क्या बिहार इस तबाही से बचने के लिए तैयार है

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दिनेश मिश्र
खबर है कि कल दोहर तक कोसी में 6.81 लाख क्यूसेक पानी आने आने की आशंका है। मैं सिर्फ याद दिलाना चाहता हूँ कि कोसी में अब तक का सर्वाधिक प्रवाह 9.13 लाख क्यूसेक 5 अक्टूबर, 1968 के दिन देखा गया था जबकि कोसी तटबन्धों के बीच 9.50  क्यूसेककी प्रवाह क्षमता के लिए तटबन्ध की डिजाइन की गई थी। उस बार नदी के पश्चिमी तटबन्ध में दरभंगा जिले के जमालपुर के नीचे घोंघेपुर के बीच में पाँच जगह दरार पड़ी थी और भारी तबाही हुई थी। इस दुर्घटना की जाँच केन्द्रीय जल आयोग के एक इंजीनियर पी. एन. कुमरा ने की थी। उन्होनें इसके लिए चूहों को  जिम्मेवार ठहराया था। कालक्रम में यह दरारें भर दी गई थीं।  
इस बार आशंका व्यक्त की जा रही है कि कोसी तटबन्धों के बीच 28 सितम्बर  दोपहर तक नदी का प्रवाह 6.81 लाख क्यूसेक अनुमानित है। 1968 के बाद का यह सर्वाधिक प्रवाह बताया जा रहा है। हम आशा करते हैं कि यह दौर बिना किसी अनिष्ट के कुशलपूर्वक बीत जायेगा। राज्य सरकार ने सभी कर्मचारियों और अफसरान की छुट्टियाँ  रद्द करके अच्छा संकेत दिया है और और सभी सुरक्षात्मक उपाय पूरा कर लेने की तैयारी का उद्घोष भी किया है जो प्रशांशनीय है।
2008 में कुसहा में जो तटबन्ध टूटा था वह दुर्भाग्यवश 1.44 लाख क्यूसेक पर ही  टूट गया था जो एक चिंताजनक घटना थी। विश्वास है कि इस बार ऐसा कुछ नहीं होगा। उस घटना को याद करके नदी के जिस प्रवाह की बात की जा रही है वह भयावह लगता है।  मुझे याद है कि मुख्यमंत्री ने तब सबको आश्वस्त किया था कि तटबन्ध को इतना मजबूत कर दिया गया है कि अब तीस साल तक कुछ नहीं होने वाला है। यह समय सीमा अभी पूरी नहीं हुई है और ईश्वर इस दुर्योग से सबकी रक्षा करेगा।  हम यह भी कहना चाहेंगे कि जब इतना पानी सफलता पूर्वक तटबन्धों के बीच से गुजरेगा तब उनके बीच रहने वालों की परेशानी बेतरह बढ़ेगी। उनके हितों का ध्यान सरकार जरूर रखेगी। तटबन्ध के साथ परेशानी यही है कि अगर उसे कुछ हो जाता है तो वह कंट्री साइड में उपद्रव करेगा और सुरक्षित रहेगा तो रिवर साइड में जिंदगी दुश्वार करेगा। तीसरा कोई विकल्प नहीं है। ईश्वर से प्रार्थना है कि हमारी रक्षा करे।

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