सोनाली मिश्र
मुंबई उच्च न्यायालय की नागपूर बेंच ने एक आदमी को इस तर्क पर बलात्कार के आरोपों से बरी कर दिया कि कोई भी “विवेकशील लड़की” कभी भी पहली डेट पर किसी भी लड़के के साथ होटल के कमरे में नहीं जाएगी।
लड़के पर आरोप था कि वह लड़की से फ़ेसबुक पर मार्च 2017 में मिला था और उसके बाद जब वे लोग मिले तो उसने उसके साथ जबरन शारीरिक संबंध बनाए और फिर उसके अंतरंग फ़ोटो निकालकर उसे ब्लैक मेल किया।
उस समय लड़की कक्षा 12 की छात्रा थी और नाबालिग थी, तो pocso आदि के भी चार्ज लगे लड़के पर।
लड़की ने यह भी कहा कि बाद में लड़के ने ये फ़ोटो उसके परिजनों और मंगेतर को भी भेजे। मगर कोर्ट ने लड़की के तर्क को नहीं माना।
कोर्ट ने लड़की के बयान को अविश्वसनीय माना और कहा कि एक “विवेकशील लड़की” आमतौर पर उस व्यक्ति के साथ होटल के कमरे में नहीं जाएगी जिससे वह अभी-अभी मिली हो। न्यायमूर्ति सनप ने टिप्पणी की कि ऐसा व्यवहार सामान्य सावधानी के साथ बहुत ही असंगत है।
इस विषय में न्यायाधीश की टिप्पणी पर हंगामा मचना तय है, मगर यह बात सत्य है कि हमें बेटियों को विवेक सिखाना होगा। हम बेटियों और बेटों को यह विवेक क्यों नहीं सिखा पा रहे हैं कि देह की आजादी नाम की कोई चीज नहीं होती है और यदि कोई आजादी है तो वह तमाम उत्तरदायित्वों के साथ आती है।
हम सभी जाहिर है कि इस आजादी के छद्म स्वप्न का शिकार होते हैं, मगर भटकाव के बाद भी भटकते रहना, यह बेवकूफी है। इससे बढ़कर और कोई मूर्खता नहीं हो सकती कि हम सचेत न करें। लड़के के भीतर भी विवेक न होने के कारण वह कहाँ-कहाँ फंस सकता है, इसके विषय में सचेत करना हर अभिभावक का कर्तव्य है।
डेट पर छोड़ने जाना, कूल लग सकता है, मगर देह का स्वाद समय और परिपक्वता से पहले लगना, बच्चों के लिए ही विनाश का मार्ग बन सकता है। विवेक जितना बेटियों के लिए आवश्यक है उससे कहीं अधिक बेटों के लिए आवश्यक है। किस लड़की के साथ उसे सोना है, उसकी परिभाषा उसके लिए स्पष्ट होनी ही चाहिए।
क्योंकि न ही सोना केवल देह का एक साथ सोना होता है और न ही ब्रेक अप केवल देह का एक दूसरे के साथ अलग होना होता है। देह की स्मृतियों से पीछा छुड़ाना बहुत कठिन होता है और यही स्मृतियाँ ही तमाम अपराधों की नींव डालती हैं। इसलिए डेट इज कूल, किस इज कूल, जैसी अवधारणाओं से बेटों को जितना अधिक बचा सकते हैं, उतना बचाएं, क्योंकि देह की असमय टूटन आपके बेटे को तोड़कर रख देगी।
ये जो देह और प्यार की आजादी की बकवास है, वह हमारे बच्चों को ऐसे जाल में फंसा रही है, जिसका परिणाम विनाश ही है।