आयुष्मान भारत एक सामाजिक क्रांति: सात वर्षों का स्वर्णिम सफर

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दिल्ली। भारत, जहां विविधता और विशालता एक साथ सांस लेती हैं, उस देश ने आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबी-पीएमजेएवाई) के माध्यम से अपने नागरिकों के स्वास्थ्य को सुरक्षित करने का एक क्रांतिकारी कदम उठाया है। 2018 में शुरू हुई यह योजना, 2025 में अपने सात साल पूरे कर चुकी है और दुनिया की सबसे बड़ी सरकारी स्वास्थ्य बीमा योजना बन गई है। यह 50 करोड़ से अधिक गरीब और असुरक्षित लोगों को प्रति परिवार प्रतिवर्ष 5 लाख रुपये तक का मुफ्त स्वास्थ्य कवरेज प्रदान करती है।

एबी-पीएमजेएवाई ने स्वास्थ्य सेवाओं को सुलभ और पारदर्शी बनाया है। अस्पताल में भर्ती से लेकर जटिल सर्जरी तक, यह योजना गरीबों के लिए वरदान है। 27,000 से अधिक पैनल अस्पतालों के साथ, लाखों लोग इसका लाभ उठा चुके हैं। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में, जहां पहले इलाज के अभाव में लोग कर्ज में डूब जाते थे, इसने स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच बढ़ाई।

डिजिटल इंडिया के साथ एकीकृत, योजना ने आधार-लिंक्ड पहचान और ऑनलाइन रिकॉर्ड के जरिए पारदर्शिता सुनिश्चित की। सात सालों में इसने न केवल स्वास्थ्य सुरक्षा प्रदान की, बल्कि भारत को स्वस्थ और समृद्ध राष्ट्र बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित हुई है।

यह गर्व का क्षण है कि हमने न केवल देश के सबसे गरीब और कमजोर वर्गों के लिए स्वास्थ्य सुरक्षा का एक मजबूत ढांचा तैयार किया है, बल्कि इसे विश्व की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना के रूप में भी स्थापित किया है।

आयुष्मान भारत योजना, जिसे 23 सितंबर 2018 को शुरू किया गया था, का मूल उद्देश्य देश के 50 करोड़ से अधिक लोगों, विशेष रूप से सामाजिक-आर्थिक रूप से कमजोर 12 करोड़ से अधिक परिवारों को, प्रति वर्ष 5 लाख रुपये तक का मुफ्त स्वास्थ्य बीमा प्रदान करना है। यह योजना द्वितीयक और तृतीयक स्वास्थ्य देखभाल को कैशलेस बनाती है, जिससे गरीब परिवारों को गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए कर्ज के बोझ तले दबने से बचाया जा सके। आज तक, 34.7 करोड़ से अधिक आयुष्मान कार्ड जारी किए जा चुके हैं, जो इस योजना की व्यापक स्वीकार्यता और पहुंच को दर्शाते हैं।

इस योजना की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह सामाजिक-आर्थिक स्थिति, जाति, धर्म या भौगोलिक सीमाओं से परे सभी पात्र नागरिकों के लिए सुलभ है। ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले, अनुसूचित जाति और जनजाति समुदाय, दिहाड़ी मजदूर, भूमिहीन परिवार, और दिव्यांग व्यक्ति इस योजना के प्रमुख लाभार्थी हैं। शहरी क्षेत्रों में, मजदूर, सफाईकर्मी, घरेलू श्रमिक और फुटपाथ विक्रेता जैसे असंगठित क्षेत्र के लोग भी इस योजना का लाभ उठा सकते हैं। हालांकि, संगठित क्षेत्र के कर्मचारी, आयकर दाता, सरकारी कर्मचारी, और ईएसआईसी सदस्य इस योजना के दायरे से बाहर रखे गए हैं, ताकि संसाधनों का उपयोग सबसे जरूरतमंद लोगों के लिए हो।

आयुष्मान भारत ने न केवल स्वास्थ्य सुविधाओं को सुलभ बनाया है, बल्कि यह भी सुनिश्चित किया है कि इलाज की गुणवत्ता से कोई समझौता न हो। देश भर में चयनित सरकारी और निजी अस्पतालों में इलाज की सुविधा उपलब्ध है, जिसमें मेडिकल जांच, ऑपरेशन, और पुरानी बीमारियों का इलाज शामिल है। अस्पताल में भर्ती होने से 10 दिन पहले और बाद के खर्च भी इस योजना के तहत कवर किए जाते हैं। परिवहन व्यय को भी शामिल किया गया है, जिससे मरीजों को अतिरिक्त आर्थिक बोझ नहीं उठाना पड़ता। यह योजना हृदय रोग, कैंसर, और किडनी संबंधी बीमारियों जैसे गंभीर रोगों के लिए भी व्यापक कवरेज प्रदान करती है, जो पहले गरीब परिवारों के लिए असंभव प्रतीत होता था।

