रामलला के अपने जन्मस्थान अयोध्या में पुनः विराजमान होने की वर्षगाँठ का तीन दिवसीय उत्सव संपन्न हुआ । इस एक वर्ष में अयोध्या ने अनेक कीर्तिमान बनाये। कभी सरयू में दीनदान का तो कभी दीपावली दीपोत्सव का । इस पूरे वर्ष अयोध्या आने वाले तीर्थ यात्रियों का भी कीर्तिमान बना ।
अपने जन्मस्थान अयोध्या में रामलला गत वर्ष पौष शुक्ल पक्ष द्वादशी को विराजमान हुये थे । तब अंग्रेजी तिथि 22 जनवरी थी । लेकिन विक्रम संवत के अनुसार पौष शुक्ल पक्ष द्वादशी इस वर्ष 11 जनवरी को आई । वर्षगाँठ उत्सव विक्रम संवत तिथि के अनुसार 11जनवरी से आरंभ हुआ जो तीन दिन चला । भीषण ठंड और महाकुंभ आरंभ होने के बाद भी इन तीन दिनों में लगभग साढ़े तीन लाख श्रृद्धालुओं ने सरयू में डुबकी लगाई और रामलला के दर्शन किये । इस तीन दिवसीय उत्सव का शुभारंभ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया । इन तीन दिनों में पूरी अयोध्या राममय रही । रामलला को लगभग पचास क्विंटल फूलों से सजाया गया । इसमें विदेशी फूल भी थे । उत्सव के इन तीन दिनों में उन सभी कार्यक्रमों की झलक थी जो पूरे वर्ष अयोध्या में चले । इनमें आध्यात्मिक साधना, संतों के प्रवचन, यज्ञ हवन, पूजन के साथ भजन कीर्तन एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम भी संपन्न हुये । अनुष्ठान यज्ञशाला में श्री राम बीज मन्त्रों का अनुष्ठान और 21 वैदिक आचार्य के द्वारा 6 लाख जाप संपन्न किया गया । 11 वैदिक आचार्यों द्वारा शुक्ल यजुर्वेद के मन्त्रोंच्चारण से आहुति दी गई । प्रतिदिन सबसे पहले रामलला का सुगंधित द्रव्यों से अभिषेक पूजन होता, फिर मंदिर परिसर में चारों वेदों का पारायण और राम संरक्षण मंत्र का अखंड जप किया गया । उत्सव के प्रथम दिन 122035, दूसरे दिन 130155 और तीसरे दिन 105070 श्रद्धालुओं ने रामलला का पूजन दर्शन किया ।
अयोध्या आने वाले श्रृद्धालुओं में एक छै वर्ष का बालक मोहब्बत भी था जो पाकिस्तान बॉर्डर से सटे फाजिल जिले से लगभग बारह सौ किलोमीटर दौड़ लगाकर अयोध्या पहुंचा था। इस बालक ने 14 नवंबर से अपनी यात्रा आरंभ की थी। वह प्रतिदिन 20 किमी दौड़ता था। 10 जनवरी को वह फैजाबाद पहुंचा और 11 नवम्बर को अयोध्या पहुंचा। मुख्यमंत्री योगी योगेन्द्रनाथ ने साल श्रीफल से इस बालक का सम्मान किया ।
अपने जन्मस्थान में विराजमान होने की यह वर्षगाँठ का तीन दिवसीय उत्सव तो एक औपचारिकता थी । अयोध्या में तो यह पूरा वर्ष ही सामाजिक, धार्मिक, आध्यात्मिक और आर्थिक उत्थान का रहा । इस वर्ष कई कीर्तिमान बने और अयोध्या ने विकास की नई अंगड़ाई ली। अयोध्या अब उसी भव्यता की यात्रा पर है जिसका वर्णन राम चरित मानस और अन्य ग्रंथों में मिलता है । संतों के प्रवचन, साधकों की साधना और भजन कीर्तन के साथ अयोध्या में विकास के नये कार्य आरंभ हुये हैं । पूरे नगर और उसके आसपास ऐसा कोई क्षेत्र कोई गली मोहल्ला ऐसा नहीं जहाँ नये निर्माण कार्य आरंभ न हुये हों । अयोध्या को उसके अतीत का वैभव लौटाने केलिये शासकीय और सार्वजनिक कार्यों केअतिरिक्त निजी स्तर की सक्रियता भी बढ़ी है ।
