नई दिल्ली: दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल इन दिनों पंजाब से दिल्ली की ओर रुख करते दिखाई दे रहे हैं, जबकि पंजाब 37 साल में सबसे खराब बाढ़ से जूझ रहा है। केजरीवाल ने खुद ट्वीट कर बताया कि वे दिल्ली के शास्त्री पार्क में बाढ़ प्रभावित लोगों से मिले, जहां उन्होंने राहत शिविरों में सुविधाओं की कमी और बुनियादी ढांचे की मरम्मत की मांग की।
पंजाब में, जहां बाढ़ ने 1,400 गांवों और तीन लाख लोगों को प्रभावित किया है, केजरीवाल की अनुपस्थिति ने सवाल खड़े कर दिए हैं। हाल के महीनों में वे पंजाब में मान सरकार के समर्थन में सक्रिय थे, नशा-विरोधी अभियान और 2027 के चुनावों की तैयारियों में जुटे हुए थे। लेकिन जैसे ही पंजाब पर मुसीबत आई, वे दिल्ली आ गए, जिसे कुछ लोग उनकी प्राथमिकताओं में बदलाव के रूप में देख रहे हैं।
केजरीवाल ने ट्वीट में लिखा, “पूरा उत्तर भारत बाढ़ की त्रासदी से जूझ रहा है। दिल्ली में भी यमुना का जलस्तर बढ़ने से तटवर्ती इलाकों में रहने वाले परिवार बेहद मुश्किल हालात में हैं।” उन्होंने दिल्ली सरकार से तुरंत राहत की सुविधाएँ मुहैया कराने और केंद्र सरकार से पंजाब समेत पूरे उत्तर भारत के बाढ़ पीड़ितों की मदद की अपील की।
हालांकि, उनकी यह अपील तब आ रही है, जब पंजाब में आपदा प्रबंधन की उम्मीद थी। एक वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक ने कहा, “केजरीवाल की अनुपस्थिति पंजाब में आपदा के समय उनके नेतृत्व पर सवाल खड़े करती है।”
केजरीवाल की पार्टी ने पहले पंजाब में बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए एमपी और एमएलए की एक महीने की सैलरी दान करने की घोषणा की थी, लेकिन उनकी शारीरिक उपस्थिति न होने से यह कदम अधूरा सा लग रहा है। इस बीच, पंजाब में बाढ़ की स्थिति और बिगड़ती जा रही है, और लोगों को तत्काल राहत की जरूरत है।
केजरीवाल की इस रणनीति पर राजनीतिक गलियारों में चर्चा जारी है, जबकि पंजाब के लोग उनकी अनुपस्थिति को लेकर निराशा जता रहे हैं। पंजाब में उनकी अनुपस्थिति एक बड़ा सवाल बना हुआ है।