रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के दिन दीपावली मनाने के लिए उत्साह

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पांच सौ वर्षों के सतत संघर्ष और स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद विकृत व दूषित मनोवृत्ति की राजनीति के कारण सर्दी,गर्मी व बरसात में भी फटे टेंट में सब प्रकार के कष्ट झेलने वाले प्रभु श्रीरामलला अब अपने दिव्य एवं भव्य मंदिर में प्राण प्रतिष्ठित होने जा रहे हैं । जैसे जैसे प्राण प्रतिष्ठा की तिथि 22 जनवरी 2024 निकट आ रही है भारत के पूर्वी से पश्चिमी और उत्तर से दक्षिणी छोर तक समस्त सनातनी रामभक्तों का उत्साह भी बढ़ता जा रहा है। सभी प्रभु श्रीरामलला के आगमन के आनन्दोत्सव में डूबना चाह रहे हैं। यही कारण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपनी विगत अयोध्या यात्रा में रामभक्तों के मन में भी धैर्य का भाव जगाना पड़ा । उन्होंने 30 दिसंबर को अयोध्या की भूमि से सम्पूर्ण भारत को संबोधित करते हुए कहा कि हम सभी ने अयोध्या में प्रभु श्रीराम के मंदिर के लिए 500 वर्षों से भी अधिक समय से प्रतीक्षा की है और संघर्ष किया है और अब बस कुछ दिन ही और धैर्य रखना है।
इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 जनवरी 2024 को अपने अपने घरों में राम ज्योति जलाने व दीपावली मनाने का आहवान भी किया ।

प्रधानमंत्री ने कहा कि हर किसी की प्राण प्रतिष्ठा में सम्मिलित होने की इच्छा है लेकिन ऐसा संभव नहीं है । उन्होंने देश के सभी रामभक्तों से प्रार्थना की कि वे 22 जनवरी को विधि विधान से कार्यक्रम संपन्न हो जाने के बाद 23 जनवरी के बाद अपनी सुविधानुसार अयोध्या आयें। इससे पूर्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक भव्य रोड शो निकाला और अत्याधुनिक महर्षि वाल्मीकि एयरपोर्ट और अयोध्या धाम रेलवे स्टेशन का उद्घाटन किया, उत्सव के वातावरण में वंदे भारत व अमृत भारत ट्रेनों को हरी झण्डी दिखाकर अयोध्या के विकास पथ का भव्य श्रीगणेश किया।

2014 के पूर्व भारत की धर्मप्राण जनता ने सपने में भी नहीं सोचा था कि अयोध्या में इतना दिव्य एवं भव्य मंदिर बनकर तैयार हो जाएगा या फिर कोई प्रधानमंत्री अयोध्या को विश्व की सर्वश्रेष्ठ नगरी बनाने का कार्य करेगा क्योंकि एक समय था जब देश का कोई भी नेता अयोध्या का नाम तक लेने से हिचकता था। अब समय बदल चुका है और अयोध्या, काशी और मथुरा सहित सनातन के सभी आस्था केन्द्रों का व्यापक दृष्टिकोण से विकास हो रहा है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में महारानी अहिल्याबाई होल्कर व महाराज विक्रमादित्य की छवि स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ रही है क्योंकि इन दोनों ही महान विभूतियों ने हिंदू मंदिरों का जीर्णेद्धार करवाया था और प्रधानमंत्री मोदी भी उन्हीं का कार्य आगे बढ़ा रहे हैं। लगभग दो हजार वर्ष पूर्व महाराज विक्रमादित्य ने रामनगरी को संवारा था उसके पश्चात् महारानी अहिल्याबाई होलकर ने और अब 1528 में बाबर के सेनापति के अयोध्या विध्वंस के बाद आधुनिक विक्रमादित्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों अयोध्या का कायाकल्प हो रहा है।

प्रधानमंत्री ने अपनी 30 दिसंबर की अयोध्या यात्रा में जनसभा को संबोधित करने से पूर्व 15 हजार 709 करोड़ रुपये की योजनाओें का लोकार्पण व शिलान्यास किया। जिसमें महर्षि वाल्मीकि एयरपोर्ट व व अयोध्या धाम जंक्शन तो था ही, रामपथ-भक्तिपथ-धर्मपथ के लिए भी विभिन्न योजनाओं का लोकार्पण व शिलान्यास भी था । जिसके अंतर्गत जौनपुर- अयोध्या- बाराबंकी रेलवे लाइन का दोहरीकरण, 200 किमी लम्बी रेल लाइन का विद्युतीकरण, महर्षि दशरथ मेडिकल कालेज, अयोध्या रेलवे स्टेशन का प्रथम फेज, एनएच 27 बाईपास से रामजन्मभूमि हाइवे ,74.25 किमी लम्बा बड़ी बुआ रेलवे ब्रिज शामिल है। इसके अतिरिक्त ग्रीन फील्ड टाउनशिप की विभिन्न योजनाओं सहित अन्य जिलों से सम्बंधित विभिन्न योजनाओं का लोकार्पण व शिलान्यास किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 6 वंदे भारत व दो अमृत भारत ट्रेनों के संचालन को हरी झंडी दिखाकर एक इतिहास ही रच दिया है।
प्रधानमंत्री ने जिस एयरपोर्ट व रेलवे स्टेशन का उद्घाटन किया है वह भी बाहर से मंदिर और अंदर से भव्यता का पर्याय है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी अयोध्या यात्रा के माध्यम से धर्मपथ से होते हुए राजपथ को थाम लिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने चिरपरिचित अंदाज में सरकारी योजनाओ की एक लाभार्थी मीरा मांझी के घर पहुंच गये और उनके परिजनों का हालचाल पूछा साथ ही मीरा के हाथो बनाई चाय को पीकर सभी को अचंभित कर दिया। मीरा उज्जवला योजना की दस करोड़वीं लाभार्थी होने के साथ एक निषाद परिवार से हैं । यहाँ प्रधानमंत्री ने पीडीए की राजनीति करने का दावा करने वाले सभी राजनैतिक दलों को साफ संदेश दिया कि इस बार लोकसभा चुनावों में मंडल और कमंडल सभी हमारे साथ आने जा रहे हैं।प्रधानमंत्री अपने स्वभाव के अनुरूप बच्चों से भी मिले और उनका उत्साहवर्धन किया।

