नरेंद्र मोदी का व्यक्तित्व अत्यंत विराट है : सौरभ मालवीय

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मीडिया गुरु के नाम से विख्यात डॉ. सौरभ मालवीय की नई पुस्तक ‘भारतीय राजनीति के महानायक : नरेन्द्र मोदी’ इन दिनों खूब चर्चा में है। इसे दिल्ली के मानसी पब्लिकेशन्स ने प्रकाशित किया है। इस चर्चा का एक कारण यह भी है कि यह ऐसे समय में आई है, जब लोकसभा चुनाव सिर पर हैं। पूर्व की भांति यह चुनाव भी श्री नरेंद्र मोदी के नाम पर ही लड़ा जाना तय है। इस पुस्तक में श्री नरेंद्र मोदी के व्यक्तित्व के साथ साथ उनके कृतित्व पर भी प्रकाश डाला गया है।

लेखक डॉ. सौरभ मालवीय का कहना है कि यह पुस्तक प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के विराट व्यक्तित्व से परिचय करवाती है। उनके व्यक्तित्व की भांति उनके कार्य भी बहुत ही महान हैं। वह भारत की गौरवशाली प्राचीन संस्कृति के संवाहक हैं। उनके कृतित्व में भारतीय संस्कृति के दर्शन होते हैं। अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण में उनकी भूमिका अत्यंत प्रशंसनीय एवं सराहनीय है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने ही देश की पौराणिक नगरी अयोध्या में भूमि पूजन कर चांदी की ईंट और चांदी के फावड़े से ‘श्री राम जन्मभूमि मंदिर’ निर्माण की आधारशिला रखी थी। जिस समय वह मंदिर में पूजा-अर्चना कर रहे थे उस समय देश के करोड़ों लोग अपने घरों में टेलीविजन पर उन्हें देख रहे थे। वे इस स्वर्णिम क्षणों के साक्षी बने थे। यह पुस्तक समकालीन भारत का एक ऐतिहासिक प्रमाण है, जो भविष्य में लोगों को उनके व्यक्तित्व एवं केंद्र सरकार की योजनाओं और श्री नरेन्द्र मोदी जी के व्यक्तित्व से परिचित कराएगी।

इससे पूर्व भी डॉ. सौरभ मालवीय की पांच पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं, जिनमें राष्ट्रवादी पत्रकारिता के शिखर पुरुष अटल बिहारी वाजपेयी, विकास के पथ पर भारत, राष्ट्रवाद और मीडिया, भारत बोध तथा अंत्योदय को साकार करता उत्तर प्रदेश सम्मिलित हैं। वह देशभर के समाचार पत्रों एवं पत्रिकाओं के लिए लेखन करते हैं। वह खबरिया चैनलों पर भी समसामयिक व ज्वलंत विषयों में अपने विचार रखते हुए देखे जा सकते हैं। इसके अतिरिक्त वह विभिन्न कार्यक्रमों एवं गोष्ठियों में वक्ता के में रूप में बोलते हुए दिखाई देते हैं।

डॉ. सौरभ मालवीय हिन्दी पत्रकारिता के सुपरिचित हस्ताक्षर हैं। वह राष्ट्रवादी विचारों के प्रहरी हैं। उनकी लेखनी धर्म, संस्कृति, समाज, पर्यावरण, राष्ट्रबोध एवं मानवदर्शन से ओतप्रोत है। वह ईश्वर में गहरी आस्था रखते हैं, इसलिए वह अपनी प्रत्येक पुस्तक इष्टदेव के चरणों में अर्पित करते हैं। उनका कहना है कि भारत भूमि देवताओं की भूमि है। इसके कण-कण में भक्ति है। फिर वह भक्तिभाव से अछूते कैसे रह सकते हैं।
वर्तमान में वह लखनऊ विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर हैं।

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