कथक धरोहर का सफल आयोजन

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शशिप्रभा तिवारी

कथक यात्रा-गुरु कृपा ही केवलम नृत्य समारोह का आयोजन दिल्ली के स्वामी विवेकानंद सभागार में आयोजित था। इस समारोह का आयोजन कथक धरोहर ने किया था। इस संस्था के संस्थापक कथक नर्तक सदानंद विश्वास हैं।

कथक यात्रा गुरुकृपा ही केवलम में युवा कलाकारों ने शिरकत किया। उनकी मोहक नृत्य और दमदार प्रदर्शन से यह एक बार फिर साबित हुआ कि युवा अपनी मेधा और ऊर्जा का सही दिशा में प्रयोग कर नई मिसाल कायम कर सकते हैं। यह भी अनोखी बात थी कि समारोह में ज्यादातर कलाकार किसी घराने या परिवार से नहीं थे। संयोगवश आयोजक सदानंद भी ऐसे ही हैं।

समारोह की पहली प्रस्तुति कथक नृत्यांगना श्रुति सिन्हा की शिष्याओं की थी। शिष्याओं ने गुरु वंदना-गुरु चरणन में शीश नवाऊं, रचना- बन बन ढूंढन जाऊं और तराने पर नृत्य पेश किया। तराने में शुद्ध नृत का अंश समाहित था।

दूसरी पेशकश कथक नृत्यांगना मानसी मेहता की थी। वह कथक नृत्यांगना गौरी दिवाकर की शिष्या हैं। उन्होंने रचना -छूम छनन छनन बाजत पैंजनियां पर नृत्य किया। उन्होंने अपने नृत्य में छंद राधा संग रमत राधा में राधा और निरतत निरत करत कृष्ण में कृष्ण का चित्रण सरस अंदाज में किया।

कथक नर्तक अभिषेक खींची के शिष्य-मंडली की प्रस्तुति आकर्षक थी। उनके नृत्य में गणेश वंदना और धमार ताल में निबद्ध शुद्ध नृत दमदार थी। टुकड़े, तिहाई, लयकारी को बखूबी पेश किया।

कथक नर्तक अभिषेक यादव ने शिव पर आधारित रचना में शंकर के रौद्र रूप का निरुपण किया। उन्होंने इसके लिए रचना शंकर अति प्रचंड का चयन किया था। कथक नृत्यांगना रीतिका ने गणेश वंदना पेश किया। स्वाती सिन्हा की शिष्या रूचिका ने शिव वंदना और तीन ताल में शुद्ध नृत पेश किया। उनके नृत्य में शिव परण, लयकारी और इक्कीस चक्करों का प्रयोग खास दिखा। कथक नर्तक अमन पांडे ने मोहक नृत्य पेश किया। उन्होंने शिव स्तुति पेश किया। इसमें शिव तांडव स्तोत्र के अंश, शिव अर्धांग उमा विराजे, ध्रुपद शिव शिव शंकर आदि देव को पिरोया गया।

कथक नृत्य युगल निशांत और वंदना गुप्ता की शिष्य मंडली ने विष्णु वंदना से नृत्य आरंभ किया। उन्होंने तीन ताल में शुद्ध नृत पेश किया।

(साभार)

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