ऐतिहासिक तीसरा कार्यकाल: प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व की एक बार फिर जीत

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वर्ष 2024 के चुनावों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ऐतिहासिक तीसरी जीत ने केवल उनकी व्यक्तिगत विरासत को मजबूत किया है, बल्कि भारतीय राजनीति में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रभुत्व को भी दर्शाया है।इससे यह पता चलता है किआज जहां प्रधानमंत्री मोदी भारत के लिए स्थिरता के प्रतीक बन गए हैं,वहीं भाजपा सुशासन का पर्याय बन कर उभरी है।

वर्ष 2024 के दौरान, वैश्विक स्तर पर प्रमुख लोकतंत्रों में एक ऐसी सत्ता विरोधी लहर चली, जिसमें सत्तारूढ़ दलों को जबरदस्त हार का सामना करना पड़ा।संयुक्त राज्य अमेरिका में, डेमोक्रेट्स ने कांग्रेस के दोनों सदनों की अध्यक्षता और नियंत्रण गवांदिया। यूनाइटेड किंगडम ने कंजरवेटिव पार्टी (टोरीज) को निर्णायक रूप से सत्ता से बाहर होते देखा।इसी तरह, फ्रांस, दक्षिण कोरिया और पोलैंड में भी सत्तारूढ़ दल सत्ता से बेदखल हो गए। इस वैश्विक रूझान के उलट, भारत में नरेन्द्र मोदी ने केवलसत्ताबनाए रखी बल्कि ऐतिहासिक तीसरा कार्यकाल भी हासिल किया। वर्ष 2014 और 2019 में उनकी स्पष्ट जीत के बाद, भारतीय मतदाताओं ने एक बार फिर मोदी के पक्ष में एक मजबूत जनादेश दियाजो अंतरराष्ट्रीय सत्ता विरोधी लहर की दृष्टि सेएक उल्लेखनीय अपवाद था।

वर्ष 2024 प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा की कुछ सबसे बड़ी जीतों का साक्षी बना। प्रधानमंत्री मोदी ने ऐतिहासिक तीसरा कार्यकाल हासिल किया।भारत के राजनैतिक इतिहास में यह एक उल्लेखनीय उपलब्धि है, क्योंकि 1962 के बादसे किसी अन्य नेता ने लगातार तीसरी बार जीत हासिल नहीं की है।

एक अस्थिर दुनिया में स्थिर नेतृत्व

वर्ष 2014 के बाद से, नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत राजनीतिक स्थिरता का प्रतीक बन गया है। मोदी एक दशक से अधिक समय से सत्ता में बने हुए हैं।यह निरंतरता उल्लेखनीय है, खासकर उस अवधि के दौरान जब दुनिया के अन्य लोकतंत्रराजनीतिक उथलपुथल से जूझ रहे हैं।

मोदी के कार्यकाल की विशेषता एक ऐसी सामंजस्यपूर्ण सरकार रही है जिसने आर्थिक, सामाजिक और विदेश नीति से जुड़ीउन दूरगामी पहलों को लागू किया है, जिससे भारत को एक वैश्विक शक्ति के रूप में उभरने में मदद मिली है।

इसके उलट, संयुक्त राज्य अमेरिका कई नाटकीय राजनीतिक बदलावों का साक्षी बना है। वर्ष 2017 तक बराक ओबामा के राष्ट्रपति रहने के बाद, सत्ता की कमान डोनाल्ड ट्रम्प के हाथों में आई। ट्रम्प ने बिल्कुल अलग प्रकार की नीतियां औरअपेक्षाकृत अधिक अलगाववादी रुख  अपनाया। वर्ष 2021 में, जो बाइडेन ने बहुपक्षवाद और घरेलू निवेश पर जोर देते हुए ट्रम्प की कई प्रमुख नीतियों को उलट दिया।डोनाल्ड ट्रम्प की सत्ता में वापसी ने शासन में एक और बदलाव ला दिया है, जोगहरे पक्षपातपूर्ण विभाजन एवं नीतिगत अस्थिरता का परिचायक है।

