कतर में भी बजा भारत का डंका !!

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत की कूटनीति का डंका पूरे विश्व बज रहा है, इसी के परिणाम स्वरुप कतर से एक प्रसन्नतादायी समाचार आया है जिससे हर भारतवासी गर्व का अनुभव कर रहा है। कतर की जेल में बंद भारतीय नौसेना के आठ पूर्व अधिकारियों को मौत की सजा से राहत मिल गयी है।

दोहा स्थित अल दहरा ग्लोबल टेक्नोलाजी में कार्यरत भारतीय नौसेना के आठ पूर्व अधिकारियों को कतर में इजरायल के लिए जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था । इन नौसेनिक अधिकारियों में राष्ट्रपति स्वर्ण पदक विजेता कैप्टन नवतेज गिल के अलावा कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कमांडर पूर्णेंदु तिवारी,अमित नागवाल, एस के गुप्ता, कमांडर वी के वर्मा सुगुनकर पाकला और रागेश शामिल हैं। 26 अक्तूबर 2023 को कतर के एक न्यायालय ने इन अधिकारियों को फांसी की सजा सुनाई थी फिलहाल अब इन सभी अधिकारियों को फांसी की सजा से राहत मिल चुकी है हालांकि अभी वह सभी जेल में ही रहेंगे। भारत और कतर के मध्य एक ऐसा समझौता भी है जिसमें यह सभी भारतीय अपने ही देश की जेल में सजा को काट सकते हैं। भारत सरकार अपने पूर्व सैनिकों के परिवारो से संपर्क में है और उन्हें लगातार सहायता पहुचाई जा रही है।

कतर से यह समाचार ठीक उस समय आया जब कांग्रेस नागपुर में अपने स्थापना दिवस के अवसर पर एक बड़ी रैली का आयोजन कर रही थी और इस समाचार के आते ही कांग्रेस की रैली का मीडिया कवरेज हाशिए पर चला गया । कांग्रेस जैसे ही नकारात्मक विचारों के साथ प्रधरानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि धूमिल करने का प्रयास करती है वैसे ही सकारात्मक समाचारों के आ जाने से प्रधानमंत्री मोदी की छवि में और निखार आ जाता है ।

जब कतर की एक अदालत ने नौसेना के आठ पूर्व अधिकारियों को मौत की सजा सुनाई थी तब कांग्रेस सहित विपक्ष के कई नेताओं ने मोदी सरकार और उसके कामकाज करने के तरीके पर हल्ला बोल दिया था। कांग्रेस नेता मनीष तिवारी, प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत्र और अन्य नेताओं ने संसद से लेकर सोशल मीडिया प्लेटफार्म तक सभी जगह सरकार पर हमला बोला था। मनीष तवारी ने झूठा और मनगढंत आरोप लगा दिया था कि विदेश मंत्री और विदेश मंत्रालय ने न तो पूर्व नौसैनिकों के परिजनों की बात को गंभीरता से लिया और नहीं एक्स सर्विसमैन की बातों को। हैदराबाद से सांसद असदुददीन ओवैसी ने सोशल मीडिया पर कहा कि वह (प्रधानमंत्री) इस बात की शेखी बघारते हैं कि इस्लामी देश उनसे कितना प्यार करते हैं। भारत विरोधी एजेंडा चलाने वाले मीडिया समूह भी मनगढ़ंत समाचार चला रहे थे।

बहुत से मोदी विरोधी लोग इस घटनाक्रम को इजरायल- हमास युद्ध से जोड़कर भी देख रहे थे और कह रहे थे कि भारत जिस प्रकार से इजराइयल का समर्थन कर रहा है कतर की अदालत का यह फैसला भारत को भी जंग में फंसाने व परेशान करने के लिए आया है।
अब कतर की अदालत से नया फैसला आने के बाद मोदी विरोधी एजेंडाधारियों की आवाज कुंद पड़ गयी है। सभी कुतर्की विचार रखने वाले लागों को अब सटीक जवाब मिल गया है। कतर से आये फैसले से मोदी की गारंटी को और बल मिल गया है। मोदी विरोधी चाहे जो कहें किंतु यह बात तो तय है कि कतर की अदालत से यह फैसला प्रधानमंत्री मोदी की कूटनीति के कारण ही आया है। एक माह पूर्व ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कतर के शासक शेख तमीम बिन हमद अल धानी से दुबई में मुलाकात की थी ।

दो दिन बाद ही प्रधानमंत्री ने लिखा था कि दुबई में काप 23 सम्मेलन में कतर के अमीर से मिला था जिनसे द्विपक्षीय साझेदारी की संभावना और कतर में भारतीय समुदाय की भलाई पर हमारी अच्छी बात हुई है और एक माह बाद ही परिणाम सामने आ गया है।

कतर को शायद मोदी जी ने यह बता दिया होगा कि कतर की कुल आबादी में 40 प्रतिशत भारतीय हैं कतर आटा, दाल, चावल जैसी महत्वपूर्ण वस्तुएं तो भारत से ही लेता है।

यह मोदी की ही गारंटी है कि वह दुनिया किसी भी हिस्से से संकट में फंसे भारतीय नागरिकों को सुरक्षित निकाल कर ले आयेंगे। अफगानिस्तान में तालिबान संकट हो या रूस -यूक्रेन युद्ध या फिर इजरायल -हमास जंग सभी के बीच से भारत अपने नागरिकों को सुरक्षित निकालकर लाया यहीं नही भारत की मदद से दूसरे देशों के नागरिक भी सुरक्षित बाहर निकलने में सफल रहे।

विपक्ष को प्रधानमंत्री नरेंद्र मेदी की ओर से एक और झटका मिलने जा रहा हे क्योंकि वे 22 जनवरी 2024 को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा करवाने के बाद यूएई के अबूधाबी के बीएपीएस हिंदू मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में भी सम्मिलित होने जाएंगे यह प्राण प्रतिष्ठा समारोह 14 फरवरी 2024 को होना है। यह यूएई का पहला हिंदू मंदिर है जो 55 हजार वर्ग मीटर में बना है।

प्रधानमंत्री मोदी की कूटनीति और हिंदू नीति निरंतर आगे बढ़ रही है और कांग्रेस अपनी नकारात्मक विचारधारा के वशीभूत नकारा होती जा रही है।

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मृत्युंजय दीक्षित

मृत्युंजय दीक्षित

मृत्युंजय दीक्षित का लखनऊ में निवास है। वे लेखक, स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तम्भकार हैं

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