यह एक कटु सत्य है कि 2014 और फिर 2017 से पूर्व वर्तमान अयोध्या की कल्पना किसी ने भी नहीं की थी। हवाई अड्डा, इतना बड़ा और सुविधा संपन्न रेलवे स्टेशन, रामपथ-धर्मपथ-भक्तिपथ जैसे मार्ग कल्पनामात्र ही थे। सूर्यस्तंभ की तो किसी ने कल्पना तक नहीं की थी। अब प्रधानमंत्री नरेंद मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में ये सभी कल्पनाएँ साकार हो रही हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कहना है कि आगामी दस वर्षों में अकेले अयोध्या में ही 80 हजार करोड़ से अधिक विकास कार्य संपन्न कराये जायेंगे।अयोध्या विश्व की सबसे विशाल सांस्कृतिक राजधानी बनने की ओर अग्रसर हो रही है। चार ऐतिहासिक प्रवेशद्वारों के संरक्षण एवं सुंदरीकरण योजना के मूर्तरूप लेने के बाद अयोध्या और भी अधिक शोभायमान हो जाएगी। सरयू नदी पर राम की पैड़ी से राजघाट तक राजघाट से भगवान श्रीराम के मंदिर तक श्रद्धालु भ्रमण पथ का सुदृढ़ीकरण एवं जीर्णोद्धार पूर्ण होने के बाद अयोध्या में श्रद्धालुओं की राह और भी अधिक सुगम होगी अतः इस बात में कोई अतिशयोक्ति नहीं है कि 22 जनवरी 2024 के बाद आने वाला समय अयोध्या का है, सनातन संस्कृति के उत्थान का है।

आज संपूर्ण विश्व के रामभक्त अयोध्या आकर प्रभु श्रीराम के दर्शन करने के लिए आतुर हो रहे हैं। सभी रामभक्त कम से कम एक बार वंदे भारत और अमृत भारत ट्रेनों में बैठकर प्रभु श्रीराम के दर्शन करने के लिए आना चाह रहे हैं। महर्षि वाल्मीकि एयरपोर्ट को देखने के लिए निकटवर्ती गोंडा, सुलतानपुर व अंबेडकरनगर लोग केवल एयरपोर्ट और रेलवे स्टेशन देखने के लिए भारी संख्या में अयोध्या पहुँच रहे हैं ओर सेल्फी का आनंद उठा रहे हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि आगामी दिनों में एयरपोर्ट में अभी 10 लाख यात्री प्रतिवर्ष आयेंगे लेकिन जब यह पूरी तरह से बनकर तैयार हो जाएगा तो यहां पर प्रतिवर्ष 60 लाख यात्री आयेंगे वहीं अयोध्या धाम का स्टेशन सपूंर्ण हो जाने के बाद प्रतिदिन 60 हजार यात्री आयेंगे। अब अयोध्या वैश्विक जगत में आध्यात्मिक नक्षत्र के रूप में उभरने जा रही है। यही कारण है कि आज सम्पूर्ण विश्व में जहां जहां सनातन हिंदू संस्कृति का परिपालन करने वाला एक भी रामभक्त उपस्थित है वह 22 जनवरी के शुभ मुहूर्त की उसी प्रकार से प्रतीक्षा कर रहे हैं जैसे कि प्रभु श्रीराम के भाई भरत ने श्री राम के वनवास से लौटने के लिए करी थी।अक्षत कलश यात्रा के प्रारम्भ होने के साथ ही अब उत्साह लगातार बढ़ता जा रहा है। चाय -पान की नुक्कड़ की दुकानों तक में 22 जनवरी की तैयारियों पर चर्चा हो रही है।

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मृत्युंजय दीक्षित

मृत्युंजय दीक्षित

मृत्युंजय दीक्षित का लखनऊ में निवास है। वे लेखक, स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तम्भकार हैं

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