यूनाइटेड किंगडम ने 2014 से उल्लेखनीय रूप से राजनीतिक अस्थिरता का सामना किया है।कंजरवेटिव पार्टी पार्टी के अधीन, नेतृत्व बारबार बदलता रहा।ब्रेक्सिट के मुद्दे पर जनमत संग्रह के बाद डेविड कैमरन ने इस्तीफा दे दिया और उनकी जगहआईंथेरेसा मे ने भी इस्तीफा दे दिया।थेरेसा मे ब्रेक्सिट वार्ता से संबंधित परेशानियों से जूझ रही थीं।इसके बाद बोरिस जॉनसन ने सत्ता संभाली।उन्होंने कोविड-19 महामारी के दौरान नेतृत्व किया, लेकिन अंततः घोटालों के बीच इस्तीफा दे दिया।लिजट्रस के संक्षिप्त एवं उथलपुथल भरे कार्यकाल के बाद ऋषि सुनक आए।उन्होंने अर्थव्यवस्था और पार्टी में स्थिरतालाने का प्रयास किया।हाल ही में, लेबर पार्टी के कीर स्टार्मर प्रधानमंत्री बने हैंजिससे शासन में बदलाव आया है।हालांकि चुनौतियांअभी भी बनी हुई हैं, जिनमें पार्टी के भीतर आंतरिक असहमति और राजनीतिक संघर्ष से आशंकित मतदाता शामिल हैं।

ऑस्ट्रेलिया ने भी नेतृत्व में तेजी से बदलाव होते देखा है, जो इसकी ऐतिहासिक रूप से अस्थिर राजनीतिक संस्कृति को दर्शाता है। वर्ष 2014 में टोनी एबॉट से शुरू करके, प्रधानमंत्री का पद मैल्कम टर्नबुल औरफिर स्कॉट मॉरिसन से होते हुए अबएंथोनी अल्बानीज के जिम्मेआया है। प्रत्येक बदलावके साथ प्राथमिकताएंभी बदलीहैं।अपने पूर्ववर्तियों के  अधिक रूढ़िवादी दृष्टिकोण के बाद, अल्बानीज़ ने जलवायु कार्रवाई और सामाजिक नीतियों पर ध्यान केन्द्रित किया है।

इटली का राजनीतिक परिदृश्य भी उतना ही हलचल भर रहा है। वहां एक के बाद एक सरकारें अक्सर अपना कार्यकाल पूरा करने से पहले ही गिर गईं। माटेओ रेन्ज़ी के सुधारप्रेरित कार्यकाल के बाद पाओलो जेंटिलोनी आए।उसके बाद ग्यूसेप कोंटेकी गठबंधन सरकार आई और फिर तकनीक की ओर झुकाव रखनेवाला मारियो ड्रैगी का नेतृत्व आया। और अब जियोर्जिया मेलोनी, इटली की पहली महिला प्रधानमंत्री बनी हैं। मेलोनी की ऐतिहासिक जीत के बावजूद, इटली राजनीतिक विखंडनऔर आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहा है।

पाकिस्तान, विशेष रूप से, राजनीतिक अस्थिरता का एक स्पष्ट उदाहरण है। वहां अक्सर भ्रष्टाचार और चुनावी धोखाधड़ी के आरोपोंके बीच बारबार नेतृत्व परिवर्तन होतेरहेहैं। वर्ष 2014 के बाद से, देश ने नवाज शरीफ से लेकर शाहिद खाकनअब्बासी, उसके बाद इमरान खान और अब शहबाज शरीफ तक का बदलाव देखा है। प्रत्येक नेता का कार्यकाल अपने पूर्ववर्तियों के साथ विवादास्पद संबंधों के कारण चर्चित रहा है, जिसकी परिणति अक्सर कानूनी लड़ाई और कारावास में हुई है।इस अस्थिर राजनीतिक माहौल ने टिकाऊ शासन एवं आर्थिक प्रगति हासिल करने कीपाकिस्तान की क्षमता को कुंद कर दिया है।

