भारतीय भाषा अभियान द्वारा हिन्दी पखवाड़ा समापन समारोह मनाया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि उच्चतम न्यायालय के न्यायमूर्ति श्री संजय करोल रहे। उच्चतम न्यायालय के न्यायमूर्ति श्री प्रशांत कुमार मिश्रा और दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति श्रीमती रेखा पल्ली अतिविशिष्ट अतिथि रहें। कार्यक्रम की अध्यक्षता डाक्टर अतुल कोठारी, भारतीय भाषा अभियान के राष्ट्रीय संरक्षक ने की। मंच पर विशिष्ट अतिथि के रूप में श्री मनन कुमार मिश्रा, अध्यक्ष, भारतीय विधिज्ञ परिषद, डॉ. अंजू वली तिक्कू, संकायाध्यक्ष, विधि संकाय, दिल्ली विश्वविद्यालय प्राध्यापक, विधि विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय, सर्वोच्च न्यायालय अधिवक्ता संघ के उपाध्यक्ष सुकुमार पटजोशी और सचिव रोहित पाण्डेय और भारतीय भाषा अभियान के राष्ट्रीय सह संयोजक श्री कामेश्वर नाथ मिश्र जी उपस्थित रहे।
न्यायमूर्ति संजय करोल जी ने कहा कि तकनीकी से अब भारतीय भाषाओं में काम करना आसान हो गया है। आने वाले दस वर्षों में भारत के न्यायालयों में भारतीय भाषाओं में काम करना प्रारंभ हो सकता हैं। विधि शिक्षा भारतीय भाषाओं में शीघ्र प्रारंभ होनी चाहिए।
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति प्रशांत मिश्रा जी ने कहा कि अनुवाद में बहुत बार बड़ी गलतियां हो जाती है। इसलिए क्षेत्रिय भाषाओं को न्यायालय में स्थान मिलना चाहिए। इससे विधि एवं न्याय के क्षेत्र में पारदर्शिता आएगी। पक्षकार का यह नैसर्गिक अधिकार है कि उसे न्याय उसकी भाषा में मिले।
न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने कहा कि क्षेत्रीय भाषाओं में दिए गए निर्णय निश्चित रूप से न्याय व्यवस्था को सुदृढ़ करेगी। आज की यह जरूरत है कि न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णय आम आदमी समझ सके। इसके लिए लोकप्रिय और सरल भाषा का उपयोग होना चाहिए।
अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए अतुल भाई कोठारी जी ने कहा कि निचली अदालतों में वहां की प्रादेशिक भाषाओं में कार्य होना चाहिए, उच्च और उच्चतम न्यायालयों में अंग्रेजी के साथ भारतीय भाषाओं में कार्य होना चाहिए । उन्होंने कहा कि दिल्ली के न्यायालयों के अंग्रेजी के साथ हिन्दी में कार्य शीघ्र प्रारंभ होना चाहिए।
मनन मिश्रा जी कहा कि अंग्रेजी के प्रति विशेष लगाव से भारतीय भाषाएं उपेक्षित हो रही है।
सुकुमार पटजोशी जी ने कहा कि आम वादी प्रतिवादियों के हित में सभी न्यायालयो में भारतीय भाषाओं में कार्य होना चाहिए। भारतीय भाषा अभियान के राष्ट्रीय सह संयोजक ने संगठन परिचय दिया। कार्यक्रम संयोजक अधिवक्ता शंकर झा ने धन्यवाद ज्ञापित किया।