प्रेस क्लब ऑफ इंडिया, पत्रकार-पत्रकार, यू ट्यूबर-यू ट्यूबर में भेद करता है। यह भेद भाव नया नहीं है। दलित दस्तक और बोलता हिंदुस्तान के लिए उसकी करुणा जागृत हुई है। राहुल देव जैसे तमाम प्रगतिशील निष्पक्ष पत्रकार लिख रहे हैं इस संबंध में लेकिन कुछ दिनों पहले दिल्ली के यू ट्यूबर रचित कौशिक को पंजाब पुलिस ने उत्तर प्रदेश से लगभग किडनैप किया। किडनैप इसलिए क्योंकि उन्हें परिवार की आंखों के सामने उठाया गया और उठाने वालों ने यह तक बताना जरूरी नहीं समझा कि वे कौन लोग हैं और क्यों ले जा रहे हैं।
रचित का यू ट्यूब कई कई बार सस्पेंड हुआ। उसकी चर्चा इसलिए नहीं हुई क्योंकि वह किसी हल्ला गिरोह का सदस्य नहीं था। शांति से अपना काम कर रहा था और उसका काम दिल्ली के सर जी को पसंद नहीं आया। इसलिए पंजाब पुलिस के माध्यम से रचित को गिरफ्तार कराया गया।
प्रेस क्लब ने रचित के लिए तो स्टेटमेंट जारी नहीं किया। उसका पत्रकारों और यू ट्यूबर के लिए खड़े होते हुए दिखने का प्रयास, इतना सेलेक्टिव क्यों है?