हाल ही में, मोदी सरकार ने इस योजना को और समावेशी बनाते हुए 70 वर्ष और उससे अधिक आयु के सभी वरिष्ठ नागरिकों को इसके दायरे में शामिल करने का निर्णय लिया। इस फैसले से लगभग 6 करोड़ वरिष्ठ नागरिकों को लाभ मिलेगा, जिनके लिए आयुष्मान वय वंदना कार्ड की शुरुआत की गई है। अब तक 75.41 लाख आयुष्मान वय वंदना कार्ड जारी किए जा चुके हैं, जिनमें से 32.3 लाख कार्ड महिलाओं के लिए हैं। इसके अतिरिक्त, 1.06 लाख क्लेम सेटल किए गए हैं, जो इस योजना की त्वरित कार्यप्रणाली को दर्शाता है। यह कदम हमारे समाज के उन बुजुर्गों के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जिन्होंने जीवनभर देश की प्रगति में योगदान दिया है।

आयुष्मान भारत की सफलता का एक और महत्वपूर्ण पहलू इसकी राष्ट्रव्यापी स्वीकार्यता है। हाल ही में, दिल्ली 35वें राज्य के रूप में इस योजना में शामिल हुआ, जबकि ओडिशा 34वें राज्य के रूप में पहले ही इसे लागू कर चुका है। अब केवल पश्चिम बंगाल ही इस योजना से बाहर है, लेकिन हमें विश्वास है कि निकट भविष्य में वहां भी यह योजना लागू होगी। दिल्ली जैसे घनी आबादी वाले शहरी केंद्र में इस योजना का विस्तार स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच को और मजबूत करता है। यह केंद्र सरकार की उस दृष्टि को साकार करता है, जिसमें कोई भी नागरिक स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित न रहे।

आयुष्मान भारत योजना की प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाया गया है। लाभार्थी ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से आयुष्मान कार्ड के लिए आवेदन कर सकते हैं। आवेदन प्रक्रिया में नाम, पता, मोबाइल नंबर, और परिवार के सदस्यों की जानकारी देनी होती है। ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के लिए पात्रता मानदंड अलग-अलग हैं, ताकि दोनों क्षेत्रों की विशिष्ट आवश्यकताओं को ध्यान में रखा जा सके। उदाहरण के लिए, ग्रामीण क्षेत्रों में भूमिहीन परिवार या एससी-एसटी समुदाय के वे परिवार, जिनमें 16 से 59 वर्ष की आयु का कोई वयस्क सदस्य नहीं है, इस योजना के लिए पात्र हैं। यह सुनिश्चित करता है कि सबसे कमजोर वर्ग तक इस योजना का लाभ पहुंचे।

इन सात वर्षों में, आयुष्मान भारत ने न केवल लाखों परिवारों को आर्थिक संकट से बचाया है, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति लोगों का विश्वास भी बढ़ाया है। यह योजना भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र में एक मील का पत्थर साबित हुई है, जो न केवल गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों को सशक्त बनाती है, बल्कि समाज के हर वर्ग को यह भरोसा दिलाती है कि सरकार उनके स्वास्थ्य और कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है।

हालांकि, इस योजना की सफलता के बावजूद, हमें यह स्वीकार करना होगा कि अभी भी कुछ चुनौतियां बाकी हैं। कई क्षेत्रों में जागरूकता की कमी, निजी अस्पतालों की भागीदारी में वृद्धि की आवश्यकता, और डिजिटल प्रक्रियाओं को और सरल बनाने की जरूरत है। सरकार इन चुनौतियों से निपटने के लिए निरंतर प्रयासरत है। हमारा लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि प्रत्येक पात्र व्यक्ति तक इस योजना का लाभ पहुंचे और कोई भी नागरिक स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित न रहे।

आयुष्मान भारत योजना केवल एक स्वास्थ्य बीमा योजना नहीं है; यह एक सामाजिक क्रांति है, जो भारत के हर कोने में स्वास्थ्य समानता लाने का प्रयास करती है। यह योजना न केवल गरीबों के लिए आशा की किरण है, बल्कि यह देश के समग्र विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। जैसे-जैसे हम इस योजना के सातवें वर्ष का उत्सव मना रहे हैं, हमारा संकल्प है कि हम इसे और मजबूत, समावेशी और प्रभावी बनाएंगे, ताकि भारत एक स्वस्थ और समृद्ध राष्ट्र के रूप में विश्व मंच पर अपनी पहचान और मजबूत कर सके।

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