सुनील तिवारी
बेतिया: सात जून की संध्या 6 बजे महारानी जानकी कुंवर महाविद्यालय में चाय पर चर्चा कार्यक्रम आयोजित किया गया।इस परिचर्चा का बिंदु था चंपारण के विकास के क्या रास्ते हो सकते है तथा बिहार के विकास में इस जिले की क्या भूमिका हो सकती हैं।
इस परिचर्चा में चंपारण के प्रबुद्ध जनों ने अपने सुझाव दिए।इस अवसर पर इस कॉलेज के प्राचार्य प्रो (डॉ)आर के चौधरी सर,प्रो अविनाश कुमार,प्रो राजेश कुमार चंदेल ,डॉ विजय कुमार, प्रसिद्ध शिक्षाविद् गणेश उच्च माध्यमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक राजेश वर्मा,पर्यावरणविद् डॉ दुर्गादत पाठक, उच्च माध्यमिक विद्यालय कुंडलपुर के प्रधानाध्यापक अमित मिश्रा,गणेश उच्च माध्यमिक विद्यालय के शिक्षक नवीन कुमार मनीष,उच्च माध्यमिक विद्यालय लौरिया में कार्यरत शिक्षक आनंद कुमार, हिंदुस्तान दैनिक के पत्रकार श्री शंभु प्रसाद , अधिवक्ता अनिल कुमार राव तथा नई दिल्ली से आए मीडिया कर्मी आशीष कुमार अंशु तथा अन्य सम्मानित गण उपस्थित थे।
पश्चिम चंपारण में मुख्यतौर पर लोग कृषि आधारित जीवन यापन करते हैं l फिर भी यहाँ कृषि के अलावे औद्योगीकरण और पर्यटन के क्षेत्र में विकास की महत्वपूर्ण संभावनाएं हैं।
यहां कृषि-आधारित उद्योगों के विकास के साथ-साथ पर्यटन के क्षेत्र मे भी कई अवसर मौजूद हैं l इस जिले में कई तरह की फसलें उगाई जाती हैं, जिनमें चावल, गेहूं, गन्ना, और कई प्रकार के फल शामिल हैं, साथ ही इस जिले में कुछ चीनी मिलें, चावल मिलें और अन्य छोटे उद्योग जैसे खादी वस्त्र स्थापित हैं, जो स्थानीय रूप से उपलब्ध प्राकृतिक और कृषि उत्पादों पर आधारित हैं, जैसे कि गुड़, टोकरी, रस्सी, और चटाई बुनाई इत्यादि l इस जिले में कृषि-आधारित उद्योगों का विकास हो सकता है, जो स्थानीय उत्पादों को मूल्यवान बनाने और किसानों की आय को बढ़ाने में मदद करेगा l
अगर सांस्कृतिक और ऐतिहासिक स्थल की बात की जाय तो पश्चिम चंपारण में कई ऐसे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थल हैं, जो पर्यटन के लिए आकर्षक हैं। उदाहरण के लिए, भितिहरवा आश्रम जो कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सत्याग्रह एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थान रहा था, जो आज भी लोगों को आकर्षित करती है, उसी तरह से बाल्मीकि नगर भी महर्षि बाल्मीकि की तपोभूमि रही थी जो कि एक दर्शनीय स्थल मे से एक है, लौरिया का बौद्ध स्तूप, नंदनगढ, बेतिया का एतिहासिक काली मंदिर, जोड़ा शिवालय मंदिर, दुर्गाबाग मंदिर, सागर पोखर मंदिर, बेतिया का राजदेवढी, बाल्मीकि नगर देवी मंदिर इत्यादि शामिल है l
प्राकृतिक सौंदर्य की दृष्टि से जिले में कुछ प्राकृतिक स्थल भी हैं, जैसे कि बेतिया में जंगल और विभिन्न प्रकार के वनस्पति और जीव-जंतु, जो प्रकृति प्रेमियों के लिए एक आकर्षक गंतव्य हो सकते हैं l
पश्चिम चंपारण में पर्यटन के विकास के लिए एक योजनाबद्ध दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है, ताकि क्षेत्र की प्राकृतिक और सांस्कृतिक सुंदरता का सर्वोत्तम उपयोग किया जा सके l