चार दिवसीय छठ पूजा आज सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ संपन्न हो गया। हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने नदियों, तालाबों और जलाशयों के किनारे छठ घाटों पर कमर तक पानी में खड़े होकर सूर्य देव को अर्घ्य दिया। श्रद्धालुओं ने सूर्य देव को जल और दूध अर्पित किये। इसके अलावा मौसमी फल, गन्ना, नारियल और ठेकुआ, खजुरिया जैसे व्यंजन और बांस से निर्मित सूप में रखी अन्य वस्तुएँ भी सूर्य और छठी माई को अर्पित की गईं। पूजा-अर्चना के बाद श्रृद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया और 36 घंटों का लंबा उपवास तोड़ा।
बिहार में गंगा, गंडक, कोसी, बागमती, महानंदा, सोन और अन्य प्रमुख नदियों के किनारे छठ घाटों पर बड़ी संख्या में श्रृद्धालु एकत्रित हुए। पड़ोसी देश नेपाल के लोगों ने भी पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, सीतामढ़ी, सुपौल, अररिया और किशनगंज जैसे सीमावर्ती जिलों में छठ पूजा की। राजधानी पटना में, छठ घाट श्रृद्धालुओं से भरे रहे। पटना जिला प्रशासन ने 100 से अधिक छठ घाट तैयार किये थे।
सभी प्रसिद्ध सूर्य मंदिरों में भी श्रृद्धालुओं की उपस्थिति देखी गई। औरंगाबाद के देव सूर्य मंदिर, नालंदा के बड़गांव और औंगारी धाम मंदिर, पटना के दुल्हिन बाजार के ओलार्क सूर्य मंदिर और नवादा जिले के हंडिया सूर्य मंदिर में बड़ी संख्या में श्रृद्धालु पहुँचे।