आ गया, आ गया, ‘सनातन’ की मंगल बेला का टाइम आ गया

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मोहन चरण मांझी के मुख्यमंत्री बन जाने से परिवर्तन के शुभ संकेत साफ दिखाई दे रहे हैं। मुख्यमंत्री बनते ही उन्होंने पुरी में भगवान जगन्नाथ मंदिर के दर्शन करने के वे तीन द्वार खुलवा दिये हैं जो बंद कर दिये गये थे

अट्ठारहवीं लोकसभा का गठन पूरा हुआ और नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार ने शपथ लेकर अपना काम काज भी आरम्भ कर दिया। यद्यपि लोकसभा में संख्याबल कुछ कम पड़ जाने के कारण भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता व समर्थक कुछ उदास रहे किन्तु उड़ीसा, आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम की विधान सभाओं ने इस उदासी को उत्सव में बदलने का अवसर दे दिया। उड़ीसा और आंध्र प्रदेश के चुनाव परिणाम सनातन की मंगल वेला का संकेत हैं।

उड़ीसा विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी  को 147 सीटों में से 78 सीटों पर विजय मिली और वर्ष 2000 से 2024 तक लगातार मुख्यमंत्री रहे नवीन पटनायक जी को पराजय का मुंह देखना पड़ा। यह उड़ीसा में भारतीय जनता पार्टी की ऐतिहासिक विजय है। प्रदेश में भाजपा ने  मोहन चरण मांझी, जिनका राज्य में राजनैतिक संघर्ष का लम्बा समय  रहा है तथा जो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के निष्ठावान कार्यकर्ता रहे हैं को मुख्यमंत्री पद की बागडोर सौंपी है। मांझी 1997 से राजनीति सक्रिय हैं, एक मजबूत तेजतर्रार आदिवासी नेता हैं जिनका व्यापक प्रभाव है। मोहन चरण मांझी सरस्वती शिशु मंदिर में अध्यापक भी रहे हैं । माझी की  जनसाधरण से जुड़ने की असीम क्षमता ने आदिवासी क्षेत्रों में उन्हें विशेष लोकप्रियता दिलाई है। चार बार के विधायक के रूप  मे उन्हें राज्य की शासन प्रणाली की गहरी समझ है और उन्होंने इस क्षेत्र के लिए भाजपा की नीतियों को आकार देने मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।भारतीय जनता पार्टी ने मोहन चरण मांझी को मुख्यमंत्री बनाकर आदिवासी समाज को एक बडा संदेश दिया है ।
 आगामी दिनों में झारखंड में भी विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं जहां पर भारतीय जनता पार्टी  मांझी की  लोकप्रियता व प्रभाव का उपयोग कर सकती है। मोहन चरण मांझी के मुख्यमंत्री बन जाने से परिवर्तन के शुभ संकेत साफ दिखाई दे रहे हैं। मुख्यमंत्री बनते ही उन्होंने पुरी में भगवान जगन्नाथ मंदिर के दर्शन करने के वे तीन द्वार खुलवा दिये हैं जो कोविड काल में बंद कर दिये गये थे। ये बंद द्वार उड़ीसा विधानसभा चुनावों में एक बहुत बड़ा मुद्दा बनकर उभरे थे । अब मंदिर में जाने वाले भक्त चारों द्वार से प्रवेश कर  सकते हैं। चारों द्वार खोले जाने के बाद यह प्रश्न उठ रहा है  कि रहस्यों से भरे जगन्नाथ  मंदिर के इन द्वारों  को बंद क्यों किया गया था और इनको खोले जाने से  क्या बदलाव आने वाला है ?   जगन्नाथ मंदिर में कुल चार द्वार  हैं और ये सभी कभी बंद नहीं रहे, कोविडकाल मे इनको  बंद कर दिया गया था और श्रद्धालुओं की मांग के बाद भी इनको खोला नहीं जा रहा था। जिस द्वार से अभी भक्तों का प्रवेश था था उसका नाम सिंहद्वार है, जबकि एक द्वार का नाम व्याघ्र द्वार है जो पश्चिम  दिशा में है और आकांक्षा का प्रतीक माना जाता है यहां से साधु संत प्रवेश करते हैं। हस्ति द्वार का नाम हाथी पर है और यह उत्तर दिशा में है, हाथी धन की देवी लक्ष्मी का प्रतीक है। इस द्वार के  दोनों तरफ हाथी की आकृति बनी हुई है जिन्हें मुगलकाल में क्षतिग्रस्त कर दिया गया। दक्षिण दिशा में अश्व द्वार है।
घोड़ा इसका प्रतीक है। इसे विजय का द्वार भी कहा जाता है और योद्धा इस द्वार का उपयोग विजय के लिए करते रहे हैं।  जगन्नाथ मंदिर के चारों द्वार खुल जाने से अब भक्तो को आसानी से दर्शन  हो सकेंगे। इअके साथ ही मुख्यमंत्री मोहन चरण मांझी ने जगन्नाथ मंदिर के रखरखाव तथा अन्य कार्यों के लिए 500 करोड़ रुपये का  विशेष कोष भी बना  दिया है।हिन्दू धर्म के लोगों के लिए आंध्र प्रदेश  से भी अच्छा समाचारआया है कि मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद तिरुमला में प्रसिद्ध वेंकटेश्वर मंदिर में दर्शन -पूजन किया तथा पूर्ववर्ती जगन  सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि जगन सरकार ने तिरुपति देवस्थानम का व्यसायीकरण कर दिया था, सरकार दर्शन के टिकट की ब्लैक मार्केटिंग कर रही थी जिसे अब ठीक किया जाएगा। जगन सरकार में मंदिर के प्रसाद की गुणवत्ता में काफी गिरावट आ गई थी और महंगा भी हो गया था अतः मंदिर के प्रसाद की गुणवत्ता को ठीक करते हुए उसे सस्ता किया जायेगा।चंद्रबाबू नायडू ने कहाकि पिछली सरकार में मंदिर को जुआ, शराब व मांसाहार का केंद्र बना दिया गया था जो कि अब नहीं चलेगा। उन्होंने कहाकि अब तिरुमला देवस्थानम की सफाई की जायेगी क्योंकि यह मंदिर पूरी तरह से सनातनी हिन्दुओं का है और रहेगा। ज्ञातव्य है कि जगन सरकार में मंदिर का ट्रस्ट ईसाइयों के हाथ में चला गया था ।
उड़ीसा और आंध्र प्रदेश की छद्म धर्मनिरपेक्ष  ताकतों को यह दृश्य पसंद नही आयेगा क्योंकि वह तो जानते हैं कि  आंध्र पदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू सेक्युलर नेता हैं और मुस्लिम आरक्षण के प्रबल समर्थक हैं  किंतु यहां पर यह बात भी ध्यान देने योग्य है कि वह सनातन विरोधी भी कतई नहीं हैं। अभी आगे आने वाले दिनों में आंध्र और उड़ीसा के मुख्यमंत्री सनातन को कुछ और अच्छे समाचार  देंगे। विगत पांच वर्षो में विपक्ष में रहकर आंध्र प्रदेश की तेलुगूदेशम पार्टी ने वहां के मंदिरों व संत समाज की सुरक्षा के लिए काफी  कार्य व आंदोलन किया है। उधर उड़ीसा में इस बात की प्रबल संभावना है कि समान नागरिक संहिता व धर्मांतरण पर लगाम  लगाने के लिए एक व्यापक कानून आए ।एक अच्छा समाचार यह भी है कि तेलूगुदेशम पार्टी के नेता राममोहन नायडू  मंत्री पद की शपथ लेने के बाद जब अपने कार्यालय पहुंचे तब उन्होंने सबसे पहले 21 बार ॐ श्रीराम लिखा और उसके बाद पहली फाइल पर हस्ताक्षर किये। नायडू को नागरिक उड्डयन मत्री बनाया गया है, उनके पिता एर्नाकुलम से बहुत ही कम आयु में सांसद बने थे राम मोहन नायडू के पिता रामभक्त थे तथा राजनीती में  चंद्रबाबू नायडू के बहुत करीबी थे।राम मोहन नायडू एक युवा सांसद हैं और वह चाहते हे कि देश  के गरीब नागरिक भी हवाई जहाज में यात्रा कर सकें।
तेलुगुदेशम पार्टी  के सांसद का ॐ श्रीराम लिखना सेक्युलर विचारकों के लिए हैरान करने वाला रहा। जगन्नाथ मंदिर के सभी द्वार खुलने और तिरुपति देवस्थानम की पवित्रता वापस लाने के प्रयासों से से चारों  दिशाओं में सनातन  का डंका बजने वाला है। प्रेषक – मृत्युंजय दीक्षित फोन नं.- 9198571540[20/06, 12:51 pm] Mrityunjay Dixit Lucknow Whatsapp Group: किसानों और गरीबों के साथ, फिर भाजपा सरकार  मृत्युंजय दीक्षित 18वीं लोकसभा के गठन तथा तदुपरांत शपथ ग्रहण के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में राजग गठबंधन की सरकार ने अपना कामकाज प्रारम्भ कर दिया है ।कठिन चुनौतियों में भी अवसर खोजने वाली भाजपा व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपना संकल्प पत्र अमल में लाकर राजनैतिक गणित ठीक करने का अभियान भी आरम्भ कर दिया है। राजनैतिक विश्लेषकों का कहना है कि नए दौर की भारतीय जनता पार्टी सदा चुनावी मोड में रहती है विशेष रूप से मोदी जी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से भाजपा सदा सक्रिय रहती है, वो बात अलग है कि चुनावों में कभी सफलता मिलती है और कभी नहीं भी मिलती है। वर्तमान लोकसभा में भापजा को 241 सीटें प्राप्त हुई हें और उसे उप्र, राजस्थान, हरियाणा और महाराष्ट्र में अच्छा खासा नुकसान हुआ है किंतु प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में तनिक भी विलम्ब न करते हुए, भाजपा ने  सब कुछ ठीक करने के लिए कमर कर कर अभियान आरम्भ कर दिया है।
लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने पहली फाइल पर हस्ताक्षर करके  किसानों  की सम्मान निधि की अगली किश्त को मंजूरी दी वहीं कैबिनेट ने अपनी बैठक में गरीबों के लिए 3 करोड़़ आवास बनाने का निर्णय लिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद जहां जी 7 में भाग लेने के लिए इटली गये वहीं भारत में उन्होंने सर्वप्रथम अपने संसदीय क्षेत्र काशी की यात्रा की और किसानों को सम्मान निधि जारी करते हुए मतदाताओं को धन्यवाद दिया। प्रधानमंत्री ने काशी में बन रहे स्टेडियम की प्रगति का अवलोकन भी किया। काशी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  व उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पूरी तरह से साथ तथा तनाव मुक्त दिखे  और साथ ही अपनी अगली अग्निपरीक्षा के लिए तैयार भी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने  संसदीय क्षेत्र वाराणसी से किसान सम्मान निधि के तहत 20 हजार करोड़ रुपये किसानों के खाते में डाले। अभी जब विपक्ष यही दिखाने में जुटा हुआ है कि इस बार बीजेपी का अपने दम पर बहुमत नहीं है तब बीजेपी मतदाता अभिनंदन यात्रा के माध्यम से यह बताने के लिए जुट रही है कि  ऐतिहासिक रूप से तीसरी बार सरकार बनाने का अवसर जनता ने भाजपा को ही दिया है।  आंकड़ों के अनुसार विगत चुनावो में भाजपा के पास ग्रामीण इलाके की 201 सीट थीं जबकि पार्टी इस बार ग्रामीण क्षेत्रों में मात्र 126 सीट ही जीत पाई है।  माना जा रहा है कि  किसानों, युवाओं और  महिलाओं का एक बड़ा वर्ग इस बार किसी न किसी कारण से भाजपा से नाराज हो गया था और उसकी सीटें काफी कम हो गयी हैं।  यही कारण है  कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी से किसान सम्मेलन के माध्यम से भारतीय जनता पार्टी के नाराज मतदाता को मनाने के साथ ही कई समीकरण साधने  व संदेश देने का प्रयास किया है।
 प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि 18वीं लोकसभा के लिए हुआ ये चुनाव भारत के लोकतंत्र की विशालता को, लोकतंत्र के सामर्थ्य को, भारत के लोकतंत्र की व्यापकता को, भारत के लोकतंत्र की जड़ों  की गहराई को दुनिया के सामने पूरे सामर्थ्य के साथ प्रस्तुत करता है। उन्होंने अपने संबोधन में एक बार फिर कहा कि मां गंगा ने मुझे गोद लिया है मैं यही का हो गया हूं। प्रधानमंत्री ने कहा कि मैंने किसान, नौजवान, नारी शक्ति और गरीब को विकसित भारत का मजबूत स्तंभ माना है और सरकार बनते ही सबसे पहले और सबसे बड़ा किसान और गरीब परिवारो से जुड़ा फैसला लिया है। उन्होंने बताया कि आज 3 करोड़ बहनों को लखपति दीदी बनाने के लिए भी बड़ा कदम उठाया गया है।
कृषि सखी के रूप में  बहनों की नई भूमिका उन्हें सम्मान और आय के लिए नये साधन दोनो सुनिश्चित  करेगी। कृषि निर्यात मे हमें और आगे जाना है। किसान सम्मेलन को उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी संबोधित किया और प्रदेश के किसानों को बड़ा संदेश देते हुए उनकी नाराजगी को कम करने का प्रयास किया है ताकि उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा  उपचुनावों तक किसानों की नराजगी को कम करके लाभ लिया जा सके। कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कृषि व किसानों के लिए बहुत बड़ी बाते कही हैं उनका कहना है कि खेती हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और किसान आत्मा।

किसान भगवान के रूप हैं।इसी को ध्यान में रखकर सरकार किसानों के हित के लिए बहुत काम कर रही है। 2024 के लोकसभा चुनावों में ग्रामीण क्षेत्रों में हुए नुकसान को देखते हुए बीजेपी ग्रामीण क्षेत्रों में अपना विशेष अभियान चलाने जा रही है। आगामी दिनों में  हरियाणा, महाराष्ट्र, झारखंड और जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। जिसमें हरियाणा की 90 में से 35 सीट का फैसला किसान करते हैं झारखंड की 81 मेंसे 31 सीटों पर भी किसान असरकारी है जबकि महाराष्ट्र में 288 विधानसभा सीटों मे से 134 सीटें ऐसी हैं जहां किसान चुनाव परिणामों पर सीधा असर डालते हैं। भारतीय जनता पार्टी मतदाताओं को आभार जताने के लिए मतदाता अभिनंदन यात्रा भी निकालेगी। स्पष्ट है भाजपा एक गतिमान पार्टी है और वह अपने कार्यकर्ताओं को भी गतिमान बनाए रखना जानती है।

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मृत्युंजय दीक्षित

मृत्युंजय दीक्षित

मृत्युंजय दीक्षित का लखनऊ में निवास है। वे लेखक, स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तम्भकार हैं

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