दिल्ली में एक ओर कई हिस्सों में वायु गुणवत्ता ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुंच गई है वहीं, शहर के अस्पतालों में ऐसे मरीजों की संख्या बढ़ गई है जो खांसी, गले में संक्रमण, आंखों में जलन और नाक बहने आदि से परेशान हैं। चिकित्सकों ने बताया कि यहां प्रदूषण के कारण कई रोगियों में मौजूदा ‘ब्रोन्कियल अस्थमा’ की स्थिति भी खराब हो गई है। उन्होंने कहा कि बढ़ते प्रदूषण का सभी आयु के लोगों पर प्रभाव पड़ रहा है।
सर्वे में पता चला है कि दिल्ली-एनसीआर में 38 प्रतिशत घरों में लोग सांस लेने में तकलीफ से ग्रस्त पाए गए हैं। इस सर्वे में 60 प्रतिशत ने अपने जवाब में कहा कि वह शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए बेहतर फूड्स ले रहे हैं। 50 प्रतिशत ने प्लान किया है कि वह एंटी पॉल्यूशन मास्क के जरिए जहरीली होती हवा से खुद को सुरक्षित रखने की कोशिश कर रहे हैं।
सर्वे में सामने आया कि सड़कों समेत अन्य निर्माण कार्य की वजह से धूल की मात्रा हवा में बढ़ रही है। साथ ही सड़कों की सफाई के दौरान भी धूल का प्रतिशत हवा में बढ़ रहा है। पावर प्लांट्स से भी प्रदूषण काफी बढ़ रहा है।