भूगोल बांटता है और संस्कृति जोड़ती है – डॉ सच्चिदानंद जोशी

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डॉ तोमियो मिजोकामी जी के स्वागत में प्रवासी भवन में आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए इंदिरा गांधी सांस्कृतिक कला केन्द्र के सचिव डॉ सच्चिदानंद जोशी ने कहा कि डॉ तोमियो मिजोकामी जी के व्यक्तित्व से यह उक्ति चरितार्थ होती है कि भूगोल बांटता है और संस्कृति जोड़ती है।

दिनांक 27 फरवरी , 2024 को अंतरराष्ट्रीय सहयोग परिषद और वैश्विक हिंदी परिवार द्वारा प्रवासी भवन , दीनदयाल उपाध्याय मार्ग में डॉ तोमियो मिजोकामी के सम्मान में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया । संदर्भ था डॉ वेदप्रकाश सिंह द्वारा लिखित पुस्तक ‘ डॉ तोमियो मिजोकामाी – व्यक्तित्व और कृतित्व ‘ । कार्यक्रम की अध्यक्षता इंदिरा गाँधी कला केन्द्र के निदेशक डॉ सच्चिदानंद जोशी ने की । कार्यक्रम में वरिष्ठ विद्वान डॉ अशोक चक्रधर, डॉ रविंद्र कुमार, अनिल जोशी, नारायण कुमार, डॉ हरजेन्द्र चौधरी , पुस्तक के लेखक डॉ वेद प्रकाश सिंंह , सुश्री जया वर्मा , डॉ सुरेश ऋतुपर्ण ने भी अपने विचार व्य्क्त किए । कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ कथाकार – कवियत्री अलका सिन्हा ने किया । कार्यक्रम का संयोजन वैश्विक हिंदी परिवार दिल्ली के संयोजक श्री विनयशील चतुर्वेदी द्वारा किया गया।

कार्यक्रम में अपने विचार रखते हुए डॉ मिजोकामी ने अपने जीवन के महत्वपूर्ण संस्मरण साझा किए । उन्होंने विशेष रूप से प्रसिद्द गायिका शुभा मुद्गल और जाापनी विद्यार्थियों से देश – विदेश में हिंंदी नाटक करवाने संबंधी अपने संस्मरण साझा किए । उनके संस्मरण रोचक , दिलचस्प और प्रेरक थे। पुस्तक के लेखक डॉ वेद प्रकाश सिंह ने पुस्तक के निर्माण की प्रक्रिया की जानकारी दी और उसमें भारतीय कोंसलावास से मिले सहयोग के प्रति आभार व्यक्त किया ।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डॉ सच्दिानंद जोशी ने डॉ मिजोकामी को भारत और जापान के बीच सेतु बताया । डॉ अशोक चक्रधर ने हिंदी के अंतरराष्ट्रीय विकास में उनके महत्व को रेखांकित किया । दिल्ली विश्वविद्यालय के पंजाबी विभाग के डॉ रविन्द्र ने उनकाी बहुभाषिकता और विभिन्न विधाओं पर अधिकार के संबंध में विशेष रूप से बताया । लेखक अनिल जोशी ने कहा कि वे इस समय हिदी के अंतरराष्ट्रीय शिखर व्यक्तित्व हैं। वे भाषा के प्रति प्रतिबद्ध ही नहीं है, वे भाषा को जीते हैं , इसलिए उनकी भाषा और जीवन में अंतर नहीं। वरिष्ठ लेखक डॉ हरजेन्द्र चौधरी ने इस अवसर पर उनके द्वारा लिखी कहानियों का विशेष उल्लेख किया। नारायण कुमार जी ने बताया कि डॉ तोमियो मिजोकामी जी की पुस्तक की भूमिका तत्कालीन विदेश मंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने की । सुश्री जया वर्मा ने डॉ मिजोकामी जी के वैश्विक योगदान की प्रशंसा की । कथाकार अलका सिन्हा ने उनकी मासूमियत का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्हें भारत की भाषा और परिधान बचपन से ही पसंद था। वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी उन्हें सम्मानित कर एक महत्वपूर्ण कार्य किया है। बरूण कुमार जी ने भारत और जापान के बीच के पारस्परिक संबंधों को सुदृढ़ करने में उनके योगदान की सराहना की । डॉ सुरेश ऋतुपर्ण ने इस अवसर पर जापान के अपने संस्मरण साझा किए।

कार्यक्रम में दिल्ली विश्वविद्यालय में जापानी भाषा की प्रमुख सुश्री उनीता सच्चिदानंद, जवाहर लाल विश्वविद्यालय में जापानी भाषा की सुश्री तनुश्री , गगनांचल के संपादक श्री रविशंकर , दिल्ली विश्वविद्यालय की डॉ शैलजा , डॉ दीपमाला, डॉ राजेश गौतम , डॉ राजकुमार , डॉ विवेक शर्मा , डॉ गुरप्रीत , शैलेन्द्र , व विभिन्न कालेजों के शोध विद्यार्थियों ने भाग ल

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