राम राज्य : तुलसीदासजी राम राज्य का सार प्रस्तुत कर रहे हैं

main-qimg-fd8f702b60ef961d430c69a194528ecf-lq.jpeg

बरनाश्रम निज निज धरम निरत बेद पथ लोग ,
चलहिं सदा पावहिं सुखहि नहि भय सोक न रोग!!

जब प्रत्येक व्यक्ति अपने वर्ण एवं आश्रम के धर्म के अनुसार जीवन व्यतीत करता है अथवा जब प्रत्येक व्यक्ति जीवन के विभिन्न चरणों के अनुसार अपने निहित कार्य उसी प्रकार करता है जैसा कि वेदों में परिभाषित है, जब कहीं भी किसी भी प्रकार का भय ना हो, दुख ना हो तथा रोग ना हो – वही राम राज्य है।

सबके सिया राम

अयोध्या के भव्य राम मंदिर में रामलला के विराजित होने की तैयारियां की जा रही हैं. राम मंदिर के इतिहास में बाबर से लेकर राम मंदिर तक लगभग 500 सालों का समय लगा. 9 नवंबर 2019 का दिन सुनहरे अक्षरों में दर्ज किया गया. जब सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों वाली बेंच ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया और विवादित जमीन हिंदू पक्ष को मिली.

भारतीय पौराणिक कथाओं में, रघुवंशियों को राजाओं के वंशज माना जाता है, जिनकी वंशावली सूर्य या सूर्य भगवान से मानी जाती है। ऐसा माना जाता है कि रघुवंशियों का वंश वृक्ष राजा मांधाता से शुरू हुआ था, जो पूरी पृथ्वी पर विजय प्राप्त करने के लिए जाने जाते थे, और आगे चलकर हरिश्चंद्र, सागर, भगीरथ, दिलीप, रघु, अज, दशरथ और राम (भगवान राम) तक पहुंचे।

भगवान राम का वंश वृक्ष ब्रह्मा से शुरू होता है जिन्होंने पीढ़ियों को आगे बढ़ाते हुए 10 प्रजापतियों (राजाओं) को बनाया। राम का जन्म दशरथ से हुआ जो वंशावली में 66वें स्थान पर थे। ऐसा माना जाता है कि उनके बाद उनके जुड़वां बेटे – लव और कुश आते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, लव ने दक्षिण कोसल पर शासन किया था जबकि कुश ने अयोध्या सहित उत्तरी कोसल पर शासन किया था।

यहां राजस्थान और यूपी के सात लोग हैं जिन्होंने राम की वंशावली पर दावा किया है।

अयोध्या से सटे पूरा बाजार ब्लाॅक व आसपास के 105 गांव के *सूर्यवंशी क्षत्रिय परिवार 500 साल बाद फिर एक बार पगड़ी बांधेंगे और चमड़े के जूते पहनेंगे। कारण- राम मंदिर निर्माण का इनका संकल्प पूरा हुआ*। इन गांवों में घर-घर जाकर और सार्वजनिक सभाओं में क्षत्रियों को पगड़ियां बांटी जा रही हैं। सूर्यवंशी समाज के पूर्वजों ने मंदिर पर हमले के बाद इस बात की शपथ ली थी कि जब तक मंदिर फिर से नहीं बन जाता, वे सिर पर पगड़ी नही बांधेगें, छाते से सिर नहीं ढकेंगे और चमड़े के जूते नही पहनेंगे। सूर्यवंशी क्षत्रिय अयोध्या के अलावा पड़ोसी बस्ती जिले के 105 गांव में रहते हैं। ये सभी ठाकुर परिवार खुद को भगवान राम का वंशज मानते हैं। सुप्रीम कोर्ट के राम मंदिर निर्माण के आदेश के बाद अयोध्या के इन गांवों में गजब का उत्साह है।

