दीदी को आया चक्कर, मामला क्या है

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मोनिका जोहरी

दीदी को चक्कर आ रहें हैं ! शायद इस भीषण गर्मी में दीदी को नजर लग गई है ! पहले तांत्रिक विद्या से दीदी का चक्कर मिटा दूँ –

डिसइक़्विलिब्रियम, डिज़्ज़िनेस, गिड्डीनेस, प्रीसिंकोपि हारिणी
ऑथोलेटिक, वेस्टिब्यूलर माइग्रेन, बीपीपीवी, मेनियर्स मोहिणी
वेस्टिबूलर न्युरैटिस लाब्रिनिथिटक्स पेरीलिम्फ फिस्टूला स्वामिणी
वेस्टिब्युलर परोक्सिमिया एकॉस्टिक एमडीडीएस वशीकरणी 👙
ऐं क्ली क्ली आह उह ह्वीं ह्वों भेंचो स्व: गाँड फट वर्टिगो स्वाहा: 🔥

👉 अब सुनो आप सब ! ओपीडी में मरीजों की कतारें लम्बी होती है समझ सकती हूँ ऐसे हालात में मरीजों को ये महत्वपूर्ण बात समझनी होगी कि आप जब भी डॉक्टर से मिलें, तो चक्कर के दौरान महसूस करने वाली सभी बातों को उन्हें खुलकर बताएं। इस स्थिति का पहला व यह सबसे महत्वपूर्ण कदम होता है, प्रयास करें कि अपने लक्षणों को और बेहतर समझें और डॉक्टर को उनसे और बेहतर अवगत कराएँ ताकि आपके रोग की सही पहचान हो सके, निदान का पता लगाने व इसके इलाज को सही दिशा दी जा सके। क्योंकि लक्षणों की विस्तृत समझ बीमारी को जानने में बड़ी भूमिका निभाती है।

👉 हमें आकर बताया करो कि – आप चक्कर कहते किसको हैं ?
चक्कर आने की आपके अनुसार परिभाषा क्या है ? चक्कर आने के समय आपको होता क्या है ? क्या चक्कर आने पर आप गिर भी पड़ते हैं ? गिरते हैं तो किस तरफ़ ? क्या चक्कर के साथ आपको उल्टी भी लगती है ? कानों में घण्टियाँ भी बजती हैं ? सबकुछ अपने इर्दगिर्द घूमता हुआ दिखता है ? खड़े होने पर आँखों के आगे अँधेरा छा जाता है ? क्या यह खुद ही ठीक हो जाता है या आपको इसके लिए कुछ करने की जरूरत होती है, जैसे- लेट जाना ?

चक्कर के लिए मेडिकल साइंस में बहुत शब्द प्रचलित हैं और सभी के कारण अलग हैं। ऐसे में रोग को ठीक से पकड़ने में और उसके उपचार में समस्या आती है। हाँ…कुछ बातों को ध्यान में रखकर वर्टाइगो को बेहतर समझा जा सकता है। वर्टिगो शब्द लैटिन भाषा वर्टो से लिया गया है। इसका अर्थ है – घूमना। वर्टिगो घूमने का एक अहसास या असंतुलन की अनुभुति है।

इसे हम बीमारी तो नहीं कह सकते, लेकिन हां यह एक लक्षण है हमारे शरीर में होने वाली कई परेशानियों के कारण चक्कर आ सकते है यह परेशानी किसी भी उम्र के लोगों में हो सकती है।

👉 चक्कर आने का पहला रूप – अगर आँखों के आगे अँधेरा छाना और गिर पड़ने की स्थिति है तो अमूमन यह हृदय के पम्प कार्य या ख़ून के संचार से सम्बन्धित मामला है। इसे मेडिकल साइंस में सिंकोपि या नियर सिंकोपि कहतें है। बहुधा ऐसा खड़े होने पर ही अधिक होता है। ठीक से ख़ून मस्तिष्क में नहीं पहुँच पा रहा। ऐसा कई बीमारियों में हो सकता है जिन्हें हृदयरोग विशेषज्ञ जाँचों के द्वारा पहचान सकते हैं।