इज़राइल ने विशेष रूप से अपनी खंडित गठबंधन प्रणाली के कारण व्यापक राजनीतिक उथलपुथल का अनुभव किया है। वर्ष 2014 के बाद से, देश ने बेंजामिन नेतन्याहू को नेफ्ताली बेनेट के हाथों सत्ता गंवाते देखा है। इसके बाद येर लापिड कासंक्षिप्त कार्यकाल रहा।लापिड के बाद नेतन्याहू प्रधानमंत्री के रूप में एक फिर वापस लौटे।

वर्ष 2014 के बाद से, इज़राइल में देश की संसद, नेसेट के लिए छह राष्ट्रीय चुनाव कराए गए हैं। ये चुनाव 2015, अप्रैल 2019, सितंबर 2019, 2020, 2021 और 2022 में हुए।

जापान जहां अपेक्षाकृत अधिक राजनीतिक स्थिरता के लिए जाना जाता है,  लेकिन हाल के वर्षों में हुए नेतृत्व परिवर्तनों ने लोगों को हैरान किया है। शिंजो आबे, जिन्होंने 2020 तक प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया, ने स्वास्थ्य कारणों से अप्रत्याशितरूप से इस्तीफा दे दिया। उनकी जगह योशीहिदे सुगा ने ली, जिन्होंने केवल एक साल के बाद ही पद छोड़ दियाऔर फुमियो किशिदा घनघोर अनिश्चितता के बीच केवल तीन वर्षोंतक प्रधानमंत्री रहे और अब शिगेरु इशिबा ने उनकी जगह ली है।

वर्ष 2014 के बाद से, ब्राज़ील को आर्थिक संकट, भ्रष्टाचार घोटालों और ध्रुवीकृत चुनावों से प्रेरित राजनीतिक उथलपुथल का सामना करना पड़ा है। वर्ष 2016 में डिल्मा रूसेफ पर महाभियोग लगाया गया, जिससे मिशेल टेमर के लिए रास्ता साफहुआ।मिशेल टेमर का कार्यकालकाफी विवादास्पद रहा। इसके बाद जेयर बोल्सोनारो धुर दक्षिणपंथी लोकलुभावन रुख अपनाते हुए सत्ता में आए। हाल ही में, लुइजइनासियो लूला दा सिल्वा ध्रुवीकरण वाले चुनाव के बाद सत्ता में लौटे हैं।

दक्षिण कोरिया में, बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच पार्क ग्यूनहे के विरूद्ध 2017 में महाभियोगलगाया गया। उनके उत्तराधिकारी, मून जेइन, आर्थिक चुनौतियों और राजनयिक तनावों से जूझते रहे। यून सुकयोल वर्तमान राष्ट्रपति हैं, जिन्होंने हाल ही में मार्शल लॉ लागू करने का असफल प्रयास किया और दक्षिण कोरिया की संसद द्वारा उनके विरुद्ध महाभियोग चलाने की प्रक्रिया चल रही है।

वर्ष 2014 के बाद से अर्जेंटीना में उल्लेखनीय बदलाव देखने को मिले हैं, जिसमें नेतृत्व क्रिस्टीना फर्नांडीज डी किरचनर से मौरिसियो मैक्री और उसके बाद अल्बर्टो फर्नांडीज तथा अब जेवियर माइली के हाथों में पहुंचा है। प्रत्येक नेता ने स्पष्ट रूप सेअलगअलग आर्थिक और सामाजिक नीतियों को अपनाया है, जो अनिश्चितता भरे माहौल और राजनीतिक समीकरणों में बारबार बदलाव को जन्म दे रहा है।

भारतीय आम चुनाव 2024 को क्यों ऐतिहासिक है?

