काठमांडू : नेपाल के राजनीतिक संकट के बीच पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की का नाम अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में चर्चा में है। जनरेशन जेड के प्रदर्शनकारियों ने भ्रष्टाचार और अस्थिरता के खिलाफ अपनी मांगों को मजबूत करने के लिए कार्की को चुना है। लेकिन इसकी पृष्ठभूमि में एक चौंकाने वाली ऐतिहासिक घटना छिपी है—1973 का वह विमान अपहरण, जिसमें कार्की के पति दुर्गा प्रसाद सुबेदी मुख्य भूमिका में थे। यह घटना न केवल नेपाल के लोकतांत्रिक संघर्ष का प्रतीक बनी, बल्कि बॉलीवुड अभिनेत्री माला सिन्हा को भी उसके चपेट में ले लिया।
10 जून 1973 को रॉयल नेपाल एयरलाइंस की 19-सीटर ट्विन ऑटर विमान (रजिस्ट्रेशन 9N-ABB) विराटनगर से काठमांडू के लिए उड़ी। विमान में 19 यात्री और तीन क्रू मेंबर सवार थे, जिनमें प्रसिद्ध बॉलीवुड अभिनेत्री माला सिन्हा और उनके पति, नेपाली अभिनेता सीपी लोहानी भी शामिल थे। विमान नेपाल राष्ट्र बैंक के 30 लाख भारतीय रुपये ले जा रहा था, जो अररिया (भारत) से काठमांडू पहुंचाने के लिए था। टेकऑफ के मात्र पांच मिनट बाद ही तीन हाईजैकर्स—दुर्गा प्रसाद सुबेदी, बसंत भट्टराई और नागेंद्र प्रसाद धुंगेल—ने हथियारों से विमान पर कब्जा कर लिया।
उनका मकसद था पैसे लूटकर नेपाली कांग्रेस के नेतृत्व में राजशाही के खिलाफ सशस्त्र क्रांति को फंड करना। तत्कालीन राजा महेंद्र के पंचायत व्यवस्था के खिलाफ लोकतंत्र की लड़ाई लड़ रहे नेपाली कांग्रेस के युवा नेता सुबेदी ने यह योजना बनाई थी। मास्टरमाइंड पूर्व प्रधानमंत्री गिरिजा प्रसाद कोइराला थे, जबकि सुशील कोइराला और अन्य सहयोगी फोर्ब्सगंज (बिहार) में इंतजार कर रहे थे। हाईजैकर्स ने पायलट को मजबूरन विमान को भारत के फोर्ब्सगंज के एक घास के मैदान पर उतार दिया। वहां से तीन बॉक्स में पैक नकदी को लूट लिया गया। पैसा दार्जिलिंग ले जाकर क्रांति के लिए इस्तेमाल किया गया। विमान बिना किसी हताहत के वापस उड़ान भरकर काठमांडू पहुंचा। माला सिन्हा ने बाद में बताया कि वे डर गईं थीं, लेकिन हाईजैकर्स ने यात्रियों को नुकसान नहीं पहुंचाया।
अपहरण के एक साल के अंदर सुबेदी और अन्य को मुंबई में गिरफ्तार कर लिया गया। उन्हें दो साल की सजा हुई। लेकिन 1975 में भारत में इंदिरा गांधी द्वारा लगाई गई इमरजेंसी के दौरान जेल से रिहा कर दिया गया। रिहाई के बाद सुबेदी बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) पहुंचे, जहां वे छात्र बने। यहीं उनकी मुलाकात सुशीला कार्की से हुई, जो पॉलिटिकल साइंस में मास्टर्स कर रही थीं। दोनों ने प्रेम विवाह किया। कार्की ने बाद में त्रिभुवन विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री ली और नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बनीं। उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ साहसी फैसले दिए, जैसे महिलाओं को नागरिकता अधिकार और न्यायिक सुधार।
यह घटना नेपाल के इतिहास में ‘लोकतंत्र के लिए अपहरण’ के रूप में जानी जाती है। 2017 में इस पर डॉक्यूमेंट्री ‘हाईजैकिंग फॉर डेमोक्रेसी’ बनी। सुबेदी ने अपनी किताब ‘बिमान विद्रोह’ में पूरी कहानी बयां की। आज जब कार्की नेपाल के अंतरिम नेतृत्व की दौड़ में हैं, तो यह पुरानी घटना फिर सुर्खियों में है। क्या यह इतिहास कार्की के भविष्य को प्रभावित करेगा? नेपाल के युवा प्रदर्शनकारियों का मानना है कि कार्की की निष्पक्षता ही देश को बचा सकती है।