अयोध्या का अतीत और स्मृतियाँ
इतिहास में जहाँ तक दृष्टि जाती है, अयोध्या का वर्णन मिलता है । रामजी से पहले भी और रामजी के बाद भी । अयोध्या हर कालखंड में आकर्षण का केन्द्र रही । अयोध्या की भव्यता की ओर विदेशी राजनयिकों, पर्यटको और शोध कर्ताओं के आने का वर्णन मिलता है । ढाई हजार वर्ष पूर्व के चीनी और यूनानी यात्रियों द्वारा लिखे गये विवरण इसका प्रमाण हैं । लेकिन दसवीं शताब्दी के साथ अयोध्या के विध्वंस का दौर चला । यह भारत पर मध्य एशिया के आक्रमणों का नया दौर था । प्रत्येक आक्रमणकारी के निशाने पर अयोध्या रही । आक्रांता आते, लूटते विध्वंस करते और लौट जाते थे । उनके जाने के बाद स्थानीय शासक और जन सामान्य द्वारा पुनर्निर्माण हो जाया करता था । आक्रमण, प्रतिकार, बलिदान, विध्वंस और पुनर्निर्माण के संघर्ष का जितना लंबा इतिहास अयोध्या का है वैसा संसार में किसी और नगर का नहीं। यह संघर्ष चार प्रकार का रहा । पहले पाँच सौ वर्षों की अवधि विध्वंस और पुनर्निर्माण हुआ। दूसरी अवधि ऐसी आई जब जन्मस्थान मंदिर को पूरी तरह ढहाकर उसके स्थान पर मस्जिद बना दी गई । यह हमलावर बाबर के समय 1526 में हुआ । मुगल बादशाह अकबर के समय पूजन के लिये एक चबूतरा बनाने का स्थान मिलने का विवरण तो मिलता है लेकिन मूर्ति स्थापित करने की अनुमति नहीं मिली। लेकिन औरंगजेब के समय वह चबूतरा भी तोड़ दिया गया । तब से संघर्ष तीव्र हुआ जो अंत तक रुका नहीं । औरंगजेब के समय जन्मस्थान की मुक्ति केलिये साधु संतों, श्रद्धालुओं के साथ निहंगों के भी सतत बलिदान हुये । यह क्रम लगभग दो सौ वर्ष चला । इसमें पीढ़ियों के बलिदान हुये । फिर अंग्रेजीकाल आया । तब कानूनी लड़ाई का दौर आरंभ हुआ । 1858 में फैजाबाद कलेक्टर को आवेदन दिया गया । 1886 में जिला अदालत में भी सुनवाई हुई। अंग्रेजीकाल में यह कानूनी लड़ाई स्वतंत्रता के सूर्योदय तक लगभग नब्बे वर्ष चली । अंग्रेजों ने इसे विवादित स्थल घोषित कर दिया था। स्वतंत्रता के बाद संघर्ष का चौथा स्वरूप उभरा । रामलला इस विवादित स्थल में प्रकट हुये । तब कानूनी संघर्ष के साथ जन जागरण अभियान भी चला । समय के साथ इन संघर्षों का स्वरूप और शैली भले बदली हो बदली हो लेकिन प्राणों के बलिदान कभी रुका नहीं। जन जागरण अभियान में कारसेवकों का बलिदान कभी भुलाया नहीं जा सकता । यह बलिदान अयोध्या में कारसेवा के दौरान पुलिस गोली चालन और कारसेवा लौटते कारसेवकों का गोधरा में हुआ । एक भीड़ ने योजना पूर्वक सावरमती एक्सप्रेस को रोका और कारसेवकों को घेरकर मारा गया वह घटना आज भी रोंगटे खड़े कर देती है ।
अयोध्या का गौरव लौटाने के लिये हुये सतत संघर्ष में, कितने प्राण गये, उनकी गिनती तक नहीं है। अंततः 2019 में अदालत का अंतिम निर्णय आया, 5 फरवरी 2020 को जन्मस्थान मंदिर न्यास गठित हुआ, 5 अगस्त 2020 को प्रधानमंत्री श्रीनरेंद्र मोदी ने मंदिर निर्माण कार्य केलिये भूमि पूजन किया और 22 जनवरी 2024 को रामलला अपने जन्मस्थान पर विराजमान हो गये ।