अयोध्या के भारती कथा मंदिर की महंत ओमश्री भारती का कहना है, ‘सूर्यवंशियों ने सिर न ढंकने का जो संकल्प लिया था, उसका पालन करते हुए शादी में अलग तरीके से मौरी सिर पर रखते रहे हैं, जिसमें सिर खुला रहता है। पूर्वजों ने जब जूते और चप्पल न पहनने का संकल्प लिया था, तब चमड़े के बने होते थे। लिहाजा खड़ाऊ पहनने लगे। फिर बिना चमड़े वाले जूते-चप्पल आए तो उन्हें भी पहनने लगे, लेकिन चमड़े के जूते कभी नहीं पहने गए। सूर्यवंशी क्षत्रियों के परिवार कोर्ट के फैसले से खुश हैं और उन्हें भव्य मंदिर बनने का इंतजार है और ऐसा होना भी चाहिए क्योंकि राम आपके चरित्र और जीवन के मार्ग को प्रशस्त करती है।

कवि जयराज ने लिखा था- *‘जन्मभूमि उद्धार होय ता दिन बड़ी भाग। छाता पग पनही नहीं और न बांधहिं पाग।’*

राम नाम लेने से आपके अंदर ऊर्जा का विस्तार होता है जो आपके हुनर और जीत का मार्ग प्रशस्त करती है।

रामायण को हिंदू धर्मका सबसे पवित्र ग्रंथ माना जाता है। इसके सभी पात्रों का अलग महत्व है। प्रभु श्री राम को हम भगवान के रूप में पूजते हैं और माता सीता को भी उनके साथ हमेशा पूजा जाता है। माता सीता प्रभु श्री राम की अर्धांगिनी थीं और महाराज जनक की पुत्री थीं, उन्हें लक्ष्मी जी का अवतार भी माना जाता है और ऐसा कहा जाता है कि जब विष्णु जी के अवतार के रूप में भगवान श्री राम ने धरती पर अवतार लिया तब माता सीता ने लक्ष्मी के अवतार के रूप में जन्म लिया।

अयोध्या की बाबरी मस्जिद में नवंबर 1858 में घुसकर कुछ समय तक वहां पूजा-पाठ और हवन करने वाले *निहंग सिखों के वंशज अब राम मंदिर के उद्घाटन के मौके पर लंगर चलाएंगे*. निहंग सिखों की आठवीं पीढ़ी के बाबा हरजीत सिंह रसूलपुर ने कहा कि वह अयोध्या में लंगर लगाकर भगवान राम के प्रति अपने पूर्वजों की भक्ति को आगे बढ़ाएंगे. दस्तावेजों के मुताबिक नवंबर 1858 में निहंग बाबा फकीर सिंह खालसा के नेतृत्व में 25 निहंग सिख अयोध्या में बाबरी मस्जिद में घुस गए थे और उसमें हवन किया था.
*गागा भट्ट ब्राह्मण*, जिनके वंशज कराएंगे रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा बाबर के वंशज बोले, अयोध्या में बने भव्य राम मंदिर।
*बाबर के वंशज बोले, अयोध्या में बने भव्य राम मंदिर*.

22 जनवरी 2024 को मृगशीर्ष नक्षत्र में होगी रामलला की प्राण प्रतिष्ठा, 5 दिन पहले शुरू होंगे विधि विधान।

बिनु सत्संग विवेक न होई।
राम कृपा बिनु सुलभ न सोई॥
सठ सुधरहिं सत्संगति पाई।
पारस परस कुघात सुहाई!!!

अर्थ : तुलसीदास जी कहते हैं सत्संग के बिना विवेक नहीं होता अर्थात अच्छा बुरा समझने की क्षमता विकसित नहीं होती है राम की कृपा अच्छी संगति की प्राप्ति नहीं होती है सत्संगति से ही हमें अच्छे ज्ञान की प्राप्ति होती है दुष्ट प्रकृति के लोग भी सत्संगति वैसे ही सुधर जाते हैं जैसे पारस के स्पर्श से लोहा सुंदर सोना बन जाता है।

( लेखक गौतम कुमार सिंह पेशे से अधिवक्ता हैं)

Share this post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

scroll to top