आखिर कौन कर रहा है सांप्रदायिक तनाव भड़काने की साजिश ?

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उत्तर प्रदेश के कानपुर में बारावफात जुलूस के दौरान  लगे, “आई लव मोहम्मद” बोर्ड से शुरू हुआ विवाद अब देशभर  में फैल रहा है। उत्तर प्रदेश के उन्नाव,  बरेली, लखनऊ, महराजगंज, जालौन से लेकर कैसरगंज समेत कई शहरों में मुस्लिम समाज अत्यंत उग्रता के साथ जुलूस निकाल रहा है। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के बहुत ही सघन मुस्लिम बहुल इलाके में  भी “आई लव मोहम्मद” लिखा बैनर टांगा गया है जिसके कारण स्थानीय स्तर पर तनाव अनुभव किया गया। इन जुलूसों में कई जगह पुलिस से टकराव और पथराव भी हो रहा है। मुस्लिम समाज के लोग व मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति में संलिप्त रहने वाले लोग इसे मुस्लिम समाज का जेन -जी आंदोलन कहकर आग में घी डालने का कुत्सित प्रयास करते नजर आ रहे हैं  जो  तनाव को और बढ़ा रहा है। सोची समझी रणनीति के अंतर्गत  इस आंदोलन में नाबालिग बच्चों को आगजनी और पुलिस पर पथराव करने के लिए आगे किया जा रहा है।

उत्तर प्रदेश से शुरू हुयी ये अराजकता अब उत्तराखंड  के काशीपुर  और तेलंगना के हैदराबाद समेत देश के कई शहरों में पहुँच गई है। आइ लव मोहम्मद के समर्थन में उत्तराखंड में पुलिस बल पर सीधा पथराव तथा हमला किया गया, हमले में जिसमें महिला पुलिस कर्मी भी अभद्रता और मार पीट का शिकार हुयीं । पुलिस की गाड़ियाँ तोड़ दी गयीं । यही हाल गुजरात के गोधरा शहर में भी हुआ और महाराष्ट्र के नागपुर में भी। इन प्रदर्शनों के दौरान “सिर तन से जुदा” आरै लब्बैक-लब्बैक जैसे बेहद आक्रामक और आपत्तिजनक नारे लगाए जा रहे हैं।

इस पूरे विवाद की पटकथा उत्तर प्रदेश के कानपुर से शुरू हुई। कानपुर के रावतपुर में  बारावफात जुलूस निकाला जा  रहा था। जिस मार्ग पर जुलूस निकाला जा रहा था उसी रास्ते पर एक जगह  ”आई लव मोहम्मद“  का साइन बोर्ड लगा दिया गया। इसको लेकर हिंदू पक्ष ने विरोध किया और आरोप लगाया कि यहां नई परंपरा शुरू की जा रही है। दोनों पक्षों में तनाव बढ़ता देखकर पुलिस ने हस्तक्षेप किया और किसी प्रकार से मामला यह कहकर शांत करवाया कि नियम है कि जुलूस में किसी तरह की नई परंपरा नहीं डाली जाएगी । किन्तु  बारावफात के जुलूस के दौरान कुछ लोगों ने नई परंपरा डालते हुए परंपरा वाली जगह पर ही टेंट और साइन बोर्ड फिर से लगवा दिया।

पुलिस ने स्पष्ट किया कि, “आई लव मोहम्मद” को लेकर कोई भी मुकदमा दर्ज नहीं किया गया है।

इस बीच संभवतः पूर्व नियोजित साजिश के अनुसार कानपुर में मुस्लिम  पक्ष ने हिंदू पक्ष पर आरोप लगाया कि उसने साइन बोर्ड  को फाड़ दिया था। वहीं हिंदू पक्ष ने इसका खंडन करते हुए कहा  कि मुस्लिम पक्ष के जुलूस में शामिल लोगों ने हिन्दुओं के  धार्मिक पोस्टर फाड़े। पुलिस के बीच-बचाव के बाद ऐसा लगा  कि अब मामला शांत हो गया है। बाद में  कानपुर पुलिस ने बारावफात के जुलूस के दौरान “आई लव मोहम्मद“ नाम का एक नया बोर्ड बनाकर नई परंपरा शुरू करने  और सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगाड़ने के लिए मुकदमा दर्ज किया।

इस बीच पहले से तैयार बैठे एआईएमआईएम नेता और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने सोशल मीडिया एक्स पर कानपुर पुलिस को टैग करते हुए एक पोस्ट लिखा कि,“ आई लव मोहमद“ कहना जुर्म नहीं है अगर है तो इसकी हर सजा मंजूर हैं। ओवैसी ने जिस पोस्ट को लेकर कोट किया था उसमें दावा किया गया था कि मुस्लिम पक्ष की ओर से कथित तौर पर नई परंपरा शुरू करने को लेकर पुलिस ने मुकदमा कर दिया है। इस बात की प्रबल संभावना  व्यक्त की जा रही है कि ओवैसी की इस  पोस्ट के बाद सोशल मीडिया के माध्यम से अफवाहों का बाजार गर्म होता गया और अब यह आग देश के अनेकानेक हिस्सों में फैलती जा रही है।