अयोध्या में बने कीर्तिमान
अयोध्या में अपने जन्मस्थान पर रामलला के विराजमान होने के बाद इस एक वर्ष में अनेक कीर्तिमान बने । ये कीर्तिमान राम नवमीं, दीपावली और नववर्ष पर श्रृद्धालुओं के आने, सरयूतट पर दीपोत्सव, परिक्रमा वासियों की संख्या एवं पूरे वर्ष में अयोध्या आने वाले श्रृद्धालुओ की कुल संख्या का है । रामलला के विराजमान होनै की तिथि 22 जनवरी 2024 से 11 जनवरी 2025 तक अयोध्या आने वाले श्रृद्धालुओं की संख्या लगभग 18.6 करोड़ का ऑकड़ा छू रही है । यह संख्या भारत के सभी धार्मिक एवं पर्यटन स्थल पर पहुँचने वाले यात्रियों में सर्वाधिक है । इससे पहले देशी और विदेशी दोनों प्रकार के पर्यटकों की अधिकतम संख्या का कीर्तिमान अक्सर ताजमहल के नाम रहा करता था । लेकिन इस वर्ष अयोध्या ने सारे कीर्तिमान ध्वस्त कर दिये। तीज त्यौहारों के विशेष दिनों को छोड़कर समान्य दिनों में अयोध्या आने वाले श्रृद्धालुओं की औसतन संख्या दो लाख तक रही है। 2025 नववर्ष के दिन एक जनवरी को दस लाख से अधिक यात्री अयोध्या आये । वर्ष 2024 दीपावली उत्सव के कुल पांच दिनों में सरयू तट पर द्वीप जलाने के तीन रिकॉर्ड बने। दो रिकॉर्ड सरयू आरती के और एक दीपोत्सव का । दीपावली 30 अक्टूबर को थी । 27 अक्टूबर से ही सरयू नदी के 55 घाटों पर दीप सजाने का कार्य आरंभ हो गया था । यह कार्य में 35 हजार वालेंटियरों द्वारा किया गया था । 30 अक्टूबर की शाम सरयू आरती का भी कीर्तिमान बना । अयोध्या के प्रमुख साधु-संतों और 1,100 बटुकों ने आरती की थी। गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड की टीम अयोध्या पहुँची थी । इस शाम कुल 25 लाख 12 हजार 585 दीप जलाने कीर्तिमान बना । गिनीज बुक ने यह सर्टिफिकेट भी प्रदान किया। दूसरा कीर्तिमान परिक्रमा का बना । कार्तिक पूर्णिमा से आरंभ परिक्रमा में केवल तीन दिन में पैंतीस लाख तीर्थयात्री सम्मिलित हुये । यह भी एक कीर्तिमान था ।
सुरक्षा मानक भी विश्व स्तरीय
अयोध्या आने वाले श्रृद्धालुओं की संख्या, दीपोत्सव, सरयू आरती और परिक्रमा करने वालों की संख्या का कीर्तिमान बनाने के साथ इस वर्ष अयोध्या ने सुरक्षा का भी विशेष मानक स्थापित किया । सुरक्षा का पहला मानक मंदिर निर्माण में किसी भी दुर्घटना का न होना है। मंदिर निर्माण केलिये बड़े बड़े पत्थरों के साथ दिन रात काम चल रहा है । छोटी मोटी घटनाएँ तो हुई लेकिन ऐसी कोई दुर्घटना नहीं हुई जिसमें कोई घायल हुआ हो और उपचार की आवश्यकता पड़ी हो । इसके लिये ब्रिटिश सुरक्षा परिषद ने बिल्डर को ‘स्वॉर्ड ऑफ ऑनर’ प्रदान किया, जबकि राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद ने गोल्डन ट्रॉफी प्रदान की। मंदिर निर्माण में बरती जा रही सावधानियों का अध्ययन करने केलिये अनेक विशेषज्ञ अयोध्या आये और उन्होंने मंदिर निर्माण में उत्कृष्ट सुरक्षा के उपायों की प्रशंसा की बिल्डर को मिले पुरस्कार को वैश्विक सुरक्षा मानकों का अनुपालन और विश्व स्तर पर अन्य निर्माण परियोजनाओं के लिए एक मॉडल माना ।
