शिमला : भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान (आईआईएएस) ने जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर एक भव्य आयोजन कर भगवान बिरसा मुंडा को श्रद्धांजलि अर्पित की। संस्थान के सेमिनार कक्ष में आयोजित इस कार्यक्रम में प्रतिष्ठित विद्वान, फेलो, एसोसिएट्स और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया और भारत की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर में जनजातीय समुदायों के योगदान पर विचार-विमर्श किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्थान के नेशनल फेलो प्रो. आर. सी. सिन्हा ने की। अपने संबोधन में प्रो. सिन्हा ने भगवान बिरसा मुंडा की विरासत को न्याय, समानता और सांस्कृतिक संरक्षण को बढ़ावा देने में उनकी भूमिका को रेखांकित किया।
कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण प्रो. सचिदानंद मोहंती द्वारा दिया गया विशेष व्याख्यान रहा। प्रो. मोहंती, जो आईआईएएस के नेशनल फेलो और सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ ओडिशा के पूर्व कुलपति हैं, ने *“औपनिवेशिक दृष्टिकोण से परे: जनजातीय लेखन की झलकियां (बियॉन्ड द कोलोनियल गेज: विग्नेट्स ऑफ ट्राइबल राइटिंग टुडे)”* विषय पर व्याख्यान दिया।
अपने व्याख्यान में प्रो. मोहंती ने जनजातीय कथाओं की समृद्धता पर प्रकाश डाला और न्याय, समानता और स्थिरता पर उनके समकालीन विमर्शों को आकार देने में उनकी भूमिका पर चर्चा की। उन्होंने जनजातीय साहित्य और मौखिक परंपराओं को औपनिवेशिक पूर्वाग्रहों से परे जाकर नए दृष्टिकोण से देखने की आवश्यकता पर बल दिया।
प्रो. मोहंती ने यह भी बताया कि कैसे औपनिवेशिक मानवशास्त्र और जातीय अध्ययन ने जनजातीय आवाजों को हाशिये पर धकेल दिया, जिससे उनकी सांस्कृतिक पहचान समाप्त हो गई। उन्होंने ऐतिहासिक अन्यायों को सुधारने और जनजातीय संस्कृति की बेहतर समझ के लिए एक नई आलोचनात्मक दृष्टि अपनाने का आग्रह किया।
कार्यक्रम के दौरान, जनजातीय गौरव दिवस का महत्व भी रेखांकित किया गया, जिसे हर साल भगवान बिरसा मुंडा की जयंती पर मनाया जाता है। प्रो. सिन्हा ने अपने वक्तव्य में स्वतंत्रता संग्राम में जनजातीय नेताओं के योगदान और बलिदानों को याद करते हुए समाज से जनजातीय संस्कृतियों के संरक्षण और सामाजिक-आर्थिक असमानताओं को दूर करने का आह्वान किया।
कार्यक्रम का समापन संस्थान के जनसंपर्क अधिकारी अखिलेश पाठक द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। उन्होंने प्रो. सिन्हा, प्रो. मोहंती और सभी उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों का आभार व्यक्त किया और कार्यक्रम को सफल बनाने में उनके योगदान की सराहना की।
कार्यक्रम को सिस्को वेबेक्स और आईआईएएस के फेसबुक पेज पर लाइव स्ट्रीम किया गया, जिससे बड़ी संख्या में दर्शक इस चर्चा में शामिल हो सके। कार्यक्रम की पूरी रिकॉर्डिंग यहां देखी जा सकती है: https://fb.watch/w3-zR1xynL/।
यह आयोजन जनजातीय गौरव दिवस के प्रति आईआईएएस की सांस्कृतिक समावेशिता को बढ़ावा देने और भारत की विविध धरोहर पर अकादमिक संवाद को प्रोत्साहित करने की प्रतिबद्धता का हिस्सा है।