दिल्ली । भारत की सियासी गलियारों में इन दिनों एक ऐसी अफवाह उड़ रही है, मानो कोई बॉलीवुड मसाला फिल्म का ट्रेलर लॉन्च हुआ हो! सुनने में आया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब राष्ट्रपति भवन की शोभा बढ़ाएंगे, गृह मंत्री अमित शाह किसी राज्य के राजभवन में राज्यपाल की कुर्सी संभालेंगे, और संजय जोशी, जो कभी बीजेपी के गुमनाम योद्धा थे, अचानक प्रधानमंत्री की गद्दी पर विराजमान होंगे। इतना ही नहीं, तमिलनाडु के फायरब्रांड नेता के. अन्नामलाई को पार्टी का नया अध्यक्ष बनाने की भी खुसर-पुसर है। ये अफवाहें कहां से जन्मीं? शायद किसी चाय की टपरी पर, या फिर सोशल मीडिया के उस अंधेरे कोने में, जहां सत्य और कल्पना का मिलन होता है।
इस तमाशे की सच्चाई ढूंढने की कोशिश की, तो पता चला कि ऐसी कोई ठोस जानकारी नहीं है। ना कोई आधिकारिक बयान, ना ही विश्वसनीय स्रोत। बस, कुछ लोग हैं, जो सियासी गपशप को हवा देने में माहिर हैं। शायद ये अफवाहें बीजेपी के आंतरिक समीकरणों पर कटाक्ष हैं, या फिर विपक्ष की शरारत। जोशी और मोदी के पुराने मतभेद तो जगजाहिर हैं, लेकिन क्या इतना ड्रामा संभव है? और अन्नामलाई? वो तो अभी तमिलनाडु में अपनी जड़ें जमाने में व्यस्त हैं!
तो जनता से निवेदन है, इन अफवाहों को मसाला समझकर हंसी में उड़ाएं। सियासत का असली खेल तो संसद और चुनावी रैलियों में होता है, ना कि व्हाट्सएप फॉरवर्ड में। और हां, अगली बार कोई ऐसी खबर सुनें, तो पहले चाय की चुस्की लें, फिर सोचें—क्या ये सच है, या बस एक और सियासी चटखारा?