नई दिल्ली: चर्चित लेखक और टिप्पणीकार अजीत भारती ने अपने पुराने लेखों और टिप्पणियों को लेकर खेद व्यक्त किया है। उन्होंने स्वीकार किया कि हिंसक प्रदर्शनों से निपटने के लिए ‘आयरन हैंड’ नीति की वकालत करने वाली उनकी टिप्पणियाँ गलत थीं। भारती ने कहा, “कुछ घटनाएँ, अपने होने के वर्षों पश्चात् अपना उचित उद्देश्य बता पाती हैं।” उन्होंने बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार द्वारा दंगाइयों पर गोली चलाने की घटना का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्होंने तब लिखा था कि भारत को भी ऐसा करना चाहिए। साथ ही, CAA और किसान आंदोलन के दौरान भी उन्होंने ‘वेट एंड वाच’ की जगह सख्त कार्रवाई की पैरवी की थी।
भारती ने स्वीकार किया कि उनकी यह सोच दूरदर्शिता और अनुभव की कमी के कारण थी। उन्होंने कहा, “लाल किले पर चढ़े खालिस्तानी पर एक गोली चलाने की देरी थी, तो यही भीड़ संसद की ओर बढ़ सकती थी।” उन्होंने राजदीप सरदेसाई द्वारा एक युवक के ट्रक से गिरने को पुलिस की गोली लगने की बात बताने और जामिया नगर में आपसी गोलीबारी को पुलिस की कार्रवाई बताने जैसे गलत नैरेटिव का भी जिक्र किया।
भारती ने सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों की सराहना करते हुए कहा, “सरकार में लोग संभवतः चीजों की भयावहता को स्पष्ट देख पाते हैं। पीएम मोदी और पीएमओ का आभार कि उन्होंने अराजकता को सीमित रखकर दीर्घकालिक शांति सुनिश्चित की।”
यह बयान सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बना हुआ है।