👉 चक्कर आने दूसरा रूप – बिनाइन पैरोक्जिमल पोजीशनल वर्टिगो (बीपीपीवी) है। #बिनाइन का अर्थ हैं कि ना तो यह गंभीर हैं और न ही जानलेवा। पैरोक्जिमल अर्थात लक्षणों की एकाएक होने वाली घटनाएं। #पोजिशनल अर्थात स्थिति के कारण लक्षणों का उभरना या शुरू होना। #वर्टिगो अर्थात चक्कर आना, घूमने की अनुभुति।

बिनाइन परओक्सिमल पोजिशनल वर्टिगो (बीपीपीवी) कान के भीतरी हिस्से में होने वाला विकार है। शरीर की स्थिति बदलने करवट लेने के साथ वर्टिगो का बार बार होना इसका मुख्य लक्ष्ण है। इसमें व्यक्ति का अचानक से सिर घूमने लगता है और एक ही दिशा में सिर घूमता है। इस प्रकार का ‘वर्टिगो बहुत ही गंभीर होता है।

चक्कर की एक बिरादरी शुद्ध वर्टिगो है, जिसमें रोगी को लगता है कि उसके आसपास की चीज़ें घूम रही हैं और ऐसा होने से वह गिर पड़ेगा। यह कान के आंतरिक भाग का विकार है जो संतुलन और सुनने को दुष्प्रभावित करता है। इसमें तीन लक्षण एक साथ परिलक्षित होते हैं – चक्कर आना, कान में आवाज आना, सुनना कम हो जाना। यह भीतरी कान में तरल पदार्थ के बढ़ते हुए दबाव के कारण होते है। ऐसे रोग अमूमन नाक-कान-गला-रोगों के विशेषज्ञ देखते हैं। जैसे मेनीयर्स रोग, वेस्टिब्यूलर न्यूराईटिस, लाब्रिनिथिटक्स, वेस्टिब्यूलर परोक्सिमिया, पेरीलिम्फ फिस्टूला।

👉 चक्कर आने का का तीसरा रूप – रोगी का असन्तुलित होने लगना है। इसे डिसइक्विलिब्रियम कहा गया है। ऐसा होने से उसके गिरने और चोटिल होने की आशंका रहती है। इन रोगियों को खड़े रहने में परेशानी होती है और आमतौर पर सुनाई की समस्या नहीं होती। ये अक्सर तेज आवाज और चकमदार रोशनी को सहन नहीं कर पाते हैं। असन्तुलन पैदा करने वाले रोग अमूमन मस्तिष्क के होते हैं जैसे माईग्रेन वर्टिगो, ऑटोलिथिक विकार, ऑक्योस्टिक न्यूरोमा और उन्हें न्यूरोलॉजिस्ट देखते हैं।

👉 चक्कर का चौथा रूप – जो इन तीनों से अलग है , वह मानसिक है। वह इन सभी से भिन्न है और उसे मनोचिकित्सक द्वारा ठीक किया जाता है। जैसे मालडी डिबारकमेंट सिंड्रोम (एमडीडीएस) इसमें मरीज को ऐसा अनुभव होता हैं जैसे वह एक नाव या फोम पर चल रहा हो। यह प्रायः लम्बी उड़ान या नाव की लम्बी यात्रा के बाद होता है। महिलाओं में यह रोग पुरूषों की अपेक्षा ज्यादा रहता है। कार में बैठने या कार चलाने से इस रोग के लक्षण अस्थाई रूप से कम हो जाते हैं। इन रोगियों को ऑप्टोकायनिटीक विज्युअल स्टिमुलेशन में शामिल करने से फायदा मिलता है।

👉 चक्कर आने का एक विरले कारण होता है सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस ! क्यों आता है कैसे आता है इसपर बात फिर कभी क्योंकि ये एकदम रेयर होतें हैं और जवान लोगों में मैंने आज तक ऐसी कोई समस्या नहीं देखी !

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