स्वर्गीय प्रमोद महाजन का भाषण सुनकर लगता है, मानो व्यंग्य ने सूट-बूट पहनकर संसद में डेरा डाल लिया हो! दीनानाथ मिश्र के व्यंग्य संग्रहों—‘चापलूसी रेखा’ और ‘पापी वोट के लिए’-के विमोचन पर दिया गया उनका यह भाषण (https://youtu.be/Te0kibaFji4?feature=shared) हास्य का ऐसा कॉकटेल है, जो कड़वा भी है और स्वादिष्ट भी। महाजन जी की हाज़िरजवाबी और शब्दों की जादूगरी हर वाक्य में झलकती है, जैसे कोई शायर राजनीति की गलियों में चुटकियाँ ले रहा हो।
पहले वाक्य से ही उन्होंने मंच को हँसी का अड्डा बना दिया। चापलूसी को उन्होंने ऐसा आईना दिखाया कि श्रोता हँसते-हँसते आत्ममंथन करने पर मजबूर हो जाएँ। ‘पापी वोट’ की बात हो या नेताओं की चिर-परिचित चालबाज़ियाँ, हर मुद्दे को उन्होंने इस तरह छेड़ा कि निशाना सटीक लगा, पर किसी को चोट नहीं पहुँची। यह उनकी खासियत थी—खुद पर हँसना और दूसरों को भी हँसाने का हुनर। आज के दौर में, जब नेता हर आलोचना को दिल पर ले लेते हैं, महाजन जी का यह हास्यबोध दुर्लभ है।
उनके भाषण की तैयारी ऐसी थी, मानो हर शब्द को तराशकर मंच पर सजाया गया हो। एक-एक पंक्ति में व्यंग्य का तड़का और बुद्धि का नमक—बिल्कुल ‘मसाला डोसा’ जैसा स्वाद! उनकी बेटी पूनम महाजन ने इस वीडियो को साझा कर न सिर्फ़ पिता की विरासत को सम्मान दिया, बल्कि हमें याद दिलाया कि राजनीति में हास्य का स्थान अब खाली-सा है। आज के नेता शायद भूल गए हैं कि जनता का दिल जीतने के लिए वोट के साथ-साथ हँसी भी ज़रूरी है।