अवधेश कुमार
इस समय अतुल सुभाष की आत्माहत्या सम्पूर्ण देश को द्रवित किये हुए है। लेकिन न जाने कितने लोगों को उसने आपबीती बताई होगी। आज पूरा समाज ऐसा हो गया है कि कोई अपनी समस्याओं से छटपटाते हुए हमें -आपको कुछ बताता है तो क्या हम सहयोग और खड़ा होना तो छोड़िये उसकी सुनने और शांत्वना देने की भी कोशिश करते हैं?
एक अंग्रेजी कविता का अनुवाद
काश
करेन हॉवर्ड द्वारा
काश मैं रुक जाता और तुम्हारे दरवाजे पर दस्तक देता;
काश मैं जानता कि तुम और नहीं सह सकते;
काश मैं वहाँ होता, काश मैं फोन करता;
काश मैं इतना व्यस्त न होता – और एक बार फिर रुक जाता।
तब मैंने तुम्हारी आँखों में दर्द क्यों नहीं देखा
और यह क्यों नहीं जाना कि तुम बहुत अकेले और तिरस्कृत महसूस करते हो।
मैंने तुम्हारी आवाज़ में दर्द क्यों नहीं सुना,
और यह क्यों नहीं जाना कि तुम अपना अंतिम निर्णय लेने वाले थे!
शायद अगर मैं उस दिन घर पर होता, तो
मैं तुम्हारे लिए कुछ हद तक चीज़ें बदल देता
शायद अगर मैंने अपने शब्दों को अधिक सावधानी से चुना होता, तो
मैं और अधिक देख सकता था और अधिक जागरूक हो सकता था।
मैं अंदर से बहुत हैरान और टूटा हुआ महसूस करता हूँ,
इस सब की सच्चाई मुझे छिपने की जगह नहीं देती।
हर बार जब फ़ोन बजता है, हालाँकि मुझे पता है कि यह तुम नहीं हो,
मैं अभी भी चीजों को तुम्हारे नज़रिए से देखने की कोशिश कर रहा हूँ।
भगवान, मुझे मन की कुछ सच्ची शांति पाने में मदद करें,
इस दोस्ती की यादों को पीछे छोड़े बिना।
मुझे एक बार फिर से शुरू करने का साहस दें,
एक दोस्त के प्यार और जीवन पर भरोसा करने के लिए।
इसे पढ़िये, सोचिये और अपना व्यवहार बदलिये।