अजीत राय का जीवन सिनेमा और रंगमंच के प्रति एक अनन्य प्रेम की कहानी है। उन्होंने विश्व सिनेमा को हिंदी में न केवल अनुवादित किया, बल्कि उसे जीवंत बनाया। चाहे वह यूरोपीय सिनेमा की गहन कथावस्तु हो, हॉलीवुड की चकाचौंध हो, या भारतीय सिनेमा की आत्मा, अजीत राय की लेखनी में हर रंग झलकता था। उनके लेखों में सिनेमा की तकनीक, भावनाएँ और सामाजिक संदेश एक साथ गूंथे होते थे, जो पाठकों को न केवल मनोरंजन, बल्कि विचार करने को भी मजबूर करते थे। उनके करीब पांच हजार आलेख हिंदी में प्रकाशित हुए, जो उनकी विद्वता और समर्पण का प्रमाण हैं। उनकी लेखनी में एक ऐसी सादगी थी जो जटिल सिनेमाई अवधारणाओं को आम पाठक तक सहजता से ले जाती थी।
सोशल मीडिया पर उनकी मृत्यु की खबर के बाद उनके प्रशंसकों, सहकर्मियों और मित्रों ने उनके व्यक्तित्व के अनगिनत पहलुओं को साझा किया। लोग उन्हें ‘रंगबाज़’ कहते थे, क्योंकि उनका जीवन रंगों और उत्साह से भरा था। दोस्तों के बीच उनकी हँसमुख और खुले दिल वाली शख्सियत की चर्चा आम थी। लेकिन उनके जीवन का एक ऐसा पहलू भी था, जिस पर शायद कम लोग बोले-उनका अकेलापन। अजीत राय ने अपनी यात्राओं में विश्व सिनेमा के साथ गहरा रिश्ता बनाया, पर उनके निजी जीवन में एक खामोशी थी, जो उनकी लेखनी में कभी-कभी झलकती थी। यह अकेलापन शायद उनकी गहरी संवेदनशीलता का हिस्सा था, जो उन्हें सिनेमा की भावनाओं को इतनी गहराई से समझने की शक्ति देता था।
उनका प्रेम, सिनेमा के प्रति, लोगों के प्रति, और जीवन के प्रति, उनकी हर बातचीत में झलकता था। वे सिनेमा के उन कारीगरों में से थे, जो न केवल फिल्म देखते थे, बल्कि उसे जीते थे। उनकी विदेश और देश भर की यात्राएँ, जो उन्होंने सैकड़ों की संख्या में कीं, केवल पर्यटन नहीं थीं; वे सिनेमा के मेलों, समारोहों और छोटे-छोटे देसी कस्बों के आयोजनों में हिस्सा लेने का माध्यम थीं। इन यात्राओं ने उन्हें विश्व सिनेमा का एक विश्वकोश बना दिया था। उनके मित्रों का कहना है कि उनके पास सिनेमा और रंगमंच की कहानियों का एक ऐसा पिटारा था, जो कभी खाली नहीं होता था।
अजीत राय की उम्र अभी जाने की नहीं थी। 58 वर्ष की आयु में उनका यूं चले जाना सभी के लिए एक सदमा है। एक दिन सबको जाना है, पर अजीत राय का इस तरह अचानक चले जाना किसी ने नहीं सोचा था। उनकी मृत्यु ने हमें याद दिलाया कि जीवन कितना अनिश्चित है। पर उनकी विरासत, उनके लेख, उनकी बातचीत, और सिनेमा के प्रति उनका जुनून हमेशा जीवित रहेगा।
अजीत राय को श्रद्धांजलि देते हुए हम उनके उस योगदान को याद करते हैं, जिसने हिंदी में सिनेमा की समझ को समृद्ध किया। उनकी आत्मा को शांति मिले, और उनका प्रेम और जुनून हमें हमेशा प्रेरित करता रहे।