अयोध्या में विकास के नये आयाम
रामलला के विराजमान होने के साथ अयोध्या के विकास का नया अध्याय आरंभ हुआ है । अयोध्या के भावी विकास के लिये प्रधानमंत्री श्रीनरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ विशेष रूचि ले रहे हैं। रामलला जिस मंदिर में विराजमान हुये हैं वह मंदिर भी अपनी भव्यता का स्वरूप लेने जा रहा है । मंदिर संरचना में 392 खंभे और 44 दरवाजे पारंपरिक नागर शैली में निर्मित हुये हैं। राम जन्मभूमि मंदिर 380 (पूर्व-पश्चिम) 250 फीट की चौड़ाई में फैला है और 161 फीट ऊंचा है। 32 सीढ़ियों वाला एक भव्य प्रवेश द्वार है। सभी मापदंडों पर पांच सितारा रेटिंग स्तर का निर्माण हुआ है ।
मंदिर के साथ पूरी अयोध्या नया स्वरूप लेने जा रही है ।नगर के विकास योजनाएँ तीन प्रकार की हैं । पहली तात्कालिक, दूसरी मध्य समयावधि की और तीसरी दीर्घकालिक। अनुमान है आगामी दस वर्षों में अयोध्या उस भव्यता और गरिमा को प्राप्त कर लेगी जिसका वर्णन पुराणों में मिलता है । 30.5 हजार करोड़ से अधिक की आठ परियोजनाओं का कार्य पूर्णता की ओर है । जबकि लगभग 85 हजार करोड़ की अन्य परियोजनाएँ आगामी दो वर्षों में पूरी हो जायेंगी। उत्तरप्रदेश में संपन्न ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में अयोध्या के लिए 6 हजार करोड़ से अधिक के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुये । इन पर भी कार्य आरंभ हो रहा है । अयोध्या में जो काम होने जा रहे हैं उनमें सबसे प्रमुख पूरी अयोध्या में
सौर ऊर्जा से प्रकाशमान होने का प्रबंध है । जो आठ कार्य प्राथमिकता से किये जा रहे हैं उनमें सबसे पहला विमानतल को अंतर्राष्ट्रीय स्वरूप प्रदान करना है। चौदह सौ करोड़ के इस प्रोजेक्ट में 11 सौ करोड़ रुपए प्रदेश सरकार की ओर से दिये गये। दूसरा अयोध्या धाम जंक्शन रेलवे स्टेशन का निर्माण। यह कार्य पूरा हो गया है।
जो कार्य आरंभ हुये हैं उनमें वर्तमान नगर और उसके आसपास कुल 1100 एकड़ में अयोध्या नया उभर रहा है । अन्य कार्यो में अयोध्या नगर के सभी प्रवेश द्वार नागर शैली के बनाए जा रहे हैं। मेन स्पाइन रोड, सुग्रीव किला से श्री राम मंदिर मार्ग, श्रृंगार हाट से राम मंदिर का मार्ग, और पंचकोशी परिक्रमा मार्ग का विकास हैं ।
अयोध्या विकास प्राधिकरण विशाल वाहन पार्किंग और दुकानों का निर्माण कर रही है ।
सड़कों का चौड़ीकरण और नालों को गहरा करने, सूर्यकुंड का सौंदर्यीकरण, पार्क का निर्माण, लाइट एंड साउंड शो, ग्रीन फ़ील्ड टाउनशिप, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट जैसी परियोजनाएं शामिल हैं। राम मंदिर, हनुमान गढ़ी, कनक महल, नंदीग्राम आदि धार्मिक स्थलों के विकास के साथ अयोध्या के कुछ पर्यटन स्थलों जिनमें जायसी के पैतृक स्थान का विकास, बाबा गोरखनाथ की प्रतिमा स्थापित करना, सरयू तट और घाटों का विकास जैसे कार्य शामिल हैं।