आचार्य श्रीहरि
राज्यसभा टीवी सोनिया गांधी की वार रूम हुआ करती थी। उर्मिलेश यादव, अखिलेश सुमन, अरविन्द सिंह और कुर्बान अली जैसों की नियुक्ति प्रतिभा के आधार पर नहीं बल्कि उनकी मुस्लिम, हामिद अंसारी और कांग्रेस भक्ति के आधार पर हुई थी। राज्य सभा टीवी में उन सभी लोगो को नियुक्तियां मिलती थी और अन्य जगह जैसे बहस, सीरियल निर्माण आदि में मिलती थी जो हिन्दू विरोधी होते थे, जो इंडियन स्टेट के खिलाफ लडने की मानसिकता रखते थे, जिनका समर्पण मुस्लिम परस्ती और हज मानसिकता से जुडी होती थी। उर्मिलेश यादव, अरविंद सिंह, अखिलेश समुन सहित दर्जनों लोगों का कोई टीवी बैकग्राउंड नहीं था फिर भी इन्हें राज्य सभा टीवी में जगह मिली थी। राज्य सभा टीवी संसदीय मामलों पर कम ही ध्यान देती थी, घोडे और खच्चर की रिर्पोिटंग पर ज्यादा ध्यान देती थी, राज्यसभा टीवी के रिपोर्टर मनोरंजन लूटते थे और पानी की तरह पैसा बहाते थे। राज्यसभा टीवी आशिकी की भी जगह बन गयी थी। बहुत सारी बाते सही थी फिर भी न लिखने योग्य थी।चुनावी रिपोर्टिंग में करोड़ों रूपये स्वाहा किये गये थे। सबसे बडी बात यह थी कि राज्य सभा टीवी भाजपा और सनातन की कब्र खोदती थी। कांग्रेस के खिलाफ सुनना भी नहीं चाहती थी। राज्यसभा टीवी ही नहीं बल्कि अन्य संवैधानिक संस्थाओं में भी कांग्रेसी हस्तियां नियुक्ति पाकर सनातन की कब्र खोदती थी।
राज्य सभा टीवी का पहला सीईए गुरदीप सप्पल को बनाया गया था। जो कांग्रेसी था। उसने कांग्रेसियों से राज्यसभा टीवी को भर दिया था। राज्यसभा टीवी के दफ्तर को कांग्रेस का दफ्तर बना दिया गया था। सोनिया गांधी और उसके बेटे और बेटियों का भाषण स्पीच लिखा जाता था, भाजपा के खिलाफ किस प्रकार से घृणा अभियान चलना चाहिए, उसकी नीतियां और व्यूह रचना तैयार होता था। राज्यसभा टीवी के पत्रकारों से संघ नेताओ की गुप्तचरी करायी जाती थी और संघ की रणनीतियों की जानकारी जुटाने के इस्तेमाल किया जाता था। चर्चा होती थी कि दंगारोधी विधेयक भी राज्यसभा टीवी के दफ्तर मंे तैयार हुआ था। दंगारोधी विधेयक हिन्दू अस्मित पर अंतिम कील ठोकने वाला था, दंगा होने पर सिर्फ हिन्दू ही जेल जायेगा, सिर्फ हिन्दू ही अपराधी होगा, ऐसा था। दंगा रोधी विधेयक का व्यापक विरोध हुआ था। अगर 2014 में कांग्रेस वापस आती तो फिर दंगा रोधी विधेयक लागू हो जाता। खासकर राज्यसभा के सभापति और उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी का दखल कुछ ज्यादा ही था। हामिद अंसारी के कारण राज्यसभा टीवी के पत्रकारों और गैर पत्रकारों की कांग्रेस भक्ति, पाकिस्तान भक्ति और मुस्लिम भक्ति सिर चढकर बोलती थी। आईएसआई का एजेंट ने खुलासा किया था कि हामिद अंसारी कैसे भारत की कब्र खोदने में उनकी मदद करता था। भारत की कब्र खोदने की इच्छा रखने वाला हामिद अंसारी राज्यसभा टीवी के पत्रकारों और गैर पत्रकरों को मुस्लिम परस्ती और पाकिस्तान परस्ती दिखाने के लिए कैसे नहीं प्रेरित किया होगा?
भाजपा सत्ता में आयी फिर भी सोनिया गांधी के लिए काम करने वाले पत्रकारों का कोई बाल बांका नहीं हुआ और न ही उन्हें राष्ट्रभक्ति का पाठ पढाया गया और न ही उन्हें भारतीय कानूनों का पाठ पढाया गया। हामिद अंसारी की पाकिस्तान परस्ती पर भी कोई संज्ञान नहीं लिया गया। कुछ परिवर्तन हुए। जैसे राज्यसभा टीवी और लोकसभा टीवी का एक कर दिया गया। बहुत सारे पत्रकारों ने अपनी सोनिया गांधी भक्ति छिपायी और भाजपाई बन गये, बहुत सारे पत्रकारों का टर्म पूरा हो गया और वे राज्यसभा टीवी से मुक्त हो गये। काग्रेस और सोनिया गांधी ने अपने पप्पू पत्रकारों को बेरोजगार नहीं होने दिया। राज्यसभा टीवी के पहले सीईओ गुरदीप सप्पल को सोनिया गांधी ने कांग्रेस का पदाधिकारी और प्रवक्ता बनवा दिया। जबकि अरविद सिंह ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष का सलाहकार स्टाप की नौकरी पायी। इसके साथ ही साथ राज्सभा टीवी के अन्य स्टापों का भी प्रबंधन कांग्र्रेस ने कर दिया। सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि कई पत्रकारों को विदेशों से फंडिंग भी करायी है, नौकरियां भी दिलवायी। न्यूज क्लिक का प्रकरण आपने सुना होगा। भारत को अस्थिर करने और नरेन्द्र मोदी की छबि को खराब कराने के लिए चीन ने अपना हथकंडा न्यूज क्लिक के तौर पर खडा किया था। न्यूज क्लिक को चीनी फंडिंग मिली थी। न्यूज क्लिक से उर्मिलेश यादव को लाखों रूपये मिले हैं।
चोरी और सीनाजोरी। आज गोदी मीडिया कहने वाले कौन लोग हैं? वही हैं जो कांग्रेस के पैसे और पद पर पलते थे, बढते थे और राज्यसभा टीवी जैसी जगहों पर मनोरंजन करते थे। अब नरेन्द्र मोदी के राज मंें कांग्रेसी पत्रकारों को पैसे और पद नहीं मिल रहे हैं तो अंगूर खट्टे हैं की परिभाषा पर सवार हो गये। अभी-अभी राहुल गांधी ने इंडियन स्टेट से लडने की बात की थी। उसने कहा था कि सभी संवैधानिक संस्थाओं में बीजेपी के लोग भरे पडे हैं। पर सच्चाई यह है कि नरेन्द्र मोदी के राज में भी कांग्रेसी चमचे ही पत्रकार के रूप में मलाई खा रहे हैं। कांग्रेस ने संवैधानिक संस्थाओं को किस प्रकार से अपने चंगूल में कैद कर रखा था उसका राज्यसभा टीवी एक उदाहरण मात्र हैं, ऐसे उदाहरण भरे पडे हैं।