भारतीय परंपरा और संस्कृति को केंद्र में रख कर संगवारी की चर्चा

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गिरीश मिश्रा

संगवारी सोशल मीडिया का कार्यक्रम स्थानीय वृंदावन सभागार में संपन्न हुआ।इस कार्यक्रम में आमंत्रित वक्ताओं ने अपनी बात बहुत गंभीरता से रायपुर और छत्तीसगढ़ के प्रबुद्ध नागरिकों के बीच रखी। श्री गिरीश पंकज ने छत्तीसगढ़ के आदिवासी और सनातन के रिश्तों को बताया, छत्तीसगढ़ का आदिवासी मूलतः सनातन परंपराओं का सारथी रहा लेकिन धर्मांतरण के कारण उन्हें हिंदू धर्म से विमुख करने षड्यंत्र के तहत सनातन से दूर करने की चेष्टा हुई।

इसके बाद आये भाई आशीष अंशु जिन्होंने आते साथ ही सोशल मीडिया के नैरेटिव और षड्यंत्र पर चुटकी लेते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ में महादेव कि कृपा दिख रही और सभागार ठहाकों से गूंज उठा। उन्होंने न्यूज़ लिंक के हाल के ही चीन के साथ संबंधों पर और देश विरोधी पत्रकारिता पर भी चर्चा की।

आशीष जी ने पत्रकारों के दोहरे मांपदंडों पर सवालिया निशान लगाते हुए पूछा की न्यूज़ लिंक पर जानते हुए की चीन के एजेंडे पर चलते हुए पत्रकारों पर जब कार्यवाही हुई तो उन्हें सहयोग नहीं करना था, लेकिन मीडिया ने ये नहीं किया वहीं मनीष कश्यप अर्नब गोस्वामी, सुधीर चौधरी के ऊपर ग़ैर भाजपा शासन वाली सरकारों पुलिसीया कार्यवाही पर चुप्पी साध ली। देश में इस तरह की बिकाऊ मीडिया का क्या भरोसा कोई करेगा ? उन्होंने जनता से महुआ मोइत्रा और छत्तीसगढ़ में पत्रकारों पर हुई कार्यवाही का भी ज़िक्र किया।

इसके बाद के वक्ता थे मुंबई से पधारे श्री सुमित मेहता जिन्होंने चीन की फ़र्ज़ी कंपनी के द्वारा भारतीय कंपनियों को कैसे नुक़सान पहुँचाया गया पर चर्चा की और आतंकी फंडिंग पर बात की।

बहुप्रतीक्षित वक्ता श्री सुशील पंडित को लोग मंत्रमुग्ध होकर सुनते रहे उन्होंने अपनी चर्चा में आगाह किया आने वाले ख़तरे से, १९४७ में विभाजन की विभीषिका पर विस्तार से चर्चा की और नेहरू जी की विभाजन के बाद हुई हत्याओं पर लिखी गई किताब पर बंदिश की भी चर्चा की, मुग़लों का यशोगान किस तरह हुआ और हिंदू संस्कृति को किस तरह मिटाने की चेष्टा हुई इसका भी वर्णन किया, वर्तमान सरकार का कश्मीरी पंडितों के घर वापसी में हो रहे रोड़ों का भी ज़िक्र किया और उन्होंने हाल के इसराइल युद्ध की चर्चा की जिसमें विशेषतः युद्ध घोषणा के बाद कैसे विपक्ष का नेता इज़राइली फ़ौज का हिस्सा बना और कैसे इसराइल के बाहर रहने वाले नागरिक अपना काम धंधा छोड़कर इसराइल वापस आ रहे मातृभूमि की रक्षा के लिए के माद्दे का ज़िक्र किया।

सुशील पंडित जी का संबोधन दिमाग़ के तार हिला गया। आज के कार्यक्रम के अंतिम वक्ता थे आदरणीय रतन शारदा जी जिन्होंने वामपंथियों द्वारा देश के न सिर्फ़ इतिहास के साथ खेल बल्कि कांग्रेस के वामपंथियों के साथ अघोषित रिश्तों पर सवाल उठाये। कुल मिलाकर कार्यक्रम सफलता के साथ संपन्न हुआ।

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