वर्ष 2024 के चुनाव ने भारत को एक ऐसे सुदृढ़ लोकतंत्र के रूप में प्रदर्शित किया है, जिसमें मतदाताओं की मजबूत सहभागिता और नागरिकों केउत्कृष्ट आचरण का समावेश रहाहै। 

ईवीएम पर लगाये गए स्वार्थप्रेरित लांछनों और भीषण गर्मी के बावजूद, लोगों ने बड़ी संख्या में मतदान करके काफी उत्साह दिखाया। पहली बार मतदान करने वाले मतदाताओं से लेकर वरिष्ठ नागरिकों तक, सभी उम्र के लोगों और जीवन के सभीक्षेत्रों से जुड़े लोगों ने बड़े उत्साह के साथ लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भाग लिया है।

कश्मीर में 1996 के बाद से पिछले तीनदशकों में पहली बार सबसे अधिक 38 प्रतिशत मतदाताओं ने मतदान में भागीदारी दर्ज कराई।

भारतीय राजनीति में अधिक समावेशिता देखी गई क्योंकि अधिक संख्या में महिलाओं ने चुनाव लड़ा और जीता, जिससे लैंगिक प्रतिनिधित्व बेहतर हुआ। युवाओं की भागीदारी में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई, जिससे देश के राजनीतिक परिदृश्य में नएदृष्टिकोण का समावेश हुआ।

 

2024 के चुनावों ने भारत की लोकतांत्रिक परिपक्वता को प्रदर्शित किया और इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे नागरिक अपनी प्राथमिकताओं एवं अपने नेताओं से अपेक्षाओं को लेकर तेजी से जागरूक हो रहे हैं। लोग 2047 तक विकसित भारतबनाने के सपने के पीछे मजबूती से खड़े रहे।

पहली बार अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधियों के सबसे बड़े समूह ने इस वर्ष भारत के आम चुनावों का प्रत्यक्ष अनुभव किया। उन्होंने जो देखा उससे वे प्रभावित हुए। कुछ लोगों ने प्रक्रिया की पारदर्शिता की प्रशंसा की, जबकि अन्य ने चुनाव आयोग की हरितमतदान केन्द्रों जैसी पहल को वास्तव में प्रेरणादायक पाया। ईवीएमवीवीपीएटी के प्रतिचयन (रैंडमाईजेशन) जैसी प्रौद्योगिकी के उपयोग को भी काफी सराहना मिली।

यह जनादेश विकास, विविधता और निर्णयशीलता के पक्ष में था। जनता ने छल, कपट और विभाजन की राजनीति को सिरे से नकार दिया।

भारत ने दर्शाया कि वह एक परिपक्व लोकतंत्र है और प्रधानमंत्री मोदी को उन चुनिंदा वैश्विक नेताओं के समूह में रखा जिन्होंने सफलतापूर्वक लगातार तीन कार्यकाल हासिल किए हैं।

इसके अलावा, 2024 में राज्यस्तरीय सफलताओं से यह भी पता चलता है कि वे 2014 में शुरू हुए भारत के राजनीतिक परिदृश्य में व्यापक बदलाव का हिस्सा हैं। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में, भाजपा ने अपने प्रभाव का विस्तार किया है। इससेओडिशा, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्रजैसे क्षेत्रों में सामंजस्यपूर्ण शासन आया है। ये सभी ऐसे क्षेत्र हैं जहां अतीत में भाजपा को अपनी पकड़ बनाने के लिए जूझना पड़ा था।

आइए, वर्ष 2024 में भाजपा की कुछ निर्णायक जीतों और इन्हें असाधारण बनाने वाले पहलुओं पर एक नजर डालें:

भगवान जगन्नाथ के ओडिशा में भगवा

प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में, भाजपा ने ओडिशा में सत्तारूढ़ बीजू जनता दल (बीजेडी) को हराकर ऐतिहासिक जीत हासिल की। ओडिशा के इतिहास में पहली बार, बीजेडी ने लोकसभा चुनावों में अपना प्रभुत्व खो दिया है, भाजपा की सीटें केवलएकसे बढ़कर छह हो गई हैं। यह 2019 की तुलना में एक महत्वपूर्ण बदलाव का प्रतीक है, जहां बीजेडी ने 12 सीटें और भाजपा ने 8 सीटें जीती थीं। लोकसभा चुनावों में अपनी सफलता के अलावा, भाजपा ने ओडिशा विधानसभा चुनावों में भी महत्वपूर्णप्रगति की। पार्टी ने 14 सीटें जीतीं और 66 अन्य निर्वाचन क्षेत्रों में आगे रही।

आंध्र प्रदेश ने निर्णायक रूप से एनडीए को चुना

वर्ष 2024 के लोकसभा चुनावों में, आंध्र प्रदेश की मजबूत क्षेत्रीय राजनीतिक पहचान के बावजूद, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने महत्वपूर्ण प्रगति की और 25 संसदीय क्षेत्रों में से 20 पर बढ़त हासिल की। यह उल्लेखनीय उपलब्धि एनडीए केदृष्टिकोण एवं नीतियों के प्रति बढ़ते समर्थन को दर्शाती है। इस सफलता में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व की महत्वपूर्ण भूमिकारही। बुनियादी ढांचे के विकास, आर्थिक सुधार और सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों पर उनका ध्यान राज्य के मतदाताओं कोपसंद आया।

हरियाणा भाजपा के लिए सुखद आश्चर्य

वर्ष 2024 के हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजे भारतीय जनता पार्टी के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि साबित हुए। पार्टी ने ऐतिहासिक रूप से लगातार तीसरी कार्यकाल हासिल किया। भाजपा यह हैट्रिक हासिल करने वाली हरियाणा की पहलीराजनीतिक पार्टी बन गई है, जो राज्य में उसके बढ़ते प्रभाव और पकड़ का प्रमाण है।

कांग्रेस और अन्य राजनीतिक दलों के कड़े विरोध के बावजूद, भाजपा 48 सीटें हासिल करके सीधे मुकाबले में कांग्रेस को प्रभावी ढंग से हराने में कामयाब रही।अपने सर्वोत्तम प्रयासों के बावजूद, विपक्ष पैमाने और गति के मामले में भाजपा की बराबरीनहीं कर सका।

महाराष्ट्र की प्रचंड जीत ने विपक्षी एजेंडे को समाप्त कर दिया

एक ऐतिहासिक जीत के रूप में, भारतीय जनता पार्टी ने महाराष्ट्र में अपना लगातार तीसरा कार्यकाल हासिल किया।यह पहली बार है कि किसी नेता ने राज्य में इस तरह की जीत दिलाई है। भाजपा ने राकांपा सहित अपने सहयोगियों के साथ 131 सेअधिक सीटें जीतीं, जबकि विपक्षी महाविकास अघाड़ी (एमवीए) सिर्फ 51 सीटों पर सिमटकर रह गई।  सत्तारूढ़ गठबंधन ने 230 से अधिक सीटों पर बढ़त हासिल की, जो प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में लोगों के मजबूत भरोसे को दर्शाता है। कुल 288 में से 132 सीटों के साथ, भाजपा ने 45 प्रतिशतसीटें हासिल करते हुए राज्य में अपना अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। यह जीत महाराष्ट्र के विधानसभा चुनावों में किसी भी पार्टी द्वारासीटों के मामले में सबसे बड़ी उपलब्धि का प्रतीक है। इसनेभाजपा के प्रभुत्व को मजबूत किया और राज्य में विपक्ष के एजेंडे को प्रभावी ढंग से समाप्त कर दिया।

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