शंभू शिखर एक प्रसिद्ध हास्य कवि हैं, जिनका जन्म 10 जनवरी को बिहार के मधुबनी जिले में हुआ था। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की। छात्र जीवन में ट्यूशन पढ़ाकर गुजारा करने वाले शंभू ने 50 रुपये की मामूली आय से शुरुआत की। विश्वविद्यालय की विभिन्न प्रतियोगिताओं जैसे कविता पाठ, वाद-विवाद में भाग लेते हुए उन्होंने काव्य लेखन की शुरुआत की।
शुरुआत में गजलें लिखीं और एक गजल संग्रह प्रकाशित हुआ। 2005 में 'ग्रेट इंडियन लाफ्टर चैलेंज' जैसे टीवी शो से स्टैंड-अप कॉमेडी में प्रवेश किया, जहां उनकी हास्य प्रतिभा चमकी। धीरे-धीरे वे मंचीय हास्य कविता की ओर मुड़े। उनकी प्रसिद्ध पंक्ति 'चीनी को जमाकर गन्ना बना दूं' ने उन्हें राष्ट्रीय पहचान दिलाई। वे बिहार की संस्कृति, सामाजिक व्यंग्य और राजनीति पर कटाक्ष वाली कविताओं के लिए जाने जाते हैं।
आज वे अनेक कवि सम्मेलनों में लाखों रुपये फीस लेते हैं। 2022 में उनकी पुस्तक 'चीनी को जमाकर गन्ना बना दूं' प्रकाशित हुई। शंभू शिखर ने बिहारियों के गौरव को अपनी कविताओं में उभारा है, जैसे 'हम धरती पुत्र बिहारी हैं'। वे लग्जरी जीवन जीने की प्रेरणा देते हैं, जहां आंतरिक समृद्धि मुख्य है। उनके योगदान ने हिंदी हास्य काव्य को नई ऊंचाई दी है।