दिल्ली। अवि डांडिया, एक विवादास्पद व्यक्तित्व और भारतीय ओवरसीज कांग्रेस (IOC) के सोशल मीडिया प्रमुख, अपने रिकॉर्ड और मक्कारी के लिए चर्चा में हैं। उनकी नियुक्ति (सितंबर 2023) से पहले उन्होंने यूट्यूब पर आपत्तिजनक वीडियो डालकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा पर आधारहीन आरोप लगाए। मार्च 2019 में पुलवामा हमले के बाद उनकी मक्कारी तब सार्वजनिक हुई जब उन्होंने एक फर्जी ऑडियो क्लिप प्रसारित की, जिसमें दावा किया गया कि हमले में भाजपा नेताओं की साजिश थी। द हिंदू (4 मार्च 2019) की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली पुलिस ने इस झूठे प्रचार के लिए उनके खिलाफ IPC की धारा 465 और 469 के तहत FIR दर्ज की। फिर भी, सितंबर 2023 में कांग्रेस ने उन्हें IOC का सोशल मीडिया प्रमुख बनाया, जो पार्टी की नियत पर गहरा संदेह पैदा करता है। क्या यह एक सुनियोजित कदम था, जो भारतीय राजनीति में विदेशी हस्तक्षेप को बढ़ावा देता हो?
डांडिया की भाषा शैली बेहद खराब और अपमानजनक है। हाल के X पोस्ट में, जैसे 30 जुलाई 2025 को “25% tariff lagne ke baad masjido ke bahar ek baar mujra to banta hain chalo shuru ho jao chapriyo ,” उन्होंने धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई और “chapriyo” जैसे शब्दों से अपनी कुत्सित मानसिकता दिखाई। जवाबी टिप्पणियों में “Chup khandani chu ” जैसी गालियां उनकी अशिष्टता को उजागर करती हैं। एक राजनीतिक दल के कार्यकर्ता के लिए ऐसी भाषा निंदनीय है, जो समाज में नैतिकता और गरिमा का प्रतीक होनी चाहिए। यह उनके चरित्र की पोल खोलता है और कांग्रेस की छवि को धूमिल करता है।
उनकी मक्कारी का दूसरा पहलू उनका धन का दिखावा है। वे अक्सर अपने वीडियो और पोस्ट में अपनी कथित अमीरी और जीवनशैली का ढोल पीटते हैं, चाहे वह दान का दावा हो। लेकिन इन दावों की सत्यता संदिग्ध है, और आलोचकों ने इसे आत्म-प्रशंसा और झूठ का मिश्रण बताया है। एक राजनीतिक कार्यकर्ता के लिए धन का प्रदर्शन करना उचित नहीं, क्योंकि यह जनसेवा की भावना से दूर ले जाता है। उनकी आय का स्रोत अस्पष्ट है, जो उनके इरादों पर संदेह पैदा करता है।
कांग्रेस को ऐसे व्यक्ति को मंच देना अपनी ही नींव को कमजोर करना है। पुलवामा मामले में उनकी मक्कारी के बावजूद उनकी नियुक्ति से पार्टी की मंशा पर सवाल उठना स्वाभाविक है। डांडिया की खराब भाषा, धन का दिखावा, और विवादास्पद इतिहास किसी भी राजनीतिक दल के लिए शोभनीय नहीं, और यह कांग्रेस की विश्वसनीयता को और धूमिल कर रहा है।