पराली की जलाने की घटना हर साल दिल्ली और उसके आस पास के इलाकों मे वायु प्रदूषण का एक बड़ा कारण बन जाती हैं। इस बार कैंद्र सरकार ने पराली जलाने की समस्या को शून्य स्तर पर लाने के दिशा में गंभीरता से काम कर रहा हैं। इस संबंध में शुक्रवार को पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली राज्यों की तैयारियों की समीक्षा के लिए कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर और पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव की सह-अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय अंतर-मंत्रालयी बैठक आयोजित की गई, जिसमें मौजूदा मौसम में धान की पराली जलाने से रोकने के बारे में विचार-विमर्श हुआ।
इस अवसर पर कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने धान की पराली जलाने के मुद्दे के समाधान में दिखाई गई गंभीरता के लिए सभी हितधारकों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि सभी हितधारकों के प्रयासों से धान की पराली जलाने की घटनाओं में लगातार कमी देखी जा रही है।
हालांकि, धान की पराली जलाने का संबंध केवल दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों के प्रदूषण से नहीं है, बल्कि यह मिट्टी के स्वास्थ्य और उसकी उर्वरता पर प्रतिकूल प्रभाव डालकर, कृषि भूमि पर भी हानिकारक प्रभाव डाल रहा है।
वही केंद्रीय पर्यावरण मंत्री ने कहा कि पिछले पांच वर्षों से धान की पराली जलाने से रोकने के प्रयासों के अच्छे परिणाम मिल रहे हैं। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग जैसी एजेंसियों के ठोस प्रयासों के कारण, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में पराली जलने की घटनाओं में कमी आई है।