ऐतिहासिक चैडविक हाउस: विरासत से आधुनिक संग्रहालय तक

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– अखिलेश पाठक

शिमला : हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के समीप, शिमला की सुरम्य पहाड़ियों के बीच स्थित चैडविक हाउस ब्रिटिश राज के समय का एक अत्यंत आकर्षक और महत्वपूर्ण ऐतिहासिक भवन है। इसका निर्माण 1880 के दशक में एक ब्रिटिश नागरिक द्वारा करवाया गया था, जिन्होंने इसका नाम प्रसिद्ध ब्रिटिश भौतिक विज्ञानी सर जेम्स चैडविक के सम्मान में रखा। बाद में, वर्ष 1904 में यह भवन कपूरथला के महाराजा सरदार चरणजीत सिंह के स्वामित्व में आया, जिन्होंने इसे अपना ग्रीष्मकालीन निवास बनाया।

चैडविक हाउस भारत के स्वतंत्रता आंदोलन की स्मृतियों से भी जुड़ा हुआ है। जुलाई 1946 में, जब भारत में सत्ता हस्तांतरण और स्वतंत्रता की रूपरेखा तय करने के उद्देश्य से ब्रिटिश कैबिनेट मिशन शिमला आया, तब महात्मा गांधी ने इसी भवन में ठहरकर कई महत्वपूर्ण बैठकों में भाग लिया था। यहीं से उन्होंने सभाओं को संबोधित किया और अपने विचार साझा किए। इस कारण से चैडविक हाउस स्वतंत्रता संग्राम की महत्वपूर्ण विरासतों में गिना जाता है।

भारत की आज़ादी के बाद, वर्ष 1950 में चैडविक हाउस एक नए इतिहास का हिस्सा बना। यहाँ भारतीय लेखा एवं ऑडिट सेवा (IAAS) के पहले प्रशिक्षुओं की ट्रेनिंग की शुरुआत हुई। इससे यह भवन भारत की वित्तीय प्रशासनिक सेवा के विकास और यात्रा की गाथा का अहम हिस्सा बन गया। लेखा एवं ऑडिट की सेवा का इतिहास और उनका क्रमिक विकास चैडविक हाउस से निकटता से जुड़ा हुआ है।

हालांकि, समय के प्रवाह में देखभाल के अभाव में यह ऐतिहासिक भवन जर्जर स्थिति में पहुँच गया। 2000 के दशक में प्रसार भारती के नियंत्रण में आने के बाद इसकी स्थिति और भी बिगड़ती गई। वर्ष 2018 तक यह भवन लगभग गिरने की कगार पर था। इस विरासत के महत्त्व को समझते हुए, भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) ने इसे बचाने का निर्णय लिया। 2020 में CAG और प्रसार भारती के बीच एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर हुए, जिससे इस ऐतिहासिक भवन के पुनर्स्थापन की प्रक्रिया शुरू की गई।

आखिरकार, 24 जून 2024 को, नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक श्री गिरीश चंद्र मुर्मु ने “Chadwick House: Navigating Audit Heritage” संग्रहालय का उद्घाटन किया। अत्याधुनिक डिजिटल एवं ऑडियो-विज़ुअल तकनीकों से लैस इस संग्रहालय में कई इंटरैक्टिव डिस्प्ले और आधुनिक गैलरियाँ स्थापित की गई हैं, जो ऑडिट और अकाउंट्स की समृद्ध विरासत को दर्शाती हैं।

चैडविक हाउस में स्थापित यह संग्रहालय वर्तमान में भारत सरकार की ऑडिट एवं अकाउंट्स अकादमी, यारोज द्वारा संचालित किया जाता है। संग्रहालय में ऑडिट और अकाउंट्स से जुड़े अनेक दुर्लभ और ऐतिहासिक महत्व के प्रदर्शन उपलब्ध हैं। इन प्रदर्शनियों में लेखांकन के इतिहास, इसकी विकास यात्रा तथा इससे संबंधित प्रमुख व्यक्तित्वों की जानकारी बेहद रोचक अंदाज़ में प्रस्तुत की गई है।

संग्रहालय में विशेष रूप से इतालवी गणितज्ञ लूका पचोली, जिन्हें आधुनिक लेखांकन का जनक माना जाता है, की जीवनी आकर्षक रूप से प्रदर्शित है। इसके अलावा, भारतीय अर्थशास्त्र के जनक आचार्य चाणक्य, भारत के पहले नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक नरहरी राव, और प्रसिद्ध भौतिक विज्ञानी तथा नोबेल पुरस्कार विजेता सी. वी. रमन से जुड़े दिलचस्प तथ्यों को दर्शाया गया है। सी. वी. रमन की लेखांकन से भौतिक विज्ञान तक की यात्रा भी संग्रहालय का प्रमुख आकर्षण है। प्राचीन भारतीय लेखांकन प्रणाली और बही खाते को सुन्दरता से दिखाया गया है।

चैडविक हाउस संग्रहालय न केवल अकाउंट्स और ऑडिट पेशेवरों के लिए, बल्कि इतिहास, विज्ञान, अर्थशास्त्र, प्रशासन और सांस्कृतिक अध्ययन में रुचि रखने वाले शोधकर्ताओं, छात्रों और सामान्य जनमानस के लिए भी अत्यंत उपयोगी और ज्ञानवर्धक है। संग्रहालय का डिज़ाइन ऐसा है कि यह आगंतुकों को सहजता से आकर्षित करता है और महत्वपूर्ण जानकारी आसानी से ग्रहण करने में मदद करता है।

चैडविक हाउस ज्ञान, इतिहास और प्रशासन की गौरवशाली विरासत का जीवंत प्रतीक है। यह संग्रहालय इतिहास और संस्कृति की गहरी समझ विकसित करने वाले हर व्यक्ति के लिए एक प्रेरणादायक और उपयोगी स्थल साबित होगा। चैडविक हाउस ऐतिहासिक धरोहर और आधुनिक तकनीक का उत्कृष्ट संगम प्रस्तुत करता है।

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