दलित हितैषी बनने का पाखंड

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महेंद्र शुक्ला

संविधान की प्रति लिऐ इस व्यक्ती का नाम राहुल गांधी जाती ब्राह्मण बताते है आज जिस बेशर्मी से ये संविधान की प्रति हाथ में ले कर खड़ा है वो इसकी पारिवारिक धूर्तता का एक उदाहरण है, ये वो लोग है जिन्होंने संविधान निर्माता बाबा साहिब को उनके जीते जी उनको सदन में प्रवेश नही करने दिया , बाबा साहिब आजाद भारत के सर्वोच्च सदन में आने की अपनी प्रबल इक्षा लिए इस दुनियां से विदा हो गए, नेहरू के धन बल और षड्यंत्रों का शिकार बने पहला चुनाव बाबा साहिब के पीए को ही खरीद लिया नेहरू ने और बाबा साहिब के खिलाफ खड़ा करा दिया और दलित समाज को खटा खट टाइप योजनाओं (फर्जी टाइप) से बरगला कर भ्रमित करने के सफल हो गए।

इसी सीट पर पुनः उप चुनाव हो गए पूरे देश की नज़र थी बाबा साहिब की जीत पर की वे जीते और उस आजाद भारत के पहले सदन की गरिमा बढ़ाए जिसका संविधान उन होने रचा पर पुनः कॉन्ग्रेस पार्टी और नेहरु ने उनको जीत से वंचित किया समाज को भ्रमित कर बाबा साहिब 15 हजार वोट से चुनाव हार गए और अपनो के बीच ! समाज खटा खट योजनाओं के लालच में फस गया जेसे आज जिसने ओबीसी समाज से आने वाले सीता राम केसरी को अध्यक्ष रहते सोनिया माता को अध्यक्षा बनाने के लिए अपमान पूर्वक कार्यलय के बाहर फिकवा दिया।

ये उस परिवार से है जिसने बाबा साहिब को इतना अपमानित किया के उनको1951 में सदन से दुखी और अपमानित हो कर इस्तीफा देना पड़ा और बेशर्मी की सीमा पार करते हुवे उनके त्याग पत्र को भी पीएमओ ऑफिस से गायब करवा दिया ताकी आने वाली पीढ़ी को अंबेडकर का दर्द तक न पता चले।

जितना अपमान हो सकता था दलित समाज से आए इस महापुरुष का नेहरू ने उनके मरते दम तक किया यही नहीं रुकी धूर्त परिवार की धूर्तता संविधान की हत्या इसी परिवार ने इमरजेंसी लागा कर की और उसकी मूल आत्मा तक को बदल डाला। ये वही लोग हैं जिन्होंने 2019 तक कश्मीर में संविधान लागू नहीं होने दिया आज आजादी की 77 साल बाद कश्मीर में त्रि स्तरीय पंचायत व्यवस्था के अंतर्गत चुनाव संपन्न होने जा रहे ये लोकतंत्र और संविधान स्थापना का एक बहुत बड़ा कार्य है जिसके आप हम गवाह बनेंगे।

और इसी व्यक्ती ने आकर फीर खुली घोषणा की है चुनाव जीते तो फीर इस संविधान को उखाड़ फेकेंगे और धारा 370 वा 35A पुनः स्थापित करेगे ताकी फिर इस देश में दो विधान और दो प्रधान और दो निशान हो सके।

दलित समाज के लिए अमानवीय व्यवस्था को आजादी के बाद 2019 तक इस परिवार ने समर्थन और ताकत दी 35A के माध्यम से जिसके तहत ~
दलित समाज का बच्चा सिर्फ कूड़ा उठाने की नौकरी ही कर सकता है दूसरे किसी विभाग में आवेदन भी नही कर सकता और आज ये पाखंडी दलित हितैषी बना है खटा खट अपमानित करने का कोई मौका जाने नही देता अभी हाल बयान दिया मिस यूनिवर्स मिस इंडिया कोइ दलित लडकी नही बनी ।

ये कह कर हीन भाव का और कुंठा का मानसिक अपमान का भाव ही पैदा कर रहा है जरूरत है इस के असली चेहरे को समझने की ये न दलित हितैषी है न देश का हितैषी ये धूर्त परिवार की परम्परा का एक संस्करण है जिसको पप्पू कहते है।

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