श्रीनगर। पत्रकार अदिति त्यागी के साथ एक कश्मीरी युवा का वीडियो इंटरव्यू हृदयस्पर्शी है, जिसमें उसने पत्थरबाजी की गहराई से पड़ताल की। युवा ने स्वीकार किया कि पत्थरबाजी में शामिल होना एक सामूहिक मानसिकता का परिणाम था, जहां अन्यों को देखकर वे भी शामिल हो जाते थे, पुलिस के डर और पहचान छुपाने के लिए नकाब पहनते थे।
यह 2010 और 2016-17 के पत्थरबाजी के उथल-पुथल भरे दौर से मेल खाता है, जहां यह भारतीय सुरक्षा बलों के खिलाफ विरोध का रूप था। युवा की यह समझ कि उन्हें दूसरों के लाभ के लिए इस्तेमाल किया गया, संघर्ष की जटिलताओं को उजागर करती है।
भारतीय खुफिया ब्यूरो की 2017 की रिपोर्ट के अनुसार, आईएसआई ने अशांति भड़काने के लिए धन मुहैया कराया, जिससे कुछ लोगों को फायदा हुआ। डेविड देवदास की 2018 की विश्लेषण के मुताबिक, सोशल मीडिया और शांति की इच्छा ने युवाओं की सोच में बदलाव लाया है।
युवा का पछतावा और गलती की समझ कश्मीर में शांति की ओर बढ़ते कदमों को दर्शाती है। हाल के वर्षों में पत्थरबाजी की घटनाओं में कमी आई है, जो सामान्य स्थिति की ओर बढ़ने का संकेत देती है। यह वीडियो न केवल एक व्यक्तिगत कहानी है, बल्कि कश्मीर के भविष्य के लिए आशा की किरण भी है।
Source : https://x.com/aditi_tyagi/status/1952579201778811146