अरुणाचल प्रदेश में रियाजुल करीम मामला: एक दुखद और विवादास्पद घटना

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ईटानगर : अरुणाचल प्रदेश के रोइंग शहर में 11 जुलाई 2025 को एक ऐसी घटना घटी, जिसने न केवल स्थानीय समुदाय को झकझोर दिया, बल्कि देश भर में कानून-व्यवस्था और सामाजिक न्याय के सवालों को भी उठाया। यह मामला 20 वर्षीय रियाजुल करीम, असम के बोंगाईगांव जिले के एक निर्माण मजदूर, से जुड़ा है, जिसे माउंट कार्मेल स्कूल के छात्रावास में रहने वाली 5 से 7 वर्ष की कम से कम सात बच्चियों के साथ यौन शोषण के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। इस घटना ने स्थानीय लोगों में आक्रोश पैदा किया, जिसके परिणामस्वरूप एक भीड़ ने पुलिस स्टेशन पर धावा बोलकर करीम को बाहर निकाला और उसकी पिटाई कर दी, जिससे उसकी मृत्यु हो गई।

रियाजुल करीम को 10 जुलाई को पुलिस ने हिरासत में लिया था, जब स्कूल के छात्रावास में बच्चियों के साथ छेड़छाड़ की शिकायत अभिभावकों द्वारा दर्ज की गई। अगले दिन, गुस्साए अभिभावकों और स्थानीय लोगों की भीड़ ने रोइंग पुलिस स्टेशन पर हमला कर दिया। उन्होंने करीम को जबरन बाहर निकाला और उसे इतनी बुरी तरह पीटा कि उसकी हालत गंभीर हो गई। पुलिस ने उसे अस्पताल पहुंचाया, लेकिन भीड़ ने वहां भी उस पर हमला जारी रखा, जिसके परिणामस्वरूप उसकी मृत्यु हो गई। इस घटना के बाद, जिला प्रशासन ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए रोइंग में कर्फ्यू लगा दिया और माउंट कार्मेल स्कूल को अनिश्चितकाल के लिए सील कर दिया। पुलिस ने इस मामले में भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 329(4)/75(2) और POCSO अधिनियम की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है, और जांच जारी है।

इस घटना ने कई गंभीर सवाल खड़े किए हैं। एक ओर, बच्चियों के साथ यौन शोषण की घटना ने अभिभावकों और समुदाय में गहरा आक्रोश पैदा किया, जो समझ में आता है। दूसरी ओर, भीड़ द्वारा कानून को अपने हाथ में लेना और एक आरोपी की हत्या करना न केवल गैरकानूनी है, बल्कि यह कानून-व्यवस्था की विफलता को भी दर्शाता है। इस मामले ने स्कूल प्रशासन की लापरवाही को भी उजागर किया, जिसके चलते सुरक्षा व्यवस्था में कमी सामने आई। प्रशासन ने स्कूल के खिलाफ कठोर कार्रवाई की बात कही है।

यह घटना सामाजिक और कानूनी दोनों दृष्टिकोण से जटिल है। यह हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या भीड़ का हिंसक न्याय उचित है, या क्या कानूनी प्रक्रिया को अपना काम करना चाहिए। इस मामले में संतुलित और निष्पक्ष जांच की आवश्यकता है ताकि पीड़ित बच्चियों को न्याय मिले और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।

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