तमाम कट्टरपंथी और मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति करने वाले तत्व इस आग में  घी डालने का प्रयास कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक वीडियो और कमेंट पोस्ट करके  तनाव बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है। यह सब कुछ उस समय हो रहा है जब हिन्दू पर्वो की नवरात्र से देवदीपावली तक एक लंबी  श्रृंखला चलने वाली है।

इन सभी घटनाओं  का पैटर्न लगभग एक ही जैसा नजर आ रहा है। बरेली के जखीरा मुहल्ले में ”आई लव मोहम्मद“ लिखे कई पोस्टर लगे थे। इंस्पेक्टर सुभाष कुमार ने बताया कि भीड़ होने की सूचना पर, वे पहुंचे तो पाया कि वहां  इत्तेहाद -ए-  मिल्लत काउंसिल के महासचिव डा. नफीस खान भी थे। पुलिस के पहुंचने पर नफीस खान ने वहां पर उपस्थित लोगों को घर जाने के लिए कह दिया किंतु बाद में इंटरनेट मीडिया पर एक वीडियो प्रसारित हुआ उसमें डा़ नफीस कुछ लोगों से कहते सुनाई दे रहे हैं कि मैंने इंस्पेक्टर को ”बहुत अपशब्द कहे। मैंने कहा कि, “हाथ काट लूंगा, वर्दी उतरवा दूंगा“। जांच मे पता चला है कि  पुलिस के मोहल्ले से लौटने के बाद नफीस ने भीड़ को भड़काने का प्रयास किया । नफीस बरेली में मौलाना तौकीर रजा खां की पार्टी  आईएमसी के महासचिव हैं।

सबसे अधिक चिंता का विषय यह है कि इन जुलूसों में 10 साल से कम आयु के लड़कों तथा औरतों द्वार  उग्र प्रदर्शन कराया जा रहा है । उन्नाव में  हिंसक उपद्रव का नेतृत्व महिलाओे व बच्चो ने किया। बुर्कानशीं महिलाओं  ने ही पुलिस बल पर पत्थर बरसाये ओर नाबालिगों ने “सर तन से जुदा“ के नारे लगाकर माहौल खराब किया।  कठिनाई यह है कि हमारे देश के संविधान में  नाबालिगों को केवल सुधार गृह भेज दिया जाता है और  महिलाओं की प्राय: जल्दी गिरफ्तारी नहीं होती । वहीं दूसरी ओर तथाकथित संविधान रक्षक  मुस्लिम तुष्टिकरण का खेल प्रारंभ कर देते हे। इन सभी उपद्रवियों को पता है कि उन्हें सभी छद्म धर्मनिरपेक्ष दलों का खुला समर्थन प्राप्त है। नाबालिगों को सोच समझ कर केवल इसलिए शामिल किया जा रहा है क्योंकि वह आसानी से छूट जाएंगे और सजा भी बहुत कम होगी।

भारत में सार्वजनिक जगहों पर बिना अनुमति पोस्टर बैनर लगाना गैरकानूनी है किंतु सभी लोग इसका उल्लंघन करते हैं । पुलिस का कहना है कि यह आंदोलन गुमराह करने वाला है। मुस्लिम तुष्टिकरण में संलिप्त नेता इस आंदोलन को अल्पसंख्यकों के दमन से उपजा आक्रोश बता रहे हैं और भाजपा व हिंदू संगठनों को दोष दे रहे हैं। एक पार्टी के प्रवक्ता तो तुष्टिकरण में इतने आगे बढ़ गए कि आंदोलन सम्बन्धी एफआईआर को ही संविधान विरोधी कृत्य बताने लगे। विगत दिनों  बहराइच में एआईएमआईएम के नेता द्वारा  स्थानीय महाराजा सुहेलदेव राजभर का अपमान करने के कारण भी तनाव उत्पन्न हो गया था।

इस प्रकार के तनाव उत्पन्न करने का प्रयास उस समय किया जा रहा है जब योगी आदित्यनाथ जी के नेतृत्व में देश का ग्रोथ इंजन बनने की ओर अग्रसर है। योगी जी को अच्छी तरह से पता है कि उपद्रवियों व दंगाइयो से किस प्रकार निपटा जाता है। उत्तर प्रदेश की जनता को सरकार व योगी जी की रणनीति पर पर पूरा भरोसा है। यहां की पुलिस सतर्क भी है और कड़क भी। उत्तर प्रदेश प्रशासन इस आंदोलन की जड़ तक जाएगा और षड्यंत्रकारियों को ढूंढ निकालेगा।

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मृत्युंजय दीक्षित

मृत्युंजय दीक्षित

मृत्युंजय दीक्षित का लखनऊ में निवास है। वे लेखक, स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तम्भकार हैं

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