विश्व हिंदी साहित्य परिषद के कार्यालय में मित्रो बैठकबाजी

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आशीष कंधवे

बैठक की शुरुआत सामान्य अभिवादन और पुराने किस्सों से हुई। जैसे-जैसे बातचीत आगे बढ़ी, विभिन्न विषयों पर चर्चा होने लगी

नई दिल्ली/रविवार/ 14 जुलाई 2024 : लगभग एक से डेढ़ वर्ष के बाद के बाद, विश्व हिंदी साहित्य परिषद के कार्यालय में पुराने मित्रों की एक लंबी बैठकबाजी चली। विश्व हिंदी साहित्य परिषद का कार्यालय अर्थात मेरा निजी कार्यालय साहित्यिक बैठकों के लिए हमेशा चर्चा में रहता है। इसी परंपरा को बचाए रखने के लिए आज परिषद के कार्यालय में अमेरिका से आए सुप्रसिद्ध समाजसेवी हिंदी से भी उद्योगपति इंद्रजीत शर्मा, विख्यात हास्य कवि शंभू शिखर, हंसराज महाविद्यालय के सहायक आचार्य डॉ विजय मिश्रा, और सुप्रसिद्ध राष्ट्रवादी पत्रकार एवं चिंतक आशीष “अंशु” उपस्थित थे। इस बैठक में मैं आशीष कंधवे, भी शामिल था।

बैठक की शुरुआत सामान्य अभिवादन और पुराने किस्सों से हुई। जैसे-जैसे बातचीत आगे बढ़ी, विभिन्न विषयों पर चर्चा होने लगी। देश की वर्तमान राजनीतिक, सांस्कृतिक और शैक्षणिक स्थिति पर गंभीर चर्चाएं हुईं। इन चर्चाओं ने बैठक को गहनता और गंभीरता प्रदान की।

डॉ विजय मिश्रा, जो मेरे छोटे भाई जैसे हैं, ने शैक्षणिक स्थितियों पर अपने विचार से अपनी बात शुरू की और बातों के प्रवाह में अनेक विषयों पर टिप्पणी करते हुए समोसे पर आकर रुक गए। इंद्रजीत शर्मा ने अमेरिका में भारतीय साहित्य के प्रचार-प्रसार पर अपने अनुभव साझा साझा करते हुए हाल ही में संपन्न कवि सम्मेलन पर चर्चा की। भाई आशीष अंशु ने राष्ट्रवाद और पत्रकारिता के क्षेत्र में अपनी जानकारी और अनुभवों का आदान-प्रदान करते हुए सामाजिक सांस्कृतिक और राजनीतिक स्थिति का सटीक विश्लेषण किया। हम कह सकते हैं कि सभी ने अपने-अपने दृष्टिकोण से वर्तमान स्थिति पर विचार व्यक्त किए।

इस दौरान, छोले-भटूरे, समोसे, लड्डू और चाय की मेजबानी ने चर्चा को और भी रोचक बना दिया। इन स्वादिष्ट व्यंजनों ने माहौल को और भी जीवंत और चटपटा बना दिया।

जैसे-जैसे चर्चा अपने चरम पर पहुंची, गंभीरता का आवरण हटाने का समय आ गया। विख्यात हास्य कवि और मेरे प्रिय भाई शंभू शिखर ने अपनी हास्य कविताओं और चुटकुलों से माहौल को हल्का और हंसी-खुशी से भर दिया। उनकी कविताएं और चुटकुले सभी को हंसी-मजाक और आनंद की ओर ले गए, जिससे सभी तनाव और गंभीरता कुछ देर के लिए छूमंतर हो गए।

बैठक का अंत सभी मित्रों के हृदय में गर्मजोशी और एकता की भावना के साथ हुआ। इस प्रकार की बैठकों से न केवल मित्रता और भाईचारे की भावना प्रबल होती है, बल्कि साहित्य, संस्कृति, और समाज के विभिन्न पहलुओं पर गहन विचार-विमर्श का भी अवसर मिलता है।

कुल मिलाकर, यह बैठक एक सफल और आनंदमयी अनुभव रही। सभी मित्रों के साथ बिताए गए ये पल हमेशा स्मरणीय रहेंगे, और भविष्य में भी इस प्रकार की और भी सार्थक चर्चाओं की आशा है।

यह और बात है कि इस चर्चा पर चर्चा के समापन के 10 मिनट के बाद देश के सुप्रसिद्ध गज़लकार भाई सुशील ठाकुर भी कार्यालय में पहुंचे । हंसी ठाकुर का एक और दूर चला परंतु समय की बाध्यता के कारण उनकी गजलों का आनंद आज हम नहीं ले पाए।

देखिए अपना कब ऐसे बैठक का अवसर मिलता है तब तक के लिए सभी मित्रों का आभार नमस्कार।

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