राहुल फाइल्स कब बनेगा?

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राहुल गांधी बहुत चतुर हैं, और वह वैसे नहीं हैं जैसे वह दिखते हैं। लोकसभा चुनाव के दौरान वह पूरे भारत में जाति सर्वेक्षण कराने पर मुखर थे और जाति आधारित आरक्षण की वकालत की थी। वह बता रहे थे कि मौजूदा मोदी सरकार आरक्षण खत्म करना चाहती है और उन्होंने जाहिर तौर पर संविधान खतरे में होने का अनुमान जताया है। अब राहुल गांधी आरक्षण को खत्म करने की जरूरत बता कर खबरों में आ गए हैं। अब समय आ गया है कि सिनेमा निर्माताओं और निर्देशकों को पप्पू फ़ाइल का सिनेमा बनाना चाहिए। राहुल गाँधी पप्पू बनकर सभी को पप्पू बना रहे हैं।

पप्पू फाइल्स पर कोई भी फिल्म व्यावसायिक और सामाजिक दृष्टिकोण से बड़ी हिट होगी क्योंकि यह पूरे परिवार की विरासत और गहरे राज्यों के साथ इसके जुड़ाव के विवादास्पद आख्यानों से भरी होगी।पप्पू और मल्लिकार्जुन खड़गे की कथा का संयोजन किसी भी फिल्म निर्माण के लिए सबसे अच्छी कहानी में से एक है कि कैसे वे राष्ट्र-विरोध के छिपे एजेंडे को प्रचारित करने के लिए झूठ पर झूठ जमा कर रहे हैं। भारत की तथाकथित धर्मनिरपेक्ष आबादी की बदौलत इस पार्टी ने 99 सीटें भी हासिल कीं और यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया का मजाक प्रतीत होता है।

ब्लिट्ज़ के बांग्लादेशी संपादक द्वारा उठाए गए मुद्दों पर पप्पू गांधी शांत हैं लेकिन जनता का ध्यान भटकाने के लिए वह बेतुके मुद्दों पर मुखर हैं। कोई कैसे दोयम दर्जे का जीवन जी सकता है, पप्पू विश्लेषण के लिए उपयुक्त मामला है। पप्पू के दोहरे पासपोर्ट धारक मुद्दे से जुड़े रहस्य को भुला दिया गया है क्योंकि पप्पू इतना चतुर है कि वह एक झूठी कहानी रख सकता है जो वास्तविक मुद्दे पर भारी पड़ सकती है। आश्चर्य की बात है कि भारत अभी भी पप्पू और पप्पू जैसे नेताओं को ढो रहा है और इससे यह बात साबित होती है कि भारत एक महान देश है।

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एस. के. सिंह

एस. के. सिंह

लेखक पूर्व वैज्ञानिक, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन से जुड़े रहे हैं। वर्तमान में बिहार के किसानों के साथ काम कर रहे हैं। एक राजनीतिक स्टार्टअप, 'समर्थ बिहार' के संयोजक हैं। राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर मीडिया स्कैन के लिए नियमित लेखन कर रहे हैं।

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