है। जिसकी इस समय देश के 5 राज्यों में अपनी सरकार है। कांग्रेस भी जानती है कि गठबंधन में अपनी पकड़ बनाने के लिए उसे अपने जनाधार को किसी भी मूल्य पर बचाए रखना होगा। इसीलिए वह कांग्रेस शासित राज्यों में I.N.D.I.A.गठबंधन के सहयोगी दलों से कोई भी बड़ा जमीनी समझौता करने से बच रही है। इसी शक्ति प्रदर्शन का परिणाम है कि गठबंधन में निजी हित के स्वार्थपूर्ति हेतु रार बढ़ना आरंभ हो चुकी है। जिसकी चेतावनी अखिलेश ने यूपी के लिए कांग्रेस के सामने जारी कर दी।
अब इन्हीं विरोधाभासों के बीच कांग्रेस के रवैये को देखते हुए गठबंधन के अन्य क्षेत्रीय क्षत्रप दावेदारों जैसे ममता बनर्जी, उद्धव ठाकरे, शरद पवार, तेजस्वी यादव तथा एमके स्टालिन की भी रणनीति देखना रोचक होगा। कि वह भी अपने अपने राज्यों में कांग्रेस के लिए कितनी जगह छोड़ने के लिए तैयार होते हैं? या फिर जहां कांग्रेस सीधे सीधे वामपंथी, टीएमसी जैसी सत्ताधारी सहयोगियों के विपक्ष में है। जिस प्रकार सपा प्रमुख ने कांग्रेस को धोखेबाज बताया और कांग्रेस ने दिल्ली के सीएम तथा आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल के बार बार राहुल गांधी से मिलने के आग्रह को ठुकराया गया। उससे सभी गठबंधन क्षत्रपों की अपनी-अपनी निजी महत्वाकांक्षाएं I.N.D.I.A. गठबंधन के भविष्य पर अभी से बड़ा प्रश्न चिन्ह खड़